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शनिवार, 10 मई, 2025
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पंजाब के बठिंडा में पाकिस्तानी हमलों के निशान, धुआं, छर्रे और मलबा

दिप्रिंट को जानकारी मिली है कि बठिंडा में पाकिस्तान द्वारा किए गए हमलों की कम से कम 4 कोशिशों को भारतीय सुरक्षा बलों ने अपनी वायु रक्षा प्रणालियों से नाकाम कर दिया.

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बठिंडा: गुरुवार रात को हुए जोरदार धमाके के बाद से 6 महीने का एक डॉकसंड लगातार भौंक रहा है. उसने न तो कुछ खाया है और न ही सोया है.

बठिंडा के तुंगवाली गांव में 68-वर्षीय गुरजंत सिंह के घर में हुए धमाके की आवाज़ और दीवारों से गिरते मलबे और कांच ने उनके परिवार को झकझोर कर रख दिया.

जब दहशत फैल गई, तो सिंह ने सभी से एक साथ रहने और बाहर नहीं निकलने को कहा. शुक्रवार सुबह सुरक्षा बलों और मीडिया ने उनके दरवाज़े पर दस्तक दी, तब तक कोई भी घर से बाहर नहीं निकला.

तभी उन्होंने नुकसान देखा. परिवार के ट्रैक्टर में छर्रे घुस गए थे और बरामदे में कांच के टुकड़े बिखरे पड़े थे, जो इस बात का सबूत दे रहे थे कि विस्फोट सिंह परिवार के कितने करीब हुआ था.

सिंह की पोतियां रोने लगीं, लेकिन सिंह ने उन्हें शांत करते हुए कहा कि उन्हें रब से दुआ मांगनी चाहिए.

सिंह ने दिप्रिंट को बताया, “जैसे ही मैंने आवाज़ सुनी, मुझे पता चल गया कि यह क्या था, लेकिन मैंने उन्हें नहीं बताया. मैंने उनसे सिर्फ इतना कहा कि वह हमारे और हमारी रक्षा करने वाले सभी लोगों के लिए प्रार्थना करते रहें. सुबह जब मैं बाहर निकला, तभी मुझे इसका असर दिखाई दिया.”

तुंगवाली में विस्फोट के लगभग उसी वक्त, बीर तालाब गांव में एक और जोरदार आवाज़ सुनी गई। फोटो: बिस्मी टासकिन/दिप्रिंट
तुंगवाली में विस्फोट के लगभग उसी वक्त, बीर तालाब गांव में एक और जोरदार आवाज़ सुनी गई। फोटो: बिस्मी टासकिन/दिप्रिंट

सुरक्षा बलों और पुलिस अधिकारियों ने छर्रे और अन्य मलबा इकट्ठा किया.

तब से, तुंगवाली में एक खौफनाक सन्नाटा पसरा हुआ है. गांव वाले अपने खेतों के पास छाया में दुबके हैं और हवा में सदमे का माहौल है. वह धीमी आवाज़ में बात कर रहे हैं — कुछ लोग चुपचाप सोच रहे हैं कि क्या अब यहां से चले जाने का वक्त आ गया है, जबकि अन्य लोग उनसे हिम्मत रखने के लिए कह रहे हैं.

सरकारी सूत्रों ने बताया कि पंजाब के बठिंडा में भारतीय सुरक्षा बलों ने अपनी वायु रक्षा प्रणालियों से पाकिस्तान द्वारा किए गए कम से कम चार हमलों को नाकाम किया. पाकिस्तान ने गुरुवार रात जम्मू, राजस्थान और पंजाब के कुछ हिस्सों में भी इसी तरह के प्रयास किए.

6-7 मई दरमियानी की रात को, पहलगाम नरसंहार के जवाब में एक सोची-समझी जवाबी कार्रवाई में, जहां आतंकवादियों ने 26 लोगों की हत्या कर दी थी, भारतीय सुरक्षा बलों ने ऑपरेशन सिंदूर शुरू किया, जिसमें पाकिस्तान और पाकिस्तान प्रशासित कश्मीर में नौ आतंकवादी ठिकानों पर हमला किया गया.

तब से पाकिस्तान ने बिना किसी उकसावे के गोलीबारी की है और पश्चिमी और उत्तरी सेक्टरों में भारतीय सैन्य गढ़ों पर हमला करने की भी कोशिश की है.

