कोलकाता, चार नवंबर (भाषा) पश्चिम बंगाल में मतदाता सूचियों के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) को लेकर जारी राजनीतिक सरगर्मी के बीच निर्वाचन आयोग मंगलवार से एसआईआर की प्रक्रिया शुरू कर रहा है।
एसआईआर की प्रक्रिया 2026 के विधानसभा चुनाव से पहले एक राजनीतिक रणक्षेत्र में बदल गई है।
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने जहां मतदाता सूचियों में अधिक पारदर्शिता सुनिश्चित करने की दिशा में एक कदम के रूप में एसआईआर का स्वागत किया है, वहीं सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस ने इसके समय और मंशा पर सवाल उठाते हुए आरोप लगाया है कि निर्वाचन आयोग (ईसी) अगले साल होने वाले राज्य चुनाव से पहले मतदाता सूची में हेरफेर करने के लिए भाजपा के दबाव में काम कर रहा है।
दोनों दल एसआईआर को 2026 के विधानसभा चुनाव की प्रस्तावना की तरह देख रहे हैं। वहीं राजनीतिक हलकों में कई लोग इसे ‘‘प्रशासनिक और संगठनात्मक- दो ताकतों के बीच की लड़ाई’’ मान रहे हैं।
चार नवंबर से चार दिसंबर तक बूथ स्तर के अधिकारियों (बीएलओ) द्वारा घर-घर जाकर सत्यापन करने की यह प्रक्रिया पहले ही विवाद का विषय बन चुकी है।
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी मंगलवार को कोलकाता में एक रैली का नेतृत्व करेंगी जिसमें उनकी पार्टी अल्पसंख्यकों और हाशिए पर पड़े समूहों को मताधिकार से वंचित करने के उद्देश्य से किए गए ‘‘राजनीति से प्रेरित संशोधन’’ का विरोध करेगी।
भाजपा ने सत्तारूढ़ दल पर मतदाता सूची में हेराफेरी करने का आरोप लगाया है। प्रशासनिक जानकारी का हवाला देते हुए पार्टी ने दावा किया कि 2024 के लोकसभा चुनाव के दौरान पश्चिम बंगाल की मतदाता सूची में 40 लाख से अधिक ‘‘डुप्लिकेट (एक ही नाम और पहचान के कई लोग) या फर्जी’’ नाम मौजूद थे और उम्मीद है कि एसआईआर से ऐसे कम से कम एक करोड़ नाम हट जाएंगे।
एसआईआर प्रक्रिया के तहत गणना चरण के बाद नौ दिसंबर को मसौदा मतदाता सूची का प्रकाशन किया जाएगा। आठ जनवरी तक आपत्तियां दर्ज कराई जा सकती हैं और अंतिम मतदाता सूची अप्रैल-मई में होने वाले 2026 के विधानसभा चुनावों से ठीक दो महीने पहले सात फरवरी को जारी की जाएगी।
भाषा सुरभि शोभना सिम्मी
सिम्मी
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