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Thursday, 28 March, 2024
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डेडलाइन, एमनेस्टी, नए डेवलपर्स- मुंबई की अटकी हुई झुग्गियों के पुनर्विकास के लिए उद्धव सरकार की योजना

महाराष्ट्र का झुग्गी पुनर्विकास प्राधिकरण (एसआरए) सालों से अटकी योजनाओं को पूरा करने के लिए टेंडर के जरिए चुने गए सूचीबद्ध डेवलपर्स की एक सूची तैयार करेगा.

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मुंबई: उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली महा विकास अघाड़ी (एमवीए) सरकार ने नए डेवलपर्स चुनने, प्रोजेक्ट के फाइनेंसरों को सह-डेवलपर्स के तौर पर नियुक्त करने से लेकर प्रोजेक्ट पूरा करने के लिए सख्त समयसीमा तैयार करके महाराष्ट्र में 500 से ज्यादा रुकी हुई झुग्गी पुनर्विकास योजनाओं को फिर से शुरू करने की योजना को मंजूरी दी है.

राज्य के आवास विभाग के एक अधिकारी ने दिप्रिंट को बताया कि ये योजनाएं सालों से लटकी हुई हैं. प्रभारी डेवलपर्स ने वैकल्पिक आवास के लिए झुग्गी-झोपड़ियों में रहने वालों को किराया देना बंद कर दिया है.

25 मई की अधिसूचना में आवास विभाग ने स्लम पुनर्विकास प्राधिकरण (एसआरए) को निविदा प्रक्रिया के जरिए चुने गए नए डेवलपर्स को ऐसी परियोजनाएं आवंटित करने की अनुमति दी है. एसआरए को एक एमनेस्टी योजना चलाने के लिए भी अधिकृत किया गया है. इस योजना के जरिए प्रोजेक्ट में निवेश करने वाले वित्तीय संस्थान उन्हें पूरा करने के लिए आगे आ सकते हैं. दिप्रिंट के पास अधिसूचना की एक प्रति है.

1955 में मनोहर जोशी के नेतृत्व वाली शिवसेना-भाजपा गठबंधन सरकार ने सभी झुग्गी-झोपड़ियों में रहने वालों को मुफ्त घर देने के मकसद से एसआरए की नींव रखी थी. उस समय, झुग्गियों में रहने वाले मुंबई के तत्कालीन 40 लाख परिवारों के लिए 20 लाख घर बनाने की योजना थी. ये प्रोजेक्ट 1955 से पहले बसी झुग्गियों के लिए था.

हालाकि, तत्कालीन सरकार ने इस योजना की कल्पना जिस रूप में की थी, इसे उस तरीके से लागू नहीं किया जा सका है. 2021-22 की महाराष्ट्र आर्थिक सर्वे रिपोर्ट के अनुसार, एसआरए ने 1995 से अगस्त 2021 तक केवल 20,67 योजनाओं को पूरा किया और 2,23,471 परिवारों का पुनर्वास किया है. यह तत्कालीन शिवसेना-भाजपा सरकार द्वारा निर्धारित लक्ष्य के 5 प्रतिशत से थोड़ा ही ज्यादा है.

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प्रोजेक्ट समय पर पूरा न हो पाने के कुछ कारण बिल्डरों और झुग्गी-झोपड़ी में रहने वालों, दोनों से संबंधित थे. मसलन फ्लोर स्पेस इंडेक्स (अधिकतम अनुमेय फ्लोर एरिया जो एक बिल्डर प्लॉट पर बना सकता है) का पालन न करना और झुग्गी-झोपड़ी में रहने वालों के बीच एकमतता की कमी.

2001 में एस एस तिनिकर कमेटी ने इन योजनाओं को लागू करने में अनियमितताओं पर गंभीर निष्कर्ष निकाले. दिशानिर्देशों में ढील, चुनिंदा डेवलपर्स का पक्ष और अतिरिक्त फंड का वितरण -जैसे कुछ कथित मसले थे जिन्हें कमेटी सामने लेकर आई. तत्कालीन सरकार ने रिपोर्ट को स्वीकार तो कर लिया, लेकिन उस पर अमल नहीं किया.

दिप्रिंट ने एसआरए के मुख्य कार्यकारी सतीश लोखंडे से फोन पर बात करने की कोशिश की, लेकिन इस रिपोर्ट के प्रकाशित होने तक कोई वहां से प्रतिक्रिया नहीं मिली.


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नए डेवलपर्स और एमनेस्टी योजनाओं के लिए टेंडर

आवास विभाग के अधिकारी ने बताया कि कोविड लॉकडाउन और नोटबंदी से कई योजनाएं प्रभावित हुई हैं. अधिकारी ने कहा, ‘इन योजनाओं के प्रभारी निजी डेवलपर्स की वित्तिय हालत ज्यादा अच्छा नहीं रही, जिस वजह से इनमें से बहुत सारी योजनाएं रुकी हुई हैं. और इस बात को लेकर झुग्गी-झोपड़ियों के लोगों के बीच काफी असंतोष है.’

