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Friday, 1 November, 2024
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प्लास्टिक मुक्त हुए गुरुद्वारे, ईंख और धान के छिलके से बनने वाले बर्तनों का होगा इस्तेमाल

दिल्ली सिख गुरुद्वारा कमेटी से जुड़े 18 गुरुद्वारों, 10 कॉलेजों और 14 स्कूलों में प्लास्टिक के इस्तेमाल पर रोक लगाने का नोटिस जारी किया गया है.

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नई दिल्ली: ‘सिंगल यूज़ प्लास्टिक’ के इस्तेमाल पर रोक लगाने की मुहीम में अब धार्मिक स्थल भी शामिल हो गए हैं. गुरु नानक देव की 550वीं जयंती के उपलक्ष्य में ‘दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी’ ने दिल्ली के गुरुद्वारों में प्लास्टिक के बर्तनों और थैलों के इस्तेमाल पर पूरी तरह पाबंदी लगाने का फ़ैसला किया है. प्लास्टिक से बनी प्लेट, कटोरियों और गिलास का पुराना स्टॉक खत्म होते ही गुरुद्वारों में पत्ते, ईंख और धान के छिलके, साथ ही कागज़ से बने प्लेट, चम्मच, गिलास का इस्तेमाल किया जाएगा. बतादें कि गुरुद्वारों में स्टील की प्लेटों का इस्तेमाल पहले से ही किया जा रहा है.

बंगला साहिब गुरूद्वारे में चलेगा रिसाइकल प्लांट, बनाई जाएगी खाद

बंगला साहिब गुरुद्वारे में प्रायोगिक तौर पर एक रिसाइकल प्लांट लगाया है. जिसमें गुरुद्वारे में चढ़ने वाले फूलों और लंगर से निकलने वाले सूखे कचरों जैसे सब्जियों के छिलके आदि को रिसाइकल करके उसकी खाद बनाई जाएगी.’

‘खाद का इस्तेमाल गुरुद्वारों, स्कूलों के बगीचों में किया जाएगा. यह काम अभी प्रायोगिक तौर पर हो रहा है अगले महीने से आधिकारिक रूप में शुरू हो जाएगा.’

ईंख और धान के छिलके से बनने वाले प्लेट, गिलास, चम्मच का होगा इस्तेमाल

दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के परचेज कमेटी के चेयरमैन ‘रमिंदर सिंह स्विटा’ ने दिप्रिंट को बताया, ‘हमारा प्रयास है कि कागज़ के बर्तनों का भी इस्तेमाल न करें क्योंकि गत्ते और कागज़ के प्लेट, गिलास भी पेड़ों को काट कर बनते हैं, इसलिए हमने पत्तों, ईंख और धान के छिलकों से बनने वाले प्लेट, गिलास, चम्मच का ऑर्डर दिया है…अब जो बर्तन इस्तेमाल होंगे वो पूरी तरह पर्यावरण के अनुकूल होंगे.’ बता दें ज्यादातर मथुरा और ओड़िशा से ये बर्तन दिल्ली के थोक बाजारों में आते हैं.

रमिंदर सिंह ने कहा, ‘हमनें दिल्ली सिख गुरुद्वारा कमेटी से जुड़े 18 गुरुद्वारों, 10 कॉलेजों और 14 स्कूलों में प्लास्टिक के इस्तेमाल पर रोक लगाने का नोटिस जारी कर दिया है.’ बता दें कि गुरुद्वारा मैनेजमेंट कमेटी की ओर से बाहर भी जहां कहीं लंगर लगेगा वहां इसी प्लेट, गिलास और चम्मच का इस्तेमाल होगा.

पर्यावरण की रक्षा के लिए बढ़ाता बजट मायने नहीं रखता

प्लास्टिक के बर्तन, पेपर और पत्तों से बने बर्तनों से सस्ते होते हैं. रमिंदर सिंह ने बताया, ‘थर्मोकोल के प्लेट 1 रुपए 70 पैसे के मिलते हैं जबकि, पत्तों, ईंख और धान के छिलके से बनी प्लेट 5 रुपए 50 पैसे की मिल रही है. साथ ही पेपर गिलास की कीमत प्लास्टिक के गिलास से दोगुनी होती है. अब तक हमारा सालाना बजट लगभग 3 करोड़ का होता था लेकिन इस बार का सालाना बजट 5-6 करोड़ तक जाएगा. लेकिन मैं ये ज़रूर कहना चाहूंगा कि पर्यावरण की रक्षा के लिए बढ़ा बजट मायने नहीं रखता.’

कमेटी के इस फ़ैसले की श्रद्धालुओं ने की तारीफ़

हरसिमरन(दर्शनार्थी) का कहना है, ‘गुरुद्वारे में सिंगल यूज़ प्लास्टिक का इस्तेमाल नहीं हो रहा है जिसकी हमें बहुत खुशी है. प्लास्टिक के इस्तेमाल में नुकसान सबका है, इस पर रोक लगाने की जो मुहिम चल रही है इसको सबसे पहले लागू होते मैं यहीं देख रहीं हूं.’ गुरुद्वारे मत्था टेकने आए सुखजिंदर सिंह का कहना है, ‘प्लास्टिक पर बैन लगना चाहिए, पहले प्रसाद पॉलिथीन में मिलते थे लेकिन अब जूट के बैग में मिल रहे हैं ये बहुत अच्छा प्रयास है, सभी धर्मिक स्थलों पर ऐसे प्रयास होने चाहिए.’

बता दें कि बंगला साहिब गुरुद्वारे में पहले चाय प्लास्टिक के कप में दी जाती थी लेकिन अब स्टील के कप का इस्तेमाल हो रहा है. इस साल 2 अक्टूबर से भक्तों को हर दिन ‘प्रसाद’ और फल देने के लिए प्रयोग में लाए जाने वाले करीब 5,000 पॉली बैग और थर्मोकोल कप-प्लेट की जगह पर जूट के बैग और पत्ते की कटोरी का इस्तेमाल शुरू किया गया है.

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