scorecardresearch
Wednesday, 30 July, 2025
होमदेशसोशल मीडिया इंफ्लुएंसर महिला पुलिस अफसर ने कराया बिज़नेसमैन का अपहरण, 5 गिरफ्तार

सोशल मीडिया इंफ्लुएंसर महिला पुलिस अफसर ने कराया बिज़नेसमैन का अपहरण, 5 गिरफ्तार

सब-इंस्पेक्टर नीतू बिष्ट को रविवार को दो कांस्टेबल, एक हेड कांस्टेबल और एक बिचौलिए के साथ गिरफ्तार किया गया. एसआई को पश्चिमी दिल्ली में हुए इस ऑपरेशन का मास्टरमाइंड बताया जा रहा है.

Text Size:

नई दिल्ली: कारोबारी नीरज कुमार सिंह को शुक्रवार को उस वक्त तीन अनजान विजिटर्स का सामना करना पड़ा जब उन्होंने दिल्ली के पश्चिम विहार इलाके में अपने ऑफिस को खोला, जहां से वह कई व्यवसाय चलाते थे. नकाबपोश तीनों ने सीसीटीवी केबल काट दी और कैश की तलाश शुरू कर दी.

थोड़ी ही देर में, सिंह के स्टाफ को एक कार में बैठाकर उनके घर ले जाया गया, जबकि खुद सिंह को पीरागढ़ी इलाके के एक पुलिस बूथ में ले जाकर कथित रूप से 20.5 लाख रुपये देने के लिए मजबूर किया गया.

बाद में यह सामने आया कि एक महिला सब-इंस्पेक्टर इस पूरी साजिश की मास्टरमाइंड थी और नकाबपोश लोग पुलिसकर्मी थे, जो उसके निर्देश पर काम कर रहे थे. रविवार को उस महिला अधिकारी के साथ सिपाही विशाल चिल्लर और प्रमोद कुमार, हेड कांस्टेबल अजीत कुमार और ‘बिचौलिया’ अजय कश्यप को गिरफ्तार किया गया.

नीतू बिष्ट, सब-इंस्पेक्टर, के सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स, खासकर इंस्टाग्राम पर अकाउंट्स होने की बात कही गई है.

सिंह की शिकायत के आधार पर पश्चिम विहार ईस्ट थाने में भारतीय न्याय संहिता (BNS) की धारा 308(2), 308(3) (जबरन वसूली), 140(3) (अपहरण), 115(2) (जानबूझकर चोट पहुंचाना), 127(2) (गैर-कानूनी बंधक बनाना), 61(2) (आपराधिक साजिश), और 3(5) (साझा मंशा) के तहत एफआईआर दर्ज की गई.

तलाशी और सौदेबाजी

चूंकि सिंह अपने पश्चिम विहार ऑफिस से कई व्यापार जैसे एजुकेशनल कंसल्टेंसी, स्टॉक मार्केट ब्रोकिंग और कार रेंटल कंपनी चलाते हैं, इसलिए उन्होंने कहा कि उनके काम की प्रकृति के कारण ऑफिस में अक्सर नकद पैसा रखा जाता है.

“…ऐसा लगता है कि उपरोक्त सभी लोग इस बात से पहले से ही वाकिफ थे. इसलिए ऑफिस में घुसते ही खुद को कांस्टेबल विशाल चिल्लर बताने वाला शख्स मेरे दो स्टाफ से लगातार 50 लाख रुपये की नकदी के बारे में पूछता रहा,” सिंह ने अपनी शिकायत में कहा, जिस पर प्राथमिकी आधारित है, और जिसकी कॉपी द प्रिंट के पास है.

जब दोनों कर्मचारियों ने पैसे की जानकारी से इनकार किया, तो उन्हें कार में डालकर उनके घर ले जाया गया. सिंह को पीरागढ़ी के एक पुलिस बूथ में ले जाया गया, जो कुछ किलोमीटर दूर था, जहां उन्हें उनके अपहरणकर्ताओं ने “धमकाया.”

कश्यप वहां आया और “बातचीत” में शामिल हुआ. “उसने पुलिसकर्मियों को वहां से हटाया और उन्हें मामला 40 लाख रुपये में रफा-दफा करने के लिए राजी किया,” शिकायत में कहा गया है.

एफआईआर के अनुसार, सिंह ने खुद और अपने स्टाफ के खिलाफ झूठा मामला दर्ज होने से बचने के लिए 6.5 लाख रुपये का चेक और 10 लाख रुपये आरटीजीएस के माध्यम से देकर कुल 20.5 लाख रुपये का भुगतान किया. कश्यप ने अपने एक जानकार से 4 लाख रुपये भी लिए, शिकायत में यह भी जोड़ा गया है.

सिंह ने दावा किया कि उन्हें और उनके दोनों स्टाफ को उस दिन दोपहर करीब 4.30 बजे छोड़ा गया, लेकिन उससे पहले उन्हें बाकी के 19.5 लाख रुपये देने के लिए राजी किया गया.

जब शनिवार को पुलिस ने कश्यप को पूछताछ के लिए बुलाया, तो उसने दावा किया कि सिंह का उस पर 3 लाख रुपये बकाया है, इसलिए उसने पैसे की मांग की.

प्रारंभिक जांच में दिल्ली पुलिस ने पाया कि कश्यप को कई कॉल्स आई थीं, जिनमें से एक नीतू की भी थी. कड़ी पूछताछ के बाद, कश्यप टूट गया और खुलासा किया कि पूरी साजिश छुट्टी पर चल रही सब-इंस्पेक्टर ने रची थी.

सभी पांचों को गिरफ्तार कर न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है। उन्हें निलंबित भी किया गया है और उनके खिलाफ विभागीय जांच जारी है.

(इस रिपोर्ट को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


यह भी पढ़ें: मोदी सरकार ने कहा—नॉन इमरजेंसी ऑपरेशन के लिए AIIMS दिल्ली में 2 साल तक इंतज़ार करना पड़ सकता है


share & View comments