scorecardresearch
Thursday, 25 April, 2024
होमदेशसीतारमण की बीमारी एक ‘बहाना’- उर्दू प्रेस ने कहा सदन में महंगाई और GST पर बहस को रोक रही है सरकार

सीतारमण की बीमारी एक ‘बहाना’- उर्दू प्रेस ने कहा सदन में महंगाई और GST पर बहस को रोक रही है सरकार

दिप्रिंट का जायज़ा कि उर्दू मीडिया ने हफ्ते भर की बहुत सी ख़बरों को किस तरह कवर किया, और उनमें से कुछ ने क्या संपादकीय रुख़ इख़्तियार किया.

Text Size:

नई दिल्ली: जैसा कि संसद के पिछले बहुत से सत्रों के साथ हुआ है, इस मॉनसून सत्र की शुरुआत भी विपक्ष के विरोध प्रदर्शन, विपक्षी सांसदों के निलंबन और भारत की पहली आदिवासी राष्ट्रपति को लेकर शब्दों की अशोभनीय जंग के बीच एक झटकेदार ढंग से हुई, जिसे उर्दू प्रेस ने बाक़ायदा कवर किया.

अब बर्ख़ास्त कर दिए गए पश्चिम बंगाल के मंत्री पार्थ चटर्जी और उनकी ‘सहायक’ अर्पिता मुखर्जी को भी पहले पन्नों पर जगह मिली, और कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी तथा मोदी सरकार द्वारा केंद्रीय एजेंसियों के कथित दुरुपयोग पर हुई बहस को भी पहले पन्नों पर ही रखा गया.

दिप्रिंट आपके लिए लाया है साप्ताहिक जायज़ा.

संसद में विरोध प्रदर्शन

नई राष्ट्रपति, एक लड़खड़ाते विपक्षी नेता और आक्रामक विपक्ष के एक साथ आने के साथ संसद के मॉनसून सत्र की हंगामी शुरुआत को सप्ताह के हर दिन, उर्दू अख़बारों के पहले पन्नों पर जगह दी गई.

शुक्रवार को सियासत ने ख़बर दी कि केंद्रीय मंत्री समृति ईरानी ने, जो फिलहाल अल्पसंख्यक मंत्रालय का अतिरिक्त प्रभार भी देख रही हैं, एक सवाल का जवाब देते हुए राज्यसभा को बताया था कि केंद्र के पास अल्पसंख्यकों पर हुए हमलों का कोई डेटा नहीं है. इस ख़बर से सटी लीड हेडलाइन में प्रधानमंत्री को निशाना बनाती कांग्रेस नेता राहुल गांधी की ट्विटर पर की गई टिप्पणियों का हवाला दिया गया था, जिनमें लिखा था: ‘कोई सवाल मत पूछिए, रोज़गार मत मांगिए.’

अच्छी पत्रकारिता मायने रखती है, संकटकाल में तो और भी अधिक

दिप्रिंट आपके लिए ले कर आता है कहानियां जो आपको पढ़नी चाहिए, वो भी वहां से जहां वे हो रही हैं

हम इसे तभी जारी रख सकते हैं अगर आप हमारी रिपोर्टिंग, लेखन और तस्वीरों के लिए हमारा सहयोग करें.

अभी सब्सक्राइब करें

हालांकि, किसी और जगह, राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू का ‘राष्ट्रपत्नी’ कहकर उल्लेख करने के लिए, ये कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी का कथित रूप से ‘जुबान फिसलना’ था, जो पहले पन्ने की सुर्ख़ियां बन रहा था.

इनक़लाब ने शुक्रवार को ख़बर दी कि इस मुद्दे पर कांग्रेस और बीजेपी जंग की राह पर हैं. रिपोर्ट के साथ ही अख़बार ने न सिर्फ चौधरी, बल्कि सोनिया गांधी और समृति ईरानी की भी तस्वीरें छापीं, जो एक दिन पहले ही सदन के वेल में टकराईं थीं.

उसी दिन, रोज़नामा राष्ट्रीय सहारा ने अपने पहले पन्ने पर एक लेख छापा, जिसमें चौधरी का ये कहते हुए हवाला दिया गया था: राष्ट्रपति से मिलने समय मांगा है, उनसे माफी मांगूगा, लेकिन इन ‘पाखंडियों’ से नहीं.’

अख़बार ने आम आदमी पार्टी के तीन राज्यसभा सदस्यों के निलंबन की ख़बर को भी अपने पहले पन्ने पर जगह दी. 27 जुलाई कोसहारा और इनक़लाब दोनों ने अपनी लीड ख़बरों में बताया कि संसद के 19 विपक्षी सदस्यों को एक सप्ताह के लिए ऊपरी सदन से निलंबित कर दिया गया था.

