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रविवार, 8 जून, 2025
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सामाजिक कार्यकर्ता ने विधवाओं के खिलाफ प्रथाओं पर रोक लगाने के लिए कानून बनाने की मांग की

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मुंबई, आठ जून (भाषा) महाराष्ट्र के एक सामाजिक कार्यकर्ता ने विधवाओं के खिलाफ प्रथाओं पर रोक लगाने के लिए ठोस कानून बनाने की मांग करते हुए देश के मंत्रियों और सांसदों को पत्र लिखा है।

महात्मा फुले समाज सेवा मंडल के प्रमुख प्रमोद झिंजाड़े ने केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्री अन्नपूर्णा देवी, राष्ट्रीय महिला आयोग (एनसीडब्ल्यू) की अध्यक्ष विजया रहाटकर और सभी लोकसभा सदस्यों को पत्र भेजकर विधवाओं से संबंधित कुरीतियों को समाप्त करने में सहयोग मांगा है।

झिंजाड़े ने ‘पीटीआई-भाषा’ से बातचीत में कहा कि वह चाहते हैं कि गांवों में ग्राम सभाओं और पंचायतों के माध्यम से विधवा संबंधी प्रथाओं को जड़ से समाप्त किया जाए।

उन्होंने कहा, ‘‘आज भी विधवाओं को मंगलसूत्र, चूड़ियां, बिछुए और रंगीन कपड़े हटाने जैसे अमानवीय रीति-रिवाजों का सामना करना पड़ता है। उन्हें सामाजिक और पारिवारिक आयोजनों से भी बहिष्कृत कर दिया जाता है, जो मानवाधिकारों का उल्लंघन है।’’

झिंजाड़े ने बताया कि 17 मई 2022 को कोल्हापुर जिले के हेरवाड गांव ने ग्रामसभा में प्रस्ताव पारित कर विधवाओं से जुड़ी परंपराओं पर प्रतिबंध लगाने वाला पहला गांव बनकर मिसाल पेश की थी और इसके बाद महाराष्ट्र प्रशासन ने सभी प्रमुख अधिकारियों तथा ग्राम पंचायतों को ऐसी भेदभावपूर्ण प्रथाओं को समाप्त करने का निर्देश जारी किया।

उन्होंने कहा कि इस पहल से प्रेरणा लेकर महाराष्ट्र की 7,000 से अधिक ग्राम पंचायतों ने ग्रामसभाओं के माध्यम से विशेष समितियां बनाईं, जिनका उद्देश्य विधवा प्रथाओं को खत्म करना और इसके खिलाफ सार्वजनिक रूप से आवाज उठाना है।

एनसीडब्ल्यू प्रमुख को भेजे गए पत्र में झिंजाड़े ने कहा कि महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के माध्यम से इसी तरह के जागरूकता और नीतिगत अभियान पूरे देश में चलाए जा सकते हैं ताकि सामाजिक बुराई को जड़ से समाप्त किया जा सके।

भाषा योगेश नेत्रपाल

नेत्रपाल

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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