नई दिल्ली: केंद्र सरकार के तीन कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन की अगुवाई करने वाले किसान संगठनों के समूह संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) ने रविवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम खुला पत्र लिखा और आंदोलनरत किसानों की छह मांगें रखीं.
प्रधानमंत्री को लिखे खुले पत्र में एसकेएम ने कहा कि सरकार को तुरंत किसानों से वार्ता बहाल करनी चाहिए और तब तक आंदोलन जारी रहेगा.
Letter to PM Mr Narendra Modi, from Samyukt Kisan Morcha.
➡️ Subject: Your message to the nation and farmers' message to you#FarmerProtest #FarmLaws
Full letter: pic.twitter.com/BbGkoIGR56— Yogendra Yadav (@_YogendraYadav) November 21, 2021
एसकेएम ने पत्र में लिखा, ‘आपके संबोधन में किसानों की प्रमुख मांगों पर ठोस घोषणा की कमी के कारण किसान निराश हैं.’
इसने पत्र के माध्यम से मांग रखी कि कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन के दौरान किसानों के खिलाफ दर्ज मामले तुरंत वापस लिए जाने चाहिए. साथ ही मोर्चा ने कहा कि कृषि कानून विरोधी आंदोलन के दौरान जिन किसानों की मौत हुई, उनके परिवार को पुनर्वास सहायता, मुआवजा मिलना चाहिए.
गौरतलब है कि पिछले लगभग एक वर्ष से केंद्र के तीन विवादास्पद कृषि कानूनों के खिलाफ पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश सहित देश के विभिन्न हिस्सों के किसान दिल्ली की सीमाओं के पास धरना दे रहे हैं.
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लखनऊ में महापंचायत
वहीं, पहले ही किसान संगठनों ने घोषणा की कि वे न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की गारंटी देने संबंधी कानून के लिए दबाव बनाने के वास्ते सोमवार को लखनऊ में महापंचायत के साथ ही अपने निर्धारित विरोध प्रदर्शनों पर अडिग हैं.
उधर, केंद्र सरकार तीन कृषि कानूनों को निरस्त करने की उनकी मांग को पूरा करने के लिए संसद में विधेयक लाने की तैयारी कर रही है.
सरकारी सूत्रों ने रविवार को कहा कि तीन कृषि कानूनों को रद्द करने से संबंधित विधेयकों को मंजूरी दिए जाने पर बुधवार को केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा विचार किए जाने की संभावना है ताकि उन्हें संसद के आगामी शीतकालीन सत्र में पेश किया जा सके.
आंदोलन का नेतृत्व कर रहे संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) ने कहा कि वे अपने निर्धारित विरोध प्रदर्शन जारी रखेंगे, जिसमें कृषि कानून विरोधी प्रदर्शनों का एक साल पूरा होने के उपलक्ष्य में 29 नवंबर को संसद तक मार्च भी शामिल है.
बता दें कि, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को राष्ट्र के नाम अपने संबोधन में तीन कृषि कानूनों को निरस्त करने की घोषणा की थी जिसके बाद अपनी पहली बैठक में आंदोलनकारी किसान संगठनों के निकाय ने यह फैसला लिया है.
प्रदर्शन स्थलों में से एक सिंघू बॉर्डर पर किसान नेता बलबीर सिंह राजेवाल ने कहा, ‘हमने कृषि कानूनों को निरस्त किए जाने की घोषणा पर चर्चा की. इसके बाद, कुछ फैसले लिए गए. एसकेएम के पूर्व निर्धारित कार्यक्रम पहले की तरह ही जारी रहेंगे. 22 नवंबर को लखनऊ में किसान पंचायत, 26 नवंबर को सभी सीमाओं पर सभा और 29 नवंबर को संसद तक मार्च होगा.’
तीन कानूनों को वापस लेने की मांग को लेकर पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश के आंदोलनकारी किसान पिछले साल नवंबर से दिल्ली की सीमाओं पर तीन जगहों पर बैठे हैं. उनका कहना है कि जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं हो जातीं तब तक वे वापस नहीं जाएंगे.
विपक्षी दलों ने स्थिति के लिए सरकार को दोषी ठहराया. कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने रविवार को कहा कि अतीत में ‘झूठे जुमले’ झेल चुके लोग कृषि कानूनों को निरस्त करने के प्रधानमंत्री के बयान पर विश्वास करने को तैयार नहीं है.
झूठे जुमले झेल चुकी जनता PM की बात पर विश्वास करने को तैयार नहीं!
किसान सत्याग्रह जारी है।#FarmersProtest continues.
