मांडया (कर्नाटक), दो मई (भाषा) कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धरमैया ने शुक्रवार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से संविधान में संशोधन कर आरक्षण की 50 प्रतिशत सीमा को हटाने और निजी क्षेत्र में कोटा सुनिश्चित करने का अनुरोध किया।
सिद्धरमैया ने केंद्र सरकार से आगामी जनगणना में जातिगत गणना के लिए समय सीमा तय करने की भी मांग की।
केंद्र सरकार ने बुधवार को फैसला किया कि आगामी जनगणना में जातिगत गणना को ‘‘पारदर्शी’’ तरीके से शामिल किया जाएगा।
सिद्धरमैया ने कहा, ‘‘हमारा यह कहना है कि सामाजिक-आर्थिक और शैक्षणिक सर्वेक्षण होना चाहिए और संविधान में संशोधन कर आरक्षण की 50 प्रतिशत की सीमा को हटाना होगा, क्योंकि इंदिरा साहनी मामले में उच्चतम न्यायालय ने कहा था कि आरक्षण 50 प्रतिशत से अधिक नहीं होना चाहिए।’’
उन्होंने यहां पत्रकारों के साथ बातचीत के दौरान कहा कि यदि आरक्षण 50 प्रतिशत रहेगा तो सामाजिक, आर्थिक और शैक्षणिक रूप से पिछड़े लोगों को उनकी आबादी के हिसाब से आरक्षण देना संभव नहीं होगा।
उन्होंने कहा, ‘‘समतावादी समाज की स्थापना के लिए उन्हें आरक्षण देना जरूरी है। इसलिए मैं प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से आग्रह करता हूं कि आरक्षण पर 50 प्रतिशत की सीमा को हटाया जाए, निजी क्षेत्र में आरक्षण दिया जाए और जातिवार गणना के लिए समय सीमा तय की जाए।’’
जातिवार गणना की मांग को लेकर राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खरगे के नेतृत्व में कांग्रेस के प्रयासों को रेखांकित करते हुए, मुख्यमंत्री ने कहा, अब दबाव में आकर केंद्र ने अगली जनगणना में जातिवार गणना के लिए सहमति व्यक्त की है, लेकिन उन्होंने सर्वेक्षण के लिए समय सीमा तय नहीं की है।
सिद्धरमैया ने आरोप लगाया कि भाजपा और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) सामाजिक न्याय में विश्वास नहीं करते हैं और इसके प्रति उनकी कोई प्रतिबद्धता नहीं है।
उन्होंने कहा, ‘‘यदि आप सौ साल के इतिहास को देखें, तो उन्होंने मैसूर के महाराजा नलवाडी कृष्णराज वाडियार के शासन के दौरान (1919 में) मिलर आयोग गठित किये जाने के समय से ही, हमेशा इसका (आरक्षण) विरोध किया है। आरएसएस का गठन 1925 में हुआ था। सौ साल हो गए हैं, उन्होंने कभी आरक्षण को स्वीकार नहीं किया, लेकिन कांग्रेस की मांग के बाद वे अगली जनगणना में जातिगत गणना के लिए सहमत हो गए हैं।’’
भाषा सुभाष माधव
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