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शुक्रवार, 13 जून, 2025
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अरुणाचल में सियांग अपर बहुउद्देशीय परियोजना रणनीतिक जरूरत : रीजीजू

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(फाइल फोटो के साथ)

ईटानगर, 10 जून (भाषा) केंद्रीय मंत्री किरेन रीजीजू ने मंगलवार को अरुणाचल प्रदेश में प्रस्तावित 11,000 मेगावाट की सियांग अपर बहुउद्देशीय परियोजना (एसयूएमपी) का समर्थन करते हुए इसे भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए “रणनीतिक आवश्यकता” और राज्य के विकास की खातिर एक परिवर्तनकारी अवसर करार दिया।

रीजीजू ने चीन की सीमा से लगे अरुणाचल में एसयूएमपी का विरोध कर रहे लोगों से इस बारे में खुले दिमाग से सोचने का आग्रह किया। उन्होंने भरोसा दिलाया कि क्षेत्र के लोगों की संस्कृति, जमीन और आजीविका की रक्षा की जाएगी।

एसयूएमपी अरुणाचल प्रदेश में सियांग नदी पर प्रस्तावित एक विशाल बांध परियोजना है, जिसका मकसद न केवल बिजली उत्पादन, बल्कि चीन की ओर से छोड़े गए पानी से उत्पन्न बाढ़ के खतरे से निपटना और नदी के प्राकृतिक प्रवाह को बनाए रखना है।

केंद्र में नरेन्द्र मोदी सरकार के 11 साल पूरे होने के मौके पर ईटानगर में आयोजित एक समारोह को संबोधित करते हुए रीजीजू ने लोगों को यारलुंग त्सांगपो (ब्रह्मपुत्र) नदी के ऊपरी हिस्से में चीन की बढ़ती जलविद्युत गतिविधियों के प्रति आगाह किया, जिनमें दो बड़ी बांध परियोजनाएं (एक ग्रेट बेंड के पास और दूसरी मेडोग में) शामिल हैं।

केंद्रीय अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री रीजीजू ने कहा, “चीन के पास नदियों की दिशा मोड़ने की क्षमता है। यहां तक ​​कि वह पानी का रुख मोड़ने के लिए 1,000 किलोमीटर लंबी सुरंगें भी बना सकता है। हम इस स्तर के जोखिम का सामना कर रहे हैं।”

रीजीजू ने एसयूएमपी को एक रणनीतिक जवाबी उपाय बताते हुए इस बात पर जोर दिया कि अंतरराष्ट्रीय कानून के तहत भारत एक बार जब अपनी परियोजना शुरू कर देता है, तो चीन नदी के प्रवाह को रोक या मोड़ नहीं सकेगा।

उन्होंने कहा, “यह परियोजना राष्ट्रीय हित का मामला है। यह न केवल बिजली उत्पादन के लिए, बल्कि अरुणाचल प्रदेश, असम और यहां तक ​​कि बांग्लादेश में बाढ़ नियंत्रण के लिए भी अहम है।”

रीजीजू ने कहा, “हम वर्षों से यहां पनबिजली परियोजनाओं में निवेश लाने के लिए संघर्ष कर रहे थे। हमें विनती करनी पड़ी, लेकिन कोई आगे नहीं आया। हालांकि, प्रधानमंत्री मोदी ने इसे बदल दिया। उन्होंने कहा कि भारत निवेश करेगा और सुनिश्चित करेगा कि (लोगों को) अरुणाचल की क्षमता का एहसास हो।”

अरुणाचल पश्चिम लोकसभा सीट से सांसद रीजीजू ने बांध के बारे में आदिवासियों सहित अन्य समुदायों की ओर से जताई गई चिंताओं को स्वीकार किया। उन्होंने इन समुदायों को भरोसा दिलाया कि उनकी भावनाओं, सांस्कृतिक विरासत और पारंपरिक कृषि प्रथाओं का सम्मान किया जाएगा।

मंत्री ने कहा, “परियोजनाओं को आगे बढ़ना चाहिए, लेकिन लोगों की पहचान की कीमत पर नहीं। उनकी संस्कृति, भूमि और आजीविका की रक्षा की जाएगी।”

उन्होंने स्थानीय लोगों से परियोजना के बारे में खुले दिमाग से सोचने की अपील भी की।

एसयूएमपी को विस्थापन, रोजगार के नुकसान और पर्यावरणीय प्रभावों की चिंताओं के कारण स्थानीय समुदायों के विरोध का सामना करना पड़ रहा है।

रीजीजू ने कहा, “कुछ विरोध गलत सूचना या निहित स्वार्थों की उपज हो सकता है। ये हमारे अपने लोग हैं, हमें उनके साथ जुड़ना चाहिए और यह सुनिश्चित करना चाहिए कि वे (परियोजना के) दीर्घकालिक फायदों को समझें।”

उन्होंने कहाा, “युवाओं के लिए नौकरियां, बुनियादी ढांचा विकास और आर्थिक तरक्की-ये सभी पनबिजली परियोजना के माध्यम से सुनिश्चित होंगे। अरुणाचल प्रदेश के पास अपने विकास को बढ़ावा देने के लिए कोई अन्य प्रमुख प्राकृतिक संसाधन नहीं है।”

रीजीजू ने संतुलित दृष्टिकोण अपनाने का आह्वान करते हुए कहा कि विकास और संरक्षण साथ-साथ चलना चाहिए।

एसयूएमपी के क्रियान्वयन का जिम्मा राष्ट्रीय जलविद्युत निगम (एनएचपीसी) को सौंपा गया है।

भाषा पारुल सुरेश

सुरेश

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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