नई दिल्लीः कांग्रेस के दिग्गज नेता सीताराम केसरी का नाम, जिन्होंने 1996 से 1998 तक पार्टी का प्रबंधन किया था, जो मंगलवार को अपनी वेबसाइट से गायब हुए और बाद में पार्टी के पूर्व अध्यक्षों की सूची में फिर शामिल हो गए.
मामला मीडिया के कुछ हिस्सों में आने के बाद उनका नाम सूची में फिर जोड़ा गया जिसमें 1885 से अध्यक्ष के रूप में काम करने वाले कांग्रेस के नेता के रूप में शामिल किया गया है. संशोधित सूची में वेबसाइट पर 1990-2018 की अवधि के दौरान पार्टी प्रमुखों में सोनिया गांधी, पीवी नरसिम्हा राव और केसरी के नाम दिखाया गया है. इससे पहले, गांधी और राव का नाम दो बार सामने आया था जबकि केसरी का नाम छोड़ दिया गया था.
सितंबर 1996 में नरसिम्हा राव के पार्टी अध्यक्ष का पद छोड़ने के बाद केसरी को पार्टी प्रमुख बनाया गया था.
केसरी का कार्यकाल कई विवादों का साक्षी रहा है. सबसे महत्वपूर्ण रहा कांग्रेस का एचडी देवगौड़ा की संयुक्त मोर्चा सरकार से समर्थन वापस लेना, जिसके कारण अप्रैल 1997 में सरकार गिर गई.
इसके बाद कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक में उनके अध्यक्ष पद से हटने के बाद सोनिया गांधी को अध्यक्ष बनाया गया. उनके निष्कासन को कुछ लोग पार्टी संविधान के साथ विश्वासघात मानते हैं.
मार्च 1998 में अपने पद से हटने के बाद, अप्रैल 2000 में अंतिम कार्यकाल समाप्त होने पर उन्होंने राज्यसभा के लिए पार्टी की उम्मीदवारी से मना कर दिया था.
पार्टी में उभरे हैं कई विवाद
गौरतलब है कि जब से पार्टी 2019 का लोकसभा चुनाव हारी है तब से पार्टी में कई विवाद उभरकर सामने आ रहे हैं. हाल ही में पार्टी की सोशल मीडिया प्रभारी दिव्या स्पंदना भी अपने ट्विवटर से हैंडल से गायब हैं. उनका ट्विटर हैंडल डिलीट दिखा रहा है. वहीं पार्टी ने अपने तमाम प्रवक्ताओं को न्यूज चैनलों की डिबेट में एक महीने के लिए जाने से रोक दिया है.