नयी दिल्ली, तीन जुलाई (भाषा) बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) को लेकर विवाद के बीच मुख्य निर्वाचन आयुक्त (सीईसी) ज्ञानेश कुमार ने बृहस्पतिवार को कहा कि इस प्रक्रिया से यह सुनिश्चित होगा कि सभी पात्र लोगों के नाम मतदाता सूची में शामिल हों।
उन्होंने यह भी कहा कि 22 वर्ष के अंतराल के बाद किया जा रहा पुनरीक्षण सभी राजनीतिक दलों की सक्रिय भागीदारी के साथ तय कार्यक्रम के अनुसार जारी है।
कई विपक्षी दलों ने दावा किया है कि इस प्रक्रिया से कई लोग मताधिकार से वंचित हो जाएंगे। विक्षी दलों के इस दावे के बीच सीईसी ने गहन पुनरीक्षण का बचाव किया।
बूथ स्तर के अधिकारियों के एक समूह को संबोधित करते हुए कुमार ने कहा कि बिहार में पुनरीक्षण का क्रियान्वयन पारदर्शी तरीके से सभी चुनाव कर्मियों और सभी राजनीतिक दलों की सक्रिय भागीदारी के साथ तय कार्यक्रम के अनुसार जारी है।
सीईसी ने कहा, ‘कुछ लोगों की आशंकाओं के बावजूद एसआईआर यह सुनिश्चित करेगा कि सभी पात्र लोगों के नाम सूची में शामिल हों।’
‘इंडिया’ गठबंधन में शामिल दलों के कई नेताओं ने बुधवार को विशेष गहन पुनरीक्षण को लेकर निर्वाचन आयोग से मुलाकात की थी और यह कवायद कराने के समय को लेकर चिंता जताई थी।
उन्होंने दावा किया था कि विधानसभा चुनाव से ठीक पहले की जा रही इस बड़ी कवायद से बिहार के दो करोड़ से अधिक मतदाता मताधिकार से वंचित हो सकते हैं।
आयोग का कहना है कि वह इस साल बिहार की तरह छह राज्यों में मतदाता सूचियों की गहन समीक्षा करेगा ताकि जन्म स्थान की जांच करके विदेशी अवैध प्रवासियों को बाहर निकाला जा सके।
बिहार में इस साल के अंत में चुनाव होने हैं, जबकि पांच राज्यों – असम, केरल, पुडुचेरी, तमिलनाडु और पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव 2026 में होने हैं।
बांग्लादेश और म्यांमा से आने वाले अवैध प्रवासियों के खिलाफ विभिन्न राज्यों में की जा रही कार्रवाई के मद्देनजर यह कवायद महत्वपूर्ण मानी जा रही है।
भाषा जोहेब सुभाष
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