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कोलकाता, छह जून (भाषा) सांप्रदायिक टिप्पणियों वाला वीडियो साझा करने से जुड़े मामले में कलकत्ता उच्च न्यायालय से अंतरिम जमानत मिलने के बाद ‘सोशल मीडिया इंफ्लुएंसर’ शर्मिष्ठा पनोली को शुक्रवार को जेल से रिहा कर दिया गया।
कलकत्ता उच्च न्यायालय ने पनोली की अंतरिम जमानत याचिका बृहस्पतिवार को मंजूर कर ली थी।
अदालत ने कहा था कि पनोली (22) के खिलाफ शिकायत में किसी संज्ञेय अपराध की बात सामने नहीं आई है।
कोलकाता पुलिस ने विधि छात्रा पनोली को पिछले हफ्ते हरियाणा के गुरुग्राम से गिरफ्तार कर लिया था। उसके खिलाफ कोलकाता के गार्डन रीच पुलिस थाने में प्राथमिकी दर्ज कराए जाने के बाद यह कदम उठाया गया था।
उच्च न्यायालय ने आदेश दिया कि पनोली को 10,000 रुपये की जमानत राशि और मुचलके पर रिहा किया जाए। अदालत ने पनोली को जांच में सहयोग करने और बिना अनुमति देश नहीं छोड़ने का निर्देश दिया।
हालांकि, उच्च न्यायालय ने कहा कि अगर पनोली शिक्षा के उद्देश्य से विदेश जाना चाहती है, तो निचली अदालत उसके आवेदन पर विचार कर सकती है।
रिहा किये जाने के बाद जेल से बाहर निकली पनोली ने नीली जींस और सफेद टी-शर्ट पहन रखी थी। उसने सर्जिकल मास्क भी लगा रखा था। जेल के बाहर मौजूद परिजन पनोली को कार में बैठाकर अपने साथ ले गए।
पनोली की गिरफ्तारी को लेकर पश्चिम बंगाल में सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) और विपक्षी दल भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के बीच सियासी टकराव शुरू हो गया था।
भाजपा ने राज्य सरकार पर तुष्टिकरण की राजनीति में लिप्त होने का आरोप लगाया था। पार्टी नेताओं ने दावा किया था कि कोलकाता पुलिस ने राजनीतिक दबाव के चलते अनावश्यक रूप से जल्दबाजी में काम किया और पनोली की टिप्पणियों के लिए उसके खिलाफ कार्रवाई की, जबकि हिंदू धर्म को निशाना बनाने वाले व्यक्तियों के इसी तरह के पोस्ट को नजरअंदाज कर दिया गया।
वहीं, तृणमूल ने पुलिस कार्रवाई का बचाव करते हुए कहा कि किसी को भी अभिव्यक्ति की आजादी की आड़ में नफरत फैलाने का अधिकार नहीं है।
वरिष्ठ अधिकारियों ने बताया कि कोलकाता पुलिस ने धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने के आरोप में वजाहत खान कादरी के खिलाफ भी प्राथमिकी दर्ज की है। कादरी की शिकायत के आधार पर पनोली को गिरफ्तार किया गया था। कादरी फिलहाल फरार है।
अधिकारियों के मुताबिक, पुलिस शिकायत के आधार पर प्राथमिकी दर्ज की गई है, जिसमें कादरी पर सोशल मीडिया पर “दुर्भावनापूर्ण और भड़काऊ” सामग्री साझा करने का आरोप लगाया गया है, जिसका उद्देश्य एक धार्मिक समुदाय की भावनाओं को ठेस पहुंचाना है।
भाषा पारुल दिलीप
दिलीप
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