नई दिल्ली: हरियाणा कैडर के आईएएस अधिकारी आयुष सिन्हा का एक वीडियो कल से सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है, जिसमें पुलिसकर्मियों को विरोध कर रहे किसानों को पीटने और किसी को घेरे को तोड़कर उसके अंदर आने नहीं आने देने की हिदायत दी गई है.
2018 बैच के आईएएस अधिकारी, सिन्हा करनाल जिले में उपमंडल मजिस्ट्रेट के पद पर तैनात हैं. पुलिस ने विरोध कर रहे किसानों पर लाठी चार्ज किया क्योंकि उन्होंने मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर द्वारा आयोजित भाजपा की बैठक के पहले सिक्युरिटी चेक प्वाइंट को तोड़ने की कोशिश की थी. इस घटना में 10 लोग घायल हो गए.
वीडियो में सिन्हा कहते हुए सुनाई दे रहे हैं, ‘उठा के मारना पीछे सबको. किसी निर्देश की कोई जरूरत नहीं, ज़ोर से मारना है. यदि मैं एक भी प्रदर्शनकारी को यहां देखूं तो उसका सिर फूटा हुआ होना चाहिए. कोई शक?’
सिन्हा के निर्देशों के जवाब में पुलिसकर्मी ‘नहीं सर’ कहते सुने जाते हैं.
इंडियन एक्सप्रेस के साथ एक इंटरव्यू में सिन्हा ने बताया कि वीडियो के साथ छेड़छाड़ की गई है. ‘केवल लाठी चार्ज के बारे में एक चयनित भाग सामाजिक मीडिया प्लेटफार्मों पर वायरल किया गया था. उन्होंने अखबार से कहा, मेरी ब्रीफिंग का केवल एक चुनिंदा हिस्सा लीक हो गया था.
दिप्रिंट ने मैसेज और फोन कॉल के माध्यम से उन तक पहुंचने की कोशिश की लेकिन, इस रिपोर्ट के प्रकाशित होने तक कोई जवाब नहीं मिला.
वीडियो के साथ ‘छेड़छाड़’ हुई थी
उपायुक्त निशांत कुमार यादव ने दिप्रिंट से कहा, वीडियो के साथ छेड़छाड़ किया गया है पूरी बात इसमें नहीं दिखाई गई है. पूरा राज्य जानता है कि आयुष हमारे बेहतरीन अधिकारियों में से एक हैं. हम शाम को पूरा वीडियो जारी करेंगे और घटना के बारे में एक प्रेस कांफ्रेंस भी करेंगे.
यादव ने बैठक के लिए शनिवार की सुरक्षा व्यवस्था के बारे में अतिरिक्त ब्योरा साझा करते हुए कहा, ‘जहां सिन्हा को तैनात किया गया था वहां हिंसा नहीं हुई. हमारे पास तीन चेकप्वाइंट्स थे- एक टोल प्लाजा पर, एक शहर के प्रवेश द्वार पर और अंतिम वीआईपी स्थल पर. सिन्हा को वीआईपी पंडाल में तैनात किया गया था.
वह पुलिस को इस बारे में बता रहे थे को कि अगर किसान इस जगह तक पहुंच जाएं तो क्या करना है और क्या नहीं करना. ब्रीफिंग का टाइम सुबह के 9 बजे के आसपास का है.
मुख्यमंत्री कार्यालय के एक सूत्र ने दिप्रिंट को बताया कि अधिकारी से जवाब मांगा गया है और जिला प्रशासन से भी इस बारे में और अधिक जानकारी का इंतजार किया जा रहा है.
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कौन है आयुष सिन्हा?
हिंदुस्तान टाइम्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक सिन्हा ने अपने तीसरे प्रयास में यूपीएससी परीक्षा में 7वीं रैंक हासिल की. इससे पहले उन्होंने राजस्व सेवा में असिस्टेंट कमिश्नर के पद पर ज्वाइन किया था.
ट्रिब्यून की रिपोर्ट में कहा गया है कि सिन्हा ने सेंट एडवर्ड स्कूल, शिमला के साथ-साथ आरके पुरम के दिल्ली पब्लिक स्कूल में पढ़ाई की थी. उन्होंने बिट्स-पिलानी से केमिकल इंजीनियरिंग का कोर्स पूरा किया था.
