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Saturday, 21 December, 2024
होमदेश8 महीने के बच्चे को थप्पड़ मारने, चूटी काटने और पीटकर बेहोश करने वाली सूरत की बेबीसीटर पुलिस हिरासत में

8 महीने के बच्चे को थप्पड़ मारने, चूटी काटने और पीटकर बेहोश करने वाली सूरत की बेबीसीटर पुलिस हिरासत में

मीतेश और शिवानी पटेल ने अपने घर में लगे सीसीटीवी कैमरे की फुटेज के आधार पर पुलिस से शिकायत के बाद कोमलबेन तांदलेकर को 14 दिन के लिए न्यायिक हिरासत में भेजा गया.

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सूरत: कामकाजी अभिभावक जो अपने बच्चों को बेबीसीटर के भरोसे छोड़कर जाने को मजबूर हैं उन्हें हमेशा आशंका रहती है कि उनका बच्चा बेबीसीटर की लापरवाही या प्रताड़ना के कारण रोता हुआ मिलेगा. फिलहाल, ज्यादातर मामलों में ऐसा कम ही होता है लेकिन सूरत के एक दंपत्ति के मामले में यह दुःस्वप्न सच साबित हो गया. घटना के बाद जो सदमा उन्हें लगा उससे जल्द निजात पाने की संभावना कम ही लगती है.

चार फरवरी को मीतेश और शिवानी पटेल के आठ महीने के ज़ुड़वा बच्चों में से एक निर्वाण को कथित रूप से चारपाई पर कई बार पटका गया, कई बार थप्पड़ मारे गए और उसके कानों को बेबीसीटर ने कई बार चिंकोटियां भी काटीं.

इस कथित प्रताड़ना को सहने में असक्षम रहने के बाद बच्चा बेहोश हो गया और किसी तरह की हलचल उसमें बंद हो गई. दंपत्ति का कहना है कि बेबीसीटर कोमलबेन तांडलेकर ने शिवानी को फोन करके बच्चे की हालत के बारे में सूचना दी. दोनों अभिभावक उस समय काम पर निकले थे.

निर्वाण को तुरंत अस्पताल ले जाया गया. उसका इलाज सूरत के शिशुओं और बच्चों के आनंद अस्पताल में चल रहा है. जहां उसका ब्रेन हैमरेज और दिमाग के अंदरूनी चोट का इलाज हो रहा है.

निर्वाण के अभिभावकों का कहना है कि उन्हें बेबीसीटर के कथित प्रताड़ना की जानकारी सीसीटीवी कैमरे की फुटेज देखने से पता चली, जो उनके घर में लगा था. दिप्रिंट के पास सीसीटीवी की फुटेज उपलब्ध है.

इस घटना के बाद पटेल दंपत्ति ने 26 साल की तांडलेकर के खिलाफ पुलिस में शिकायत दर्ज करवाई. अभियुक्त को सोमवार को 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है और मामले की जांच अडाजन क्षेत्र के रंदेर पुलिस स्टेशन में चल रही है. दिप्रिंट के पास मामले के एफआईआर की कॉपी भी है.

सूरत पुलिस, अडाजन (जी संभाग) के एसीपी, जेआर. देसाई ने दिप्रिंट से बातचीत के दौरान बताया कि ‘हमने अभियुक्त को सीसीटीवी की फुटेज के आधार पर भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 307 (हत्या के प्रयास) और धारा 323 (जानबूझकर चोट पहुंचाने का दंड) के तहत गिरफ्तार किया है. जरूरत पड़ने पर उस पर आईपीसी की दूसरी धाराएं भी लगाई जा सकती हैं.’

दिप्रिंट ने अभियुक्त के पति रविभाई तांडलेकर को कई बार फोन कॉल किए और मैसेज भेजे लेकिन इस रिपोर्ट के लिखे जाने तक कोई जवाब नहीं मिल सका.

पटेल परिवार के सदस्यों में काफी गुस्सा और हताशा है. निर्वाण की दादी कलाबेन पटेल ने दिप्रिंट से हुई बातचीत में बताया कि ‘शुरू-शुरू में बेबीसीटर ठीक ठाक थी लेकिन मेरी समझ में नहीं आता कि उस दिन उसे क्या हो गया था और उसने बच्चे को इतनी बुरी तरह से पीट डाला. बच्चा बेहोश है और उसकी हालत बहुत खराब है.’


