कोट्टायम (केरल), 27 मई (भाषा) बलात्कार मामले में जालंधर के पूर्व बिशप फ्रैंको मुलक्कल के खिलाफ विरोध प्रदर्शन का चेहरा रहीं सिस्टर अनुपमा ने नन अवस्था त्याग दी और कैथोलिक कॉन्वेंट छोड़कर सामान्य जीवन में लौट आई हैं।
कई वर्षों तक वह कुराविलंगड स्थित कॉन्वेंट में रह चुकी हैं, जो जालंधर के लैटिन कैथोलिक डायोसीज़ के अंतर्गत काम करता है।
सिस्टर अनुपमा के नेतृत्व में ननों के एक समूह ने एक पीड़ित नन की ओर से लड़ाई लड़ी थी, जिसने मुलक्कल पर कई बार बलात्कार करने का आरोप लगाया था।
चर्च के एक सूत्र ने पीटीआई-भाषा से कहा, ‘‘उन्होंने कुछ समय पहले नन अवस्था त्याग दी थी और कॉन्वेंट छोड़ दिया था।’’
हालाँकि, चर्च ने इस बारे में अधिक जानकारी नहीं दी कि उन्होंने कब इस्तीफा दिया और अचानक किस वजह से उन्होंने ऐसा किया।
सार्वजनिक चकाचौंध से दूर रहना पसंद करने वाली अनुपमा ने भी अपने नए फैसले के बारे में अभी तक मीडिया से बात नहीं की है।
अलप्पुझा की मूल निवासी अनुपमा या उनका परिवार टिप्पणी के लिए उपलब्ध नहीं था।
पीड़ित नन ने आरोप लगाया था कि मुलक्कल ने 2014 से 2016 के बीच कोट्टायम स्थित कॉन्वेंट में अपने दौरे के दौरान उसके साथ बलात्कार किया था। उस समय मुलक्कल पंजाब के जालंधर डायोसीज के बिशप थे।
मुख्य रूप से सिस्टर अनुपमा ने ही पीड़ित नन की ओर से मीडिया से बात की थी और कड़ी कार्रवाई की मांग करते हुए सार्वजनिक विरोध प्रदर्शन का नेतृत्व किया था।
नन के साथ बलात्कार करने के आरोप लगने के बाद मुलक्कल को 2018 में पोप फ्रांसिस ने अस्थायी रूप से उनकी पादरी संबंधी जिम्मेदारियों से मुक्त कर दिया था। उन्होंने 2023 में जालंधर बिशप के पद से इस्तीफा दे दिया था।
इससे पहले, केरल की एक स्थानीय अदालत ने बलात्कार के मामले में उन्हें बरी कर दिया था।
चर्च सूत्रों के अनुसार, जालंधर डायोसीज के बिशप एमेरिटस फ्रैंको मुलक्कल वर्तमान में कोट्टायम में प्रार्थना मिशन का नेतृत्व कर रहे हैं।
भाषा
नेत्रपाल मनीषा
मनीषा
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