तिरुवनंतपुरम, चार नवंबर (भाषा)निर्वाचन आयोग ने मंगलवार को केरल में मतदाता सूची का विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) करने की प्रक्रिया शुरू की। इस प्रक्रिया पर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को छोड़कर अधिकांश राजनीतिक दलों ने चिंता जताई है।
अधिकारियों ने बताया कि बूथ स्तरीय अधिकारियों (बीएलओ) ने गणना फार्म वितरित करने और एकत्र करने के लिए घरों का दौरा करना शुरू कर दिया है।
निर्वाचन आयोग ने 12 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में मतदाता सूचियों का विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) कराने की घोषणा की है, जिनमें चुनावी राज्य केरल, तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल और पुडुचेरी शामिल हैं।
वरिष्ठ चुनाव अधिकारी व्यक्तिगत रूप से सेलिब्रिटी और वीआईपी मतदाताओं के घर जा रहे हैं ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि प्रक्रिया बिना किसी देरी के पूरी हो जाए।
तिरुवनंतपुरम की जिलाधिकारी अनु कुमारी ने कहा, ‘‘हमारी तैयारी गणना पत्र को भरने के लिए देने के साथ उसी दिन एकत्र करने की है, ताकि आना-जाना कम हो और समय की बचत हो।’’
उन्होंने बताया कि यदि निवासी प्रारंभ में उपलब्ध नहीं हों तो बीएलओ अधिकतम तीन बार उनके घरों को जाएंगे।
कुमारी ने बताया, ‘‘हम निवासी संघों से भी मदद मांगेंगे या फोन पर मतदाताओं से पहले ही संपर्क करेंगे।’’
जिलाधिकारी ने स्पष्ट किया कि जिन मतदाताओं के नाम 2002 की सूची से जुड़ी 2025 की सूची में हैं, उन्हें बिना किसी अतिरिक्त दस्तावेज के केवल भरा हुआ फॉर्म जमा करना होगा।
उन्होंने कहा कि जिन लोगों के नाम इन दोनों मतदाता सूची में नहीं हैं, उन्हें निर्वाचन आयोग द्वारा अनुमोदित 12 दस्तावेजों में से एक प्रस्तुत करना होगा।
जिलाधिकारी ने कहा कि अपने निर्वाचन क्षेत्र से बाहर अस्थायी रूप से रहने वाले मतदाता फॉर्म को डाउनलोड कर ऑनलाइन जमा कर सकते हैं, या अपने किसी रिश्तेदार से इसे बीएलओ को सौंप सकते हैं।
विपक्षी दलों की इस आशंका पर कि एसआईआर स्थानीय निकाय चुनाव की तैयारियों को बाधित कर सकता है। जिलाधिकारी ने स्वीकार किया कि अधिकारियों का कार्यभार बढ़ जाएगा, लेकिन साथ ही कहा कि चुनाव ड्यूटी संभालने वालों को एसआईआर जिम्मेदारियों से छूट दी गई है।
उन्होंने बताया कि अंतिम संशोधित मतदाता सूची 7 फरवरी, 2026 को प्रकाशित की जाएगी।
इस बीच, मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने एसआईआर के कार्यान्वयन पर आम सहमति बनाने के लिए बुधवार को ऑनलाइन सर्वदलीय बैठक बुलाई है।
चुनाव अधिकारियों ने आगाह किया है कि राजनीतिक बहिष्कार से पुनरीक्षण प्रक्रिया में बाधा उत्पन्न हो सकती है, क्योंकि सटीकता सुनिश्चित करने के लिए बूथ स्तर के एजेंटों का सहयोग महत्वपूर्ण है।
भाषा धीरज नरेश
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