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‘हम केयरटेकर को जानते थे लिहाज़ा उसपर भरोसा जताया’

मीतेश और शिवानी पटेल को लगभग आठ महीने पहले जुड़वा बच्चे निर्वाण और निरमान हुए थे.

मई 2021 में इन बच्चों का जन्म डिलीवरी की तारीख से पहले ही हो गया था, बच्चों का वज़न सिर्फ 700-800 ग्राम था, जबकि सामान्य बच्चे का वज़न जन्म के समय 2.5 से 4.5 किलो तक माना जाता है. दोनों बच्चों को दो महीनों तक इनक्यूबेटर में रखा गया था, तब जाकर उन्हें अभिभावकों को घर ले जाने के लिए सौंपा गया.

पटेल दंपत्ति के दोनों सदस्य कामकाजी हैं. मीतेश एक विद्यालय में शारीरिक प्रशिक्षक (पीटी) टीचर हैं और शिवानी आईटीआई कालेज में प्रोफेसर हैं. ऐसे में उन्होंने पिछले साल के सितंबर महीने में जुड़वा बच्चों के लिए बेबीसीटर रखने का फैसला किया.

शिवानी को सुबह 10.30 से 12.30 बजे तक काम पर जाना पड़ता है, लिहाजा उन्होंने बेबीसीटर को बच्चों की देखभाल के लिए सुबह 8 बजे से 1 बजे तक रखा था. मीतेश की मां, कलाबेन इस दंपत्ति के बगल में रहती हैं. वह एक समाज सेविका हैं और अक्सर व्यस्त रहती हैं.

दिप्रिंट से बातचीत के दौरान पटेल ने बताया कि ‘तांडलेकर को उन्होंने इसलिए रखा था क्योंकि हमारा परिवार उसको जानता था और वह मीतेश के एक सहयोगी की पत्नी थी.’

The Patels' residence in Surat | Photo: Purva Chitnis | ThePrint
सूरत में पटेल का घर। फोटोः पूर्वा चिटनिस। दिप्रिंट

शिवानी ने बताया कि ‘जब मीतेश ने बेबीसीटर की जरूरत की बात अपने दोस्त रविभाई को बताई तब उसने सुझाव दिया कि उसकी पत्नी बच्चों की देखभाल कर सकती है और उसे पैसों की जरूरत भी है.’

मितेश के बड़े भाई अमित पटेल ने बताया कि कोमल बेन तांडलेकर को उसकी सेवा के लिए 3,500 रुपये तनख्वाह के तौर पर दी जाती थी.

दिप्रिंट से शिवानी ने बताया कि ‘हम लोग उस पर इसलिए भरोसा करते थे क्योंकि वह हमारे पति के दोस्त की पत्नी थी और सितंबर से दिसंबर महीने के बीच जब मैं अपने मातृत्व अवकाश को पूरा कर रही थी, तो उसका व्यवहार अच्छा था.’

परिवारजनों का कहना है कि निर्वाण के कथित उत्पीड़न के 15-20 दिन पहले तक पड़ोसी उनसे कहते थे कि बच्चों के रोने की आवाज उस समय बहुत आती है जब वे अभियुक्त के साथ अकेले रहते हैं.

कलाबेन ने बताया कि ‘जब हमारे पड़ोसियों ने मुझे बताया कि बच्चे बहुत ज्यादा रोते हैं, तो मैंने अपने बेटे से कहा कि हमें कुछ ऐसी व्यवस्था करनी चाहिए जिससे घर की निगरानी हो. चूंकि सब, उस पर (बेबीसीटर) भरोसा करते थे लिहाजा शुरू-शुरू में हमारी बात नहीं मानी.’


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‘बच्चे न होने पर ताने’

मामले की जांच कर रहे पुलिस अधिकारियों ने बताया कि हो सकता है कि ‘तांडलेकर के पास खुद कोई बच्चे नहीं थे लिहाजा उसने हताशा की हालत में ऐसा किया हो.’ एसीपी देसाई ने दिप्रिंट को बताया कि ‘अभियुक्त की शादी हुए छह साल बीत गए थे लेकिन उसे कोई बच्चे न थे.’