26 जुलाई को इनक़लाब ने पहले पन्ने पर, चार कांग्रेस सांसदों के खिलाफ अनुशानात्मक कार्रवाई की ख़बर के साथ उनका एक फोटो छापा, जिन्हें सत्र की बक़ाया अवधि के लिए निलंबित कर दिया गया था.

28 जुलाई को पहले पन्ने की ख़बर में, सहारा ने लिखा कि हो सकता है कि अगले सप्ताह राज्य सभा में महंगाई पर चर्चा हो जाए.

शुक्रवार को एक संपादकीय में इनक़लाब ने, संसद में विपक्ष की मांग का समर्थन करते हुए लिखा कि महंगाई और बेरोज़गारी को लेकर अभी तक कोई बहस क्यों नहीं हुई है. अख़बार ने लिखा कि ये मुद्दे इतने गंभीर सार्वजनिक महत्व के हैं कि मॉनसून सत्र के शुरू होते ही इन पर चर्चा होनी चाहिए थी, ताकि लोग सुन सकें कि इनके बारे में सरकार का क्या कहना है.

सरकार के इस रुख़ पर बात करते हुए, कि इस चर्चा के लिए सरकार वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के अपनी संक्षिप्त बीमारी से ठीक होने का इंतज़ार कर रही है, अख़बार ने दलील दी कि पहले बहुत बार हुआ है, कि जब दूसरे कैबिनेट मंत्रियों ने किसी ग़ैर-हाज़िर मंत्री की जगह ली, लेकिन ऐसा कभी नहीं हुआ कि उसकी वजह से चर्चा ही बीच में लटकी रही हो.

27 जुलाई को एक संपादकीय में, सहारा ने भी कहा कि सरकार का निर्मला सीतारमण की बीमारी का ज़िक्र करना एक ‘झूठा बहाना’ है, चूंकि वित्त मंत्रालय में दो राज्य मंत्री भी मौजूद हैं. अख़बार का कहना था कि महंगाई, खाद्य पदार्थों पर जीएसटी और बेरोज़गारी जैसे ज्वलंत मुद्दों पर चर्चा करने की बजाय, सरकार ने पहले से तय एजेण्डा के तहत विपक्षी सांसदों को निलंबित किया था.


यह भी पढ़ें : उर्दू प्रेस ने SC द्वारा नुपुर शर्मा की निंदा को भारतीय मुसलमानों की मानसिक स्थिति की झलक बताया


सोनिया से ED की पूछताछ

सप्ताह के दौरान नेशनल हेराल्ड से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में प्रवर्त्तन निदेशालय द्वारा सोनिया गांधी से पूछताछ को, जिसके विरोध में उनकी पार्टी सड़कों पर उतर आई, उर्दू अख़बारों में प्रमुखता से जगह दी गई.

मास्क पहने हुए सोनिया गांधी और बेटी प्रियंका के कार में बैठकर ईडी ऑफिस जाते हुए की फोटो के साथ, सहारा ने 27 जुलाई को पहले पन्ने पर एक लेख छापा, जिसमें कहा गया कि कांग्रेस प्रमुख ने जांच एजेंसी के पास अपना बयान जमा करा दिया है.

इनक़लाब ने भी उसी दिन सोनिया की पूछताछ के खिलाफ कांग्रेस के विरोध प्रदर्शन को अपने पहले पन्ने पर जगह दी. उसने पार्टी का ये कहते हुए भी हवाला दिया कि ‘भारत एक पुलिस राज्य बन गया है.’ अख़बार ने ख़बर दी कि एजेंसी ने सोनिया से दो घंटे तक पूछताछ की थी.

सियासत ने भी इस ख़बर को पहले पन्ने पर ख़बर दी, जिसके साथ छापे गए एक फोटो में पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी को विरोधस्वरूप सड़क पर बैठे दिखाया गया था.

शुक्रवार को ‘अब सोनिया गांधी निशाना हैं’ शीर्षक से एक संपादकीय में सियासत ने लिखा कि सब इस बात को जानते हैं कि पिछले कुछ महीनों में, विपक्षी नेताओं को निशाना बनाने के लिए केंद्रीय एजेंसियों के इस्तेमाल में इज़ाफा हुआ है, जिसमें बहुत सी क्षेत्रीय पार्टियों को भी निशाने पर लिया जा रहा है. अख़बार ने लिखा कि राहुल गांधी के बाद अब ये सोनिया गांधी हैं, जिन्हें निशाना बनाया जा रहा है.

ईरानी के साथ उनकी झड़प का ज़िक्र करते हुए, संपादकीय में कहा गया कि सोनिया गांधी के खिलाफ ऐसी टिप्पणियों के लिए नारेबाज़ी नहीं की जा सकती, जो उन्होंने की ही नहीं थीं.

