नयी दिल्ली, 14 मई (भाषा) दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति को शहर के नालों और अंततः यमुना नदी में अशोधित मलजल के बहाव पर 10 दिनों के भीतर एक विस्तृत कार्य योजना प्रस्तुत करने का निर्देश दिया गया है।
दिल्ली के पर्यावरण मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा ने ‘पीटीआई भाषा’ को बताया कि उन्होंने दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (डीपीसीसी) को सात दिनों के भीतर जांच पूरी करने और 10 दिन की कार्य योजना प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है, जिसमें विभाग की जिम्मेदारियां, समयसीमा और शहर के नालों में अवैध रूप से मलजल का बहाव रोकने के उपायों का स्पष्ट उल्लेख हो।
अधिकारियों के अनुसार, अनधिकृत कॉलोनियों से मलजल के अवैध बहाव को रोकने में विफल रहने के लिए दिल्ली जल बोर्ड (डीजेबी) पर 18.54 करोड़ रुपये का पर्यावरण मुआवजा लगाया गया है।
सिरसा ने कहा कि डीपीसीसी ने राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) को सौंपी गई रिपोर्ट में पुष्टि की है कि 58 बस्तियों से अनुपचारित मलजल यमुना नदी की ओर जाने वाले नालों में बह रहा है।
पूर्व में दी गई चेतावनियों और फरवरी 2025 में लगाए गए जुर्माने के बावजूद, जमीनी स्तर पर स्थिति अपरिवर्तित बनी हुई है।
इसे पूर्ववर्ती प्रशासन की प्रशासनिक विफलता का प्रत्यक्ष परिणाम बताते हुए सिरसा ने कहा, ‘यह चौंकाने वाला और अस्वीकार्य है कि अदालती हस्तक्षेप, विनियमन और 18 करोड़ रुपये के जुर्माने के बावजूद यमुना में अवैध प्रवाह हो रहा है।’
उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि पिछली सरकार में मुख्यमंत्री कार्यालय इस संकट के प्रति उदासीन रहा।
उन्होंने आरोप लगाया कि पूर्व मुख्यमंत्री आतिशी के पास जल, वित्त और शिक्षा सहित कई विभाग थे, लेकिन उन्होंने कोई सुधारात्मक कार्रवाई नहीं की।
भाषा
शुभम अविनाश
अविनाश
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