इस बीच, बठिंडा जिला अधिकारियों ने जनता को आपातकालीन नियंत्रण कक्ष के दो लैंडलाइन नंबरों के बारे में सूचित किया है. प्रमुख अस्पताल प्रतिष्ठानों को कुछ शर्तों के साथ ब्लैकआउट से छूट दी जा रही है.

बठिंडा के डिप्टी कमिश्नर शौकत अहमद परे ने दिप्रिंट से कहा, “तत्काल बातचीत के वास्ते सभी महत्वपूर्ण प्रतिष्ठानों के लिए एक अलग ग्रुप बनाया गया है, संस्थानों को नियंत्रण कक्ष के नंबर भी शेयर किए गए हैं. प्रतिक्रिया दल सतर्क हैं और किसी भी दिशा के लिए नियंत्रण कक्ष के संपर्क में हैं.”

उन्होंने कहा, “इसके अलावा, फेसबुक और एक्स पर हमारे सोशल मीडिया हैंडल के ज़रिए भ्रामक सूचनाओं से निपटा जा रहा है. इसके अलावा, सही जानकारी प्रसारित करने के लिए नियमित प्रेस ब्रीफिंग आयोजित की जा रही है.”


यह भी पढ़ें: रेड अलर्ट, सायरन और ब्लैकआउट—राजौरी में पाकिस्तान की गोलाबारी में सरकारी अधिकारी और 2 नागरिकों की मौत


डर, घबराहट और तैयारी

तुंगवाली में सिंह की 36-वर्षीय बहू मंदीप कौर परेशान हैं.

मंदीप ने कहा, “आप हमें बताइए, आप मीडिया से हैं. क्या यह हमारे रिश्तेदारों और मायके वालों के पास वापस जाने का वक्त है? ऐसा कुछ कभी नहीं देखा. हमें अपने बच्चों की चिंता हो रही है.”

हालांकि, हर किसी के मन में उनके जैसा डर नहीं है.

तुंगवाली की 35-वर्षीय जसप्रीत कौर ने रोटी बनाते हुए कहा, “हमें क्यों जाएंगे? डरने की कोई बात नहीं है. हमारे जवान हमारी रक्षा के लिए कड़ी मेहनत कर रहे हैं. हमें बस खुद को तैयार रखना है.”

तुंगवाली में विस्फोट के लगभग उसी वक्त, बीर तालाब गांव में एक और तेज़ आवाज़ सुनाई दी.

अब एक रेत की बोरी उस इलाके को ढक रही है जहां एक ड्रोन जैसी वस्तु के अवशेष छेद कर घुस गए थे.

रेत की बोरी उस इलाके को ढक रही है जहां बीर तालाब में ड्रोन जैसी वस्तु गिरी थी | फोटो: बिस्मी टासकिन/दिप्रिंट
रेत की बोरी उस इलाके को ढक रही है जहां बीर तालाब में ड्रोन जैसी वस्तु गिरी थी | फोटो: बिस्मी टासकिन/दिप्रिंट

65 साल के अंग्रेज़ सिंह ने कहा, “पहले हमें लगा कि यह पीछे से आया है. मैं और मेरा बेटा दोनों जाग रहे थे और बस बातें कर रहे थे. घर का पिछला दरवाज़ा ज़ोर से बंद हो गया.”

बीर तालाब गांव में अपने घर में 65 साल के अंग्रेज़ सिंह. उन्हें तेज़ आवाज़ें सुनाई देना याद है और तब से वह ‘एक मिनट के लिए भी’ नहीं सोए हैं | फोटो: बिस्मी टासकिन/दिप्रिंट
बीर तालाब गांव में अपने घर में 65 साल के अंग्रेज़ सिंह. उन्हें तेज़ आवाज़ें सुनाई देना याद है और तब से वह ‘एक मिनट के लिए भी’ नहीं सोए हैं | फोटो: बिस्मी टासकिन/दिप्रिंट

उन्होंने कहा, “मैं जल्दी से देखने गया कि क्या हो रहा है और फिर मैंने ज़मीन पर कुछ पड़ा हुआ देखा. आग लगभग बुझ चुकी थी. जैसे ही मैं आगे की ओर तेज़ी से बढ़ा, एक और आवाज़ आई और ज़मीन पर कुछ बड़ा गिर गया.”