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) November 21, 2021
समाजवादी पार्टी (एसपी) ने भी केंद्र की घोषणा को लेकर सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की मंशा पर संशय जाहिर करते हुए कहा कि बीजेपी का दिल साफ नहीं है और वह उत्तर प्रदेश में 2022 में होने वाले विधानसभा चुनाव के बाद इस संबंध में फिर से विधेयक लाएगी.
एसपी ने अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल से ट्वीट किया, ‘‘साफ नहीं इनका दिल, चुनाव बाद फिर लाएंगे बिल (विधेयक).’
"साफ नहीं इनका दिल, चुनाव बाद फिर लायेंगे बिल"
संवैधानिक पद पर बैठे पूर्व भाजपा नेता, महामहिम राज्यपाल श्री कलराज मिश्र और भाजपा सांसद साक्षी महाराज ने कहा "फिर कृषि बिल ला सकती है भाजपा सरकार"
किसानों से झूठी माफी मांगने वालों की ये सच्चाई है!
"किसान लायेंगे बाईस में बदलाव" pic.twitter.com/vkYcKGd7zv
— Samajwadi Party (@samajwadiparty) November 21, 2021
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह ने भी इसी तरह की बात कही है.
उन्होंने कहा, ‘तीनों कृषि कानून वापस लेने का काम देर से हुआ है लेकिन इस अवधि में 700 से ज्यादा किसानों की मौत हो गई है. इन मौतों की जिम्मेदारी कौन लेगा? अब भी लोगों को इस निर्णय पर भरोसा नहीं है क्योंकि बीजेपी के कई लोग कह रहे हैं कि इन कानूनों को फिर से लाया जाएगा.’
शिवसेना सांसद संजय राउत ने मांग की कि तीन कृषि कानूनों के खिलाफ सालभर तक चले विरोध प्रदर्शन के दौरान जान गंवाने वाले 700 से अधिक किसानों के परिजनों को ‘पीएम केयर्स फंड’ से वित्तीय सहायता दी जानी चाहिए.
राउत ने कहा, ‘सरकार को अब अपनी गलती का अहसास हुआ है और उसने कृषि कानूनों को वापस ले लिया है. देश के विभिन्न हिस्सों से मांग है कि जान गंवाने वाले किसानों के परिजनों को आर्थिक मुआवजा दिया जाए.
भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत ने लखनऊ में लोगों से ‘एमएसपी अधिकार किसान महापंचायत’ में शामिल होने का आग्रह किया जिसे किसान संगठनों द्वारा ताकत दिखाने की कवायद माना जा रहा है.
उन्होंने ट्वीट किया, ‘चलो लखनऊ-चलो लखनऊ. सरकार द्वारा जिन कृषि सुधारों की बात की जा रही है वो नकली और बनावटी हैं. इन सुधारों से किसानों की बदहाली रुकने वाली नहीं है. कृषि और किसानों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य को कानून बनाना सबसे बड़ा सुधार होगा.’
सरकार द्वारा जिन कृषि सुधारो की बात की जा रही है। वह नकली व बनावटी है
इन सुधारो से किसानों की बदहाली रुकने वाली नही है
कृषि व किसान के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य को कानून बनाना सबसे बड़ा सुधार होगा#MSP_नहीं_तो_आंदोलन_वहीं #MSP_की_गारंटी_भी_चाहिए @ANI @PTI_News @PMOIndia pic.twitter.com/2uaYpJug4d— Rakesh Tikait (@RakeshTikaitBKU) November 21, 2021
किसान नेता केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा को हटाने की भी मांग कर रहे हैं जिनके बेटे को अक्टूबर में उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी में एक घटना में चार किसानों की मौत के मामले में गिरफ्तार किया गया था.
भारतीय किसान यूनियन की उत्तर प्रदेश इकाई के उपाध्यक्ष हरनाम सिंह वर्मा ने कहा, ‘प्रधानमंत्री ने तीन कृषि कानूनों को निरस्त करने की घोषणा की है, लेकिन उन्होंने यह नहीं बताया कि एमएसपी कानून कब बनेगा. जब तक एमएसपी कानून नहीं बनता और केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा को नहीं हटाया जाता, तब तक आंदोलन जारी रहेगा.’
उत्तर प्रदेश की राजधानी में किसान महापंचायत इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि कृषि पर निर्भर राज्य में अगले साल की शुरुआत में विधानसभा चुनाव है.
लखनऊ के पुलिस आयुक्त डी के ठाकुर ने कहा कि ईको गार्डन में होने वाले कार्यक्रम के लिए सुरक्षा के व्यापक इंतिजाम किए गए हैं.
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