एसआरए, डेवलपर्स और झुग्गी-झोपड़ी में रहने वालों के बीच कई बैठकें हुईं. लेकिन कोई नतीजा निकलकर नहीं आया. अधिकारी ने बताया कि  प्रीमियम और अन्य शुल्कों में डेवलपर्स को दी गई अलग-अलग छूट भी रुकी हुई योजनाओं को पटरी पर लाने में सफल नहीं हो पाई.

सरकार की अधिसूचना के अनुसार, एसआरए बीच में अटकी योजनाओं को पूरा करने के लिए निविदा के जरिए चुने गए सूचीबद्ध डेवलपर्स की एक सूची तैयार करेगा. इस सूची में से चुने गए डेवलपर्स को फिर से इन योजनाओं को सौंप दिया जाएगा.

अधिसूचना में कहा गया है कि जो डेवलपर परियोजना के बिक्री घटक से सरकार को किफायती आवास के रूप में अधिकतम निर्मित क्षेत्र सौंपने का प्रस्ताव रखेगा, उसे प्रोजेक्ट सौंप दिया जाएगा.

25 मई की जारी अधिसूचना में साफ कहा गया है कि एसआरए को रुकी हुई परियोजनाओं को सूचीबद्ध सूची से चुने गए डेवलपर्स को या वित्तीय संस्थानों को फिर से सौंपने पर झुग्गी-झोपड़ियों में रहने वालों की सहमति की जरूरत नहीं होगी.

सरकार की एक एमनेस्टी योजना के तहत, एक विशेष रुके हुए प्रोजेक्ट से जुड़े वित्तीय संस्थान काम पूरा करने के लिए आवास अधिकारियों से संपर्क कर सकते हैं. ऐसे वित्तीय संस्थानों का नाम ‘सह-विकासकर्ता’ या ‘ऋणदाता’ जैसी योजना के आशय पत्र में दर्ज किया जाएगा.

इसके लिए एसआरए ने 2 जून को एक सार्वजनिक नोटिस प्रकाशित किया और ऐसे वित्तीय संस्थानों को अपने प्रपोजल के साथ आगे आने के लिए आमंत्रित किया गया. यह योजना सिर्फ भारतीय रिजर्व बैंक (RBI), भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) या राष्ट्रीय आवास बोर्ड (NHB) द्वारा मान्यता प्राप्त वित्तीय संस्थान के लिए ही है.

वित्तीय संस्थानों को इससे कैसे फायदा मिलेगा, इस बारे में बताते हुए अधिकारी ने कहा, ‘ अलग-अलग वित्तीय संस्थान स्लम पुनर्विकास परियोजनाओं में निवेश करते हैं और डेवलपर्स अक्सर उन्हें अपने निवेश के बदले में बेचने के लिए परियोजना के बिक्री घटक का एक निश्चित हिस्सा देते हैं. कई बार, डेवलपर्स को फंड तो मिलता है, लेकिन वह प्रोजेक्ट के पुनर्वास हिस्से को पूरा नहीं कर पाते और और झुग्गी-झोपड़ियों में रहने वालों को किराया देना बंद कर देते हैं.’

‘ये वित्तीय संस्थान प्रोजेक्ट को टेकओवर नहीं कर सकते क्योंकि वे एसआरए के साथ सूचीबद्ध नहीं हैं. एमनेस्टी योजना अब उन्हें इन योजनाओं को पूरा करने की अनुमति देगी.’

डेडलाइन और जुर्माना

एक औसत स्लम पुनर्विकास परियोजना को पूरा करने के लिए डेवलपर्स और वित्तीय संस्थानों को तीन साल का समय दिया जाएगा.

पहले साल में डेवलपर्स को कम से कम कुल एरिया का 33 फीसदी काम पूरा करना होगा, जबकि दूसरे साल के लिए यह सीमा 66 प्रतिशत निर्धारित की गई है. अधिसूचना के अनुसार, ऐसा न करने वालों पर दंडात्मक कार्रवाई की जाएगी. असामान्य रूप से बड़े दायरे की परियोजनाओं के लिए एसआरए डेवलपर्स के लिए अलग से समय सीमा निर्धारित करेगा.

नए बिल्डरों और वित्तीय संस्थानों के लिए निर्धारित एक और मानदंड यह सुनिश्चित कर रहा है कि पुनर्वास के लिए योग्य झुग्गी-झोपड़ियों में रहने वालों को परियोजना पूरी होने तक समय पर किराया मिलता रहे.

इसके अलावा एसआरए ठप्प पड़ी परियोजनाओं के लिए एक आशय पत्र तभी देगा जब प्राधिकरण और डेवलपर्स कुछ समझौते पर पहुंच जाएंगे कि झुग्गी-झोपड़ी में रहने वालों को अब तक के लंबित किराए का भुगतान कैसे किया जाएगा. अगर ये डेवलपर भी परियोजना को पूरा करने में विफल रहते हैं, तो एसआरए भविष्य में उनसे किसी भी प्रोजेक्ट के प्रस्ताव को स्वीकार नहीं करेगा.

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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