‘कोमलबेन के व्यवहार में साफ तौर पर हताशा के लक्षण दिखाई दिए. हो सकता है कि उस पर शादी के छह साल बाद भी निःसंतान रहने का सामाजिक दबाव रहा हो. पुलिस अधिकारी ने बताया कि अभियुक्त की सास अक्सर उस पर बच्चे न होने के ताने मारती थी.’

पुलिस के मुताबिक शुरुआती जांच से पता चलता है कि अभियुक्त के नाम कोई अपराध का कोई पुराना रिकॉर्ड नहीं हैं. एसीपी देसाई का कहना है कि यह जरूरी है कि जब कोई नौकर रखे तो सबसे पहले उसके बारे में अच्छी तरह से पता कर ले, खासकर जब मामला बच्चों की देखभाल से जुड़ा हो.

देसाई ने कहा, ‘जब भी कोई केयरटेकर रखने की सोचता है तो यह जरूरी हो जाता है कि उसकी पृष्ठभूमि को जांच लिया जाए, जबकि इस मामले में ऐसा नहीं किया गया. अगर कोई खुद यह काम नहीं कर सकता तो उसे पुलिस की मदद लेनी चाहिए.’


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‘बच्चे की हालत गंभीर लेकिन स्थिर है’, बच्चे के डॉक्टर ने बताया

निर्वाण को आनंद अस्पताल में भर्ती कराया गया है, यहीं पर उसका और उसके भाई निरमान का जन्म हुआ था. और प्री-मैच्योर जन्म के कारण यहीं पर उनका इलाज भी किया गया था.

निर्वाण का इलाज कर रहे और चाइल्ड आईसीयू केयर के विशेषज्ञ डॉ. प्रतीक शाह ने दिप्रिंट से बातचीत में कहा, ‘बच्चे की हालत स्थिर लेकिन गंभीर है. उसे अभी भी वेंटिलेटर पर रखा गया है और लगातार निगरानी में है. डॉक्टरों ने उसे अभी नींद की दवा दे रखी है क्योंकि वे नहीं चाहते कि उसके दिमाग पर कोई दबाव हो.’

‘जब बच्चे का सीटी स्कैन शुरू में किया गया, तो पता चला कि उसके दिमाग के दाहिने और बाएं हिस्सों में आंतरिक तौर पर ब्लीडिंग हुई है. 7 फरवरी को हुए एमआरआई रिपोर्ट से यह भी पता चला कि उसके दिमाग की तहों में जख्म हैं, जिसे सीटी स्कैन में नहीं देखा जा सका था. हालांकि, यह जख्म मामूली हैं लेकिन उनकी निगरानी करनी जरूरी है. ये जख्म इसलिए हो गए क्योंकि, बच्चे को अस्पताल लाने में देरी की गई थी.’

डॉ. शाह ने आगे कहा, ‘सिर्फ निर्वाण का इलाज ही नहीं चल रहा है, बल्कि हम बच्चे के अभिभावकों को स्थिति से निपटने के लिए सलाह भी दे रहे हैं. हम अभिभावकों से संपर्क में हैं और संभव है कि अगले तीन या चार दिनों में कोई शुभ सूचना सुनने को मिले. हो सकता है कि बच्चे को वेंटिलेटर से हटा दिया जाए.’

अपनी भावनाओं पर नियंत्रण करते हुए कलाबेन ने बताया, ‘हमें सिर्फ बच्चे के जीवन की चिंता ही नहीं है, बल्कि इस बात का भी तनाव है कि पूरा परिवार किस तरह से इलाज का खर्च उठाएगा. मेरे बेटे और बहू पहले ही प्री-मैच्योर डिलेवरी के समय लगभग 15 लाख रुपये खर्च कर चुके हैं. हम उसके लिए सख्त से सख्त सजा चाहते हैं जिसने हमारे बच्चे का इतना उत्पीड़न किया है. उसकी रिहाई किसी भी तरह से नहीं होनी चाहिए.’

(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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