नयी दिल्ली, 12 सितंबर (भाषा) गुजरात के जामनगर स्थित प्राणी बचाव एवं पुनर्वास केंद्र, वनतारा के मामलों की जांच कर रहे उच्चतम न्यायालय द्वारा नियुक्त विशेष जांच दल (एसआईटी) ने शुक्रवार को एक सीलबंद लिफाफे में रिपोर्ट सौंपी।
न्यायमूर्ति पंकज मिथल और न्यायमूर्ति पी.बी. वराले की पीठ ने शीर्ष अदालत के पूर्व न्यायाधीश जे. चेलमेश्वर की अध्यक्षता वाली एसआईटी के वकील द्वारा रिपोर्ट पेश किए जाने के बाद इसे रिकॉर्ड में ले लिया।
पीठ ने कहा, ‘‘इस अदालत द्वारा गठित विशेष जांच दल ने एक सीलबंद लिफाफे में एक रिपोर्ट और एक पेन ड्राइव जमा कर दी है, जिसमें रिपोर्ट और उसके अनुलग्नक भी शामिल हैं। इसे स्वीकार किया जाता है और इसे रिकॉर्ड में शामिल करने का निर्देश दिया जाता है।’’
मामले की सुनवाई संभवतः 15 सितंबर को होगी।
शीर्ष अदालत ने मीडिया और सोशल मीडिया में आई खबरों तथा गैर सरकारी संगठनों और वन्यजीव संगठनों की विभिन्न शिकायतों के आधार पर वनतारा के खिलाफ अनियमितताओं का आरोप लगाने वाली दो जनहित याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए पूर्व न्यायाधीश की अध्यक्षता में चार सदस्यीय एसआईटी का गठन किया।
व्यापक आरोपों को देखते हुए, शीर्ष अदालत ने कहा कि निजी प्रतिवादी या किसी अन्य पक्ष से जवाब आमंत्रित करने से कोई खास फायदा नहीं होगा।
न्यायालय ने कहा कि सामान्यतः ऐसे निराधार आरोपों पर आधारित याचिका कानूनी तौर पर विचार के योग्य नहीं होती, बल्कि उसे समय रहते खारिज कर दिया जाना चाहिए।
शीर्ष अदालत ने कहा कि न्यायमूर्ति चेलमेश्वर के अलावा, एसआईटी के अन्य सदस्यों में न्यायमूर्ति (सेवानिवृत्त) राघवेंद्र चौहान (उत्तराखंड और तेलंगाना उच्च न्यायालयों के पूर्व मुख्य न्यायाधीश), मुंबई के पूर्व पुलिस आयुक्त हेमंत नागराले और भारतीय राजस्व सेवा के पूर्व अधिकारी अनीश गुप्ता शामिल हैं।
आदेश में कहा गया है कि यह न तो याचिकाओं में लगाए गए आरोपों पर कोई राय व्यक्त करता है और न ही इसे किसी भी वैधानिक प्राधिकरण या वनतारा की कार्यप्रणाली पर कोई संदेह पैदा करने वाला माना जा सकता है।
शीर्ष अदालत ने एसआईटी को भारत और विदेश से पशुओं, विशेष रूप से हाथियों को लाने, वन्य जीव (संरक्षण) अधिनियम और उसके तहत चिड़ियाघरों के लिए बनाए गए नियमों के अनुपालन, वनस्पतियों और जीवों की लुप्तप्राय प्रजातियों के व्यापार पर अंतरराष्ट्रीय समझौता, आयात-निर्यात कानूनों और जीवित पशुओं के आयात और निर्यात से संबंधित अन्य वैधानिक आवश्यकताओं की जांच करने और अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया।
एसआईटी को पशुपालन, पशु चिकित्सा देखभाल, पशु कल्याण के मानकों, मृत्यु दर और उसके कारणों, जलवायु परिस्थितियों के संबंध में शिकायतों और औद्योगिक क्षेत्र के निकट स्थान से संबंधित आरोपों, वैनिटी या निजी संग्रह के निर्माण, प्रजनन, संरक्षण कार्यक्रमों और जैव विविधता संसाधनों के उपयोग के संबंध में शिकायतों के अनुपालन की जांच करने का आदेश दिया गया।
भाषा सुभाष माधव
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