पार्थ के खिलाफ जांच

अब बर्ख़ास्त कर दिए गए पश्चिम बंगाल मंत्री पार्थ चटर्जी की मुसीबतों को- जिन्हें 23 जुलाई को प्रवर्त्तन निदेशालय ने स्कूल सेवा आयोग के भर्ती अभियान में कथित अनियमितताओं के सिलसिले में गिरफ्तार कर लिया था- उर्दू प्रेस में प्रमुखता से जगह दी गई.

शुक्रवार को इनक़लाब ने उन्हें कैबिनेट मंत्री पद से हटाए जाने की ख़बर को, अपने पहले पन्ने पर जगह दी.

28 जुलाई को अख़बार ने चटर्जी की ‘सहायक’ अर्पिता मुखर्जी के फ्लैट से कैश की बरामदगी की ख़बर को अपने पहले पन्ने पर जगह दी. उसी दिन एक संपादकीय में, अख़बार ने लिखा कि हालांकि चटर्जी के खिलाफ आरोपों की सच्चाई को आंकना मुश्किल है, लेकिन बंगाल अकेला ऐसा सूबा नहीं है जहां भ्रष्टाचार फैला है. अख़बार ने लिखा, ‘ईडी को उन सूबों पर भी नज़र डालनी चाहिए, जहां उसे देखने के लिए नहीं कहा जाता.’

धन शोधन निवारण अधिनियम पर सुप्रीम कोर्ट

बृहस्पतिवार को इनक़लाब,सियासत और सहारा ने अपने पहले पन्नों पर ख़बर दी, कि सुप्रीम कोर्ट ने उन 241 याचिकाओं को ख़ारिज कर दिया, जिनमें धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) ,2002, के कुछ प्रावधानों की संवैधानिक वैधता को चुनौती दी गई थी, और अन्य बातों के साथ एक्ट के अंतर्गत ईडी को दी गई शक्तियों को बरक़रार रखा है.

सहारा ने अपनी रिपोर्ट में लिखा कि अभी तक पीएमएलए के अंतर्गत जांच किए गए कुल 4,700 मामलों में, केवल 313 गिरफ्तारियां हुईं और 388 छापेमारियां की गई हैं.

27 जुलाई को सहारा ने अपने पहले पन्ने पर लिखा, कि ईडी ने ख़बर दी थी कि उसने जम्मू-कश्मीर क्रिकेट एसोसिएशन (जेकेसीए) धन शोधन मामले में, पूर्व जम्मू-कश्मीर मुख्यमंत्री फारूक़ अब्दुल्लाह के खिलाफ पूरक आरोप पत्र दाख़िल कर दिया है.

BJP पर

28 जुलाई को छपे एक संपादकीय में, सियासत ने लिखा कि ऐसा लगता है कि असेम्बली चुनाव हारने के बाद, पिछले दरवाज़े से सूबों में सरकार बनाना बीजेपी की प्रवृत्ति बन गई है, जिसके लिए वो विधायकों या अन्य नेताओं के दलबदल को प्रोत्साहित करती है.

उसी दिनसहारा ने अपने पहले पन्ने पर, एक बीजेपी मोर्चा कार्यकर्त्ता की हत्या के बाद, कर्नाटक में फैले तनाव के बारे में एक लेख छापा.

इस बीच, 27 जुलाई को एक संपादकीय में इनक़लाब ने सवाल उठाया, कि क्या बीजेपी अपने ‘कांग्रेस मुक्त भारत’ के नारे को छोड़ रही है. उसने कुछ बीजेपी नेताओं के बयानात का ज़िक्र किया, जिन्होंने इस तरह की बातें कहीं थीं कि 1962 के युद्ध के बारे में पूर्व पीएम नेहरू की नीति ग़लत हो सकती है, लेकिन उनकी मंशा ग़लत नहीं थी, लोकतंत्र के लिए कांग्रेस का अस्तित्व बने रहना आवश्यक है, और बीजेपी कांग्रेस को समाप्त करना नहीं चाहती. संपादकीय में इस बात पर आश्चर्य व्यक्त किया गया, कि कांग्रेस को लेकर बीजेपी का ह्रदय परिवर्तन हो रहा है.

26 जुलाई को सहारा ने एक लेख में लिखा, कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राजनीतिक दलों से अपील की थी किसी भी व्यक्ति या पार्टी के प्रति अपने विरोध को, वो उस हद तक न ले जाएं कि वो देश के विरोध में बदल जाए. पीएम कानपुर में एक सार्वजनिक कार्यक्रम में बोल रहे थे.

(इस खबर को अंग्रेजी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


यह भी पढ़ें : उर्दू प्रेस ने द्रौपदी मुर्मू की जीत को सराहा, विपक्षी एकता की नाकाम कोशिश पर उठाए सवाल


 

share & View comments