आयुष के पिता पीके सिन्हा भारतीय वन सेवा में थे जो अतिरिक्त प्रधान मुख्य वन संरक्षक के पद से सेवानिवृत्त हुए थे. उनके मामा अतुल वर्मा हिमाचल प्रदेश में अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (कानून व्यवस्था) थे.
‘सिविल सेवा परीक्षा और सिविल होने के बीच कोई संबंध नहीं’
जब से यह वीडियो वायरल हुआ है, तब से ट्विटर पर सोशल मीडिया पर भारी नाराजगी है. देश भर के नौकरशाहों ने सिन्हा के कार्यों की निंदा करते हुए कहा है कि वह एक सिविल सेवक हैं लेकिन उनके व्यवहार में ‘कोई सभ्यता’ नहीं रही है. ट्विटर पर लोगों ने अदालतों से घटना का संज्ञान लेने और अधिकारी के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने का आग्रह किया है.
किसान समाज के अध्यक्ष अजय वीर जाखड़ ने लिखा, कृपया स्वत: कार्रवाई करें; करनाल के एसडीएम आयुष सिन्हा बार-बार पुलिस को आंदोलनकारी #Farmers के सिर तोड़कर जानलेवा हमले का आदेश देते हुए. हत्या के प्रयास के लिए कार्रवाई करते हुए सेवा से खारिज किया जाए.
To
Punjab & Haryana High Court.
Supreme Court of India.Please take suo moto action;
Video of Karnal's SDM Ayush Sinha repeatedly ordering Police to a murderous assault by breaking heads of agitating #Farmers.
Book for attempt to murder & dismiss from service. @barandbench pic.twitter.com/jhBeCNDA3W
— Ajay Vir Jakhar (@Ajayvirjakhar) August 28, 2021
सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी और भारत सरकार के पूर्व सचिव अनिल स्वरूप ने ट्वीट किया, ‘ऐसे सिविल सेवकों ने पूरी सेवा को शर्मसार कर दिया. उन्होंने इस तथ्य को नजरअंदाज किया कि इस तरह के बयान का इस्तेमाल शायद उनके खिलाफ आपराधिक मामले के लिए किया जाना चाहिए. वह भूल गए हैं कि कोई भी उन्हें बचाने के लिए नहीं आएगा उसकी रक्षा यके लिए कोई नहीं आएगा. इस तरह का अति उत्साह उन्हें मुसीबत में डाल सकता है.
Such civil servants put the entire service to shame. They overlook the fact that such a statement could, perhaps should,be used for a criminal case against them.He forgets that no one will come to protect him.Such over zeal could/should land him in troublehttps://t.co/mIWh9t4dSi https://t.co/VNbwUsTNDS
— Anil Swarup (@swarup58) August 28, 2021
छत्तीसगढ़ काडर के 2009 बैच के आईएएस अधिकारी अवनीश शरण ने लिखा है-‘ सिविल सर्विस एग्जाम पास करने और ‘ सिविल होने के बीच कोई संबंध नहीं है.
There is no correlation between passing the ‘Civil Service Exam’ and ‘being Civil.’
— Awanish Sharan (@AwanishSharan) August 29, 2021
हालांकि, हरियाणा कैडर के अफसरों ने इस घटना की खुलकर निंदा नहीं की है. स्टेट कैडर के एक वरिष्ठ आईएएस अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर दिप्रिंट से कहा, ‘हाल के बैच सोशल मीडिया की लोकप्रियता से गुमराह होने लगते हैं. हमने अतीत में कानून और व्यवस्था की बदतर स्थितियों को संभाला है. लेकिन हमें कानून को अपने हाथ में नहीं लेना है.’
वायरल वीडियो पर सिविल सर्वेंट्स की प्रतिक्रिया के बारे में बात करते हुए अधिकारी ने आगे कहा- इन दिनों नौकरशाही का भी ध्रुवीकरण हो रहा है. हमारे व्हाट्सएप समूहों में इस घटना की किसी ने निंदा नहीं की है, हालांकि विभिन्न काडर से सोशल मीडिया पर नाराजगी देखी है.
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