नयी दिल्ली, 21 अप्रैल (भाषा) हिंदू कुश हिमालय (एचकेएच) क्षेत्र में इस वर्ष नवंबर और मार्च के बीच हिमाच्छादन या बर्फ का स्तर सामान्य से 23.6 प्रतिशत कम रहा, जो पिछले 23 वर्षों में सबसे कम है। अंतर-सरकारी संस्था ‘इंटरनेशनल सेंटर फॉर इंटीग्रेटेड माउंटेन डेवलपमेंट’ (आईसीआईएमओडी) ने सोमवार को जारी 2025 की एचकेएच ‘स्नो अपडेट रिपोर्ट’ में यह जानकारी दी।
यह लगातार तीसरा साल है जब इस क्षेत्र में मौसमी हिमाच्छादन सामान्य से कम रहा।
रिपोर्ट में कहा गया है कि सर्दियों में जमीन पर पड़ी रहने वाली बर्फ या तो तेजी से पिघल रही है या अपेक्षित मात्रा में नहीं गिर रही है। बर्फ पिघलने से बनने वाला पानी ही नदियों का रूप लेता है।
आईसीआईएमओडी महानिदेशक पेमा ग्यामत्शो ने कहा कि कार्बन उत्सर्जन एचकेएच क्षेत्र में बर्फ की कमी का कारण है।
ग्यामत्शो ने कहा, ‘इस क्षेत्रीय हिम संकट तथा इसके कारण दीर्घकालिक खाद्य, जल और ऊर्जा के लिए उत्पन्न चुनौतियों से निपटने के लिए, हमें तत्काल विज्ञान आधारित, दूरदर्शी नीतियों की ओर एक आदर्श बदलाव को अपनाने तथा सीमापार जल प्रबंधन और कार्बन उत्सर्जन न्यूनीकरण के लिए नए सिरे से क्षेत्रीय सहयोग को बढ़ावा देने की आवश्यकता है।’
रिपोर्ट के अनुसार, बर्फ पिघलने से प्रमुख नदी घाटियों में कुल वार्षिक जल प्रवाह में औसतन करीब 23 फीसदी का योगदान होता है।
हालांकि, इस वर्ष बर्फ की चादर सामान्य स्तर से 23.6 फीसदी कम थी, जो पिछले 23 वर्षों में सबसे कम दर्ज की गई।
रिपोर्ट के अनुसार, पिछले करीब दो दशक में गंगा घाटी में बिछी बर्फ की चादर सामान्य से 24.1 प्रतिशत कम हो गई। ब्रह्मपुत्र घाटी में यह 27.9 प्रतिशत कम हो गई।
मेकोंग और सालवीन नदी घाटियों में स्थिति और भी गंभीर है, जहां बर्फ की चादर क्रमशः 51.9 प्रतिशत और 48.3 प्रतिशत कम हसे गई है।
आईसीआईएमओडी विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि यदि बर्फ का स्तर इसी तरह कम होना जारी रहा तो क्षेत्र को जल की कमी का सामना करना पड़ सकता है, जिससे भूजल पर निर्भरता बढ़ जाएगी और सूखे का खतरा बढ़ जाएगा।
विशेषज्ञों ने जल संकट से निपटने के लिए सरकारों से त्वरित कदम उठाने की अपील की है।
भाषा राखी वैभव
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