तिरुवनंतपुरम, 14 सितंबर (भाषा) केरल की पूर्व स्वास्थ्य मंत्री और मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी(माकपा) की विधायक के के शैलजा ने कहा कि कोझिकोड में निपाह के मामलों को लेकर चिंता करने की कोई आवश्यकता नहीं है क्योंकि हालात वर्ष 2018 जितने भयानक नहीं हैं।
उन्होंने कहा कि दक्षिणी राज्य में संक्रमण से प्रभावी ढंग से लड़ने और इसके प्रसार को रोकने के लिए नियम और मानक संचालन प्रक्रियाएं (एसओपी) हैं।
वर्ष 2018 में निपाह संक्रमण को प्रभावी ढंग से नियंत्रित करने के लिए शैलजा की काफी प्रशंसा की गई थी। वह पिछली लेफ्ट डेमोक्रेटिक फ्रंट सरकार में स्वास्थ्य मंत्री थीं और उसी वक्त राज्य में पहली बार निपाह के मामले सामने आए थे।
शैलजा ने संवादाताओं से कहा,”वर्ष 2018 में यह हमारे लिए नया वायरस था और हमें इसके संक्रमण से लड़ने का कोई अनुभव नहीं था। अब हमारे पास इसे रोकने के लिए सबकुछ है।”
उन्होंने कहा कि राज्य में निपाह की जांच के लिए प्रतिष्ठान हैं, लेकिन पुणे का नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी (एनआईवी) ही वायरस के संक्रमण की पुष्टि कर सकता है और इसके बारे में जानकारी दे सकता है।
विधायक ने कहा कि राज्य सरकार ने कोविड-19 के दौरान, अलप्पुझा में विषाणु-विज्ञान प्रयोगशाला द्वारा कोविड संक्रमण के जांच से जुड़े परिणाम बताए जाने के लिए केंद्र सरकार से विशेष अनुमति ली थी।
उन्होंने कहा,’जब कोविड का प्रसार अपने चरम पर था तो हमें मेडिकल कॉलेज प्रयोगशालाओं में परीक्षण करने और जांच के परिणम बताने की अनुमति मिली थी। जहां तक निपाह का सवाल है हम परिणाम तभी जारी कर सकते हैं जब हमें केंद्र सरकार से विशेष अनुमति मिलेगी।’
मस्तिष्क को नुकसान पहुंचाने वाला निपाह वायरस अबतक कोझिकोड में दो लोगों की जान ले चुका है जबकि तीन अन्य लोग इससे संक्रमित है।
निपाह वायरस से बुधवार को 24 वर्षीय एक स्वास्थ्यकर्मी की मौत हो गई।
संक्रमित लोगों का इलाज चल रहा है जिसमें से नौ वर्षीय एक बच्चे की हालत गंभीर बनी हुई है। सरकार ने भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) से मोनोक्लोनल एंटीबॉडीज की मांग की है। यह निपाह वायरस संक्रमण के लिए एकमात्र उपलब्ध उपचार है हालांकि अभी तक चिकित्सकीय रूप से इसकी पुष्टि नहीं हुई है।
भाषा अभिषेक शोभना
शोभना
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