अंग्रेज़ सिंह के घर से 100 मीटर से भी कम दूरी पर वस्तु ज़मीन पर गिरी थी. उनकी छह साल की पोती गुड़िया अपने दादा के साथ इसे देखने के लिए बाहर आने की कोशिश कर रही थीं, लेकिन उनकी मां ने उन्हें रोक दिया.

अंग्रेज़ सिंह की पोती गुड़िया. उन्होंने अपने घर के पास मलबे का निरीक्षण करने की कोशिश की, लेकिन उनकी मां ने उन्हें रोक दिया | फोटो: बिस्मी टासकिन/दिप्रिंट
अंग्रेज़ सिंह की पोती गुड़िया. उन्होंने अपने घर के पास मलबे का निरीक्षण करने की कोशिश की, लेकिन उनकी मां ने उन्हें रोक दिया | फोटो: बिस्मी टासकिन/दिप्रिंट

उन्होंने कहा, “हम अभी भी इस बात को स्वीकार नहीं कर पा रहे हैं कि यह कितना नज़दीक था. तब से कोई भी एक मिनट के लिए भी नहीं सोया है. मैं कल रात से ही बाहर बैठा हूं. आज भी मैं बाहर बैठकर निगरानी करूंगा ताकि मैं अपने परिवार को बिस्तर के नीचे छिपने या घर से बाहर भागने के लिए होशियार कर सकूं.”

इस बीच, पाकिस्तान की सीमा से लगे राज्यों के ग्रामीण ट्रैक्टरों के लिए डीज़ल से लेकर तेल और दूसरी ज़रूरी चीज़ों तक सब कुछ जमा कर रहे हैं.

ब्लैकआउट की वजह से ग्रामीण अब रात में एक साथ बैठकर बातें नहीं करते, बल्कि घर के अंदर ही बंद रहते हैं.

अकालिया कलां गांव के पास थोक मंडी में, जहां कुछ दिन पहले मलबा मिला था, जोगिंदर खालसा अपनी तलवार के साथ बैठे हैं.

72-साल के खालसा ने कहा, “यह मंडी सैकड़ों लोगों की कमाई का ज़रिया है. जब से हमले शुरू हुए हैं, मैंने अंदर सोना बंद कर दिया है. मैं दिन में सोता हूं और पूरी रात जागता हूं, ताकि कुछ होने पर मैं अलर्ट भेज सकूं.”

ज़मीन पर पड़े मलबे के बारे में अधिक जानने की उत्सुकता में स्थानीय लोग वीडियो बनाने के लिए उसके पास जमा हो गए. पुलिस के अनुसार, तभी विस्फोट हुआ और एक व्यक्ति की मौत हो गई तथा आठ अन्य घायल हो गए.

सरपंच पवन कुमार ने कहा, “लोग सभी रोज़मर्रा के सामान को स्टॉक कर रहे हैं. इधर-उधर अफवाहें हैं कि कीमतें बढ़ सकती हैं, यही वजह है कि लोग दुकानों की ओर भाग रहे हैं.”

उनके बगल में खड़ीं 62-वर्षीय जसपाल कौर, जो भारतीय सेना में सेवा करने के बाद सेवानिवृत्त हुए दो पुरुषों की मां हैं, उन्होंने कहा, “अजीब सा माहौल है. लोगों ने दिन में भी खेतों में ज़्यादा वक्त बिताना बंद कर दिया है.”

उन्होंने कहा, “हम अपने पड़ोसियों से मिलने नहीं जाते हैं और जितना हो घर के अंदर ही रहते हैं. हमने पहले ऐसा कुछ नहीं देखा है, लेकिन हम सभी अपने देश के लिए हर संभव तरीके से लड़ने के लिए तैयार हैं.”

खेतों में, दिहाड़ी मज़दूर गुड्डी, उनकी बहनें और उनकी पोतियां बचे हुई मलबे को खोदकर साफ कर रहे हैं. “हम क्या कर सकते हैं? हम गरीब हैं. मकान मालिक ने कहा था कि वह हमें पैसे देगा.”

(इस ग्राउंड रिपोर्ट को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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