बेंगलुरु, चार सितंबर (भाषा) धर्मस्थल मामले की एनआईए जांच के लिए बढ़ते दबाव के बीच कर्नाटक के गृह मंत्री जी परमेश्वर ने बृहस्पतिवार को कहा कि राज्य सरकार ने पहले ही एक विशेष जांच दल (एसआईटी) का गठन कर दिया है और केंद्र को जांच अपने हाथ में लेने के किसी भी कदम को औचित्यपूर्ण ठहराना होगा।
एनआईए जाँच की माँग पर परमेश्वर ने कहा, ‘‘… हमने इसकी जाँच के लिए एक एसआईटी का गठन किया। पहले, वे (धार्मिक नेता) कह रहे थे कि एसआईटी जाँच ही उचित नहीं है। अब वे माँग कर रहे हैं कि मामला एनआईए को सौंप दिया जाए। क्या यह भी एक जाँच नहीं है?’’
वह केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से संतों की मुलाकात और राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) से जांच कराने की मांग पर जोर दिए जाने के बारे में पूछे गए सवाल का जवाब दे रहे थे।
विदेशी फंडिंग के मुद्दे पर उन्होंने कहा, ‘‘स्वाभाविक रूप से, केंद्र सरकार को उस पहलू की जांच करनी होगी क्योंकि राज्य सरकार ऐसा नहीं कर सकती।’’
मंत्री ने संवाददाताओं से कहा कि एसआईटी दक्षिण कन्नड़ जिले के मंदिरों वाले शहर धर्मस्थल में कई हत्याओं और शवों को दफनाने के आरोपों की जांच कर रही है।
परमेश्वर ने कहा, ‘‘यदि जांच में कोई कमी है तो उसे हमारे संज्ञान में लाया जाना चाहिए।’’
यह पूछे जाने पर कि अगर एनआईए औपचारिक रूप से मामला सौंपने के लिए कहती है, तो क्या राज्य सरकार उसका पालन करेगी, मंत्री ने कहा, ‘‘एनआईए को यह बताना होगा कि वह इसकी जाँच क्यों करना चाहती है। अगर वे इसे औचित्यपूर्ण ठहराते हैं तो राज्य सरकार के पास कोई विकल्प नहीं होगा।’’
एसआईटी द्वारा उदय जैन को तलब किए जाने पर टिप्पणी करते हुए उन्होंने कहा, ‘‘मुझे नहीं पता कि एसआईटी को क्या जानकारी मिली है क्योंकि उन्हें हर मामले से जुड़ी जानकारी जुटानी होती है। हो सकता है कि एसआईटी ने मुखबिरों द्वारा दी गई जानकारी के आधार पर उन्हें तलब किया हो। जब तक जाँच पूरी नहीं हो जाती, हर जानकारी साझा नहीं की जा सकती।’’
सौजन्या (जिसका 2012 में धर्मस्थल में अपहरण, बलात्कार और हत्या कर दी गई थी) के मामले की दोबारा जाँच के दावों का खंडन करते हुए परमेश्वर ने कहा, ‘‘मैं इसे दोबारा जाँच नहीं कहूँगा। हमें पता चल जाएगा कि वे (एसआईटी) किस उद्देश्य और किस कड़ी से इसकी जाँच कर रहे हैं। इस समय हम कुछ नहीं कह सकते।’’
यह पूछे जाने पर कि सौजन्या मामले के फैसले के बाद एक एनजीओ द्वारा कथित तौर पर आयोजित बैठकों के बारे में खुफिया जानकारी पर सरकार ने पहले कार्रवाई क्यों नहीं की, परमेश्वर ने जवाब दिया, ‘‘मैं सिर्फ़ पुलिसिंग, क़ानून-व्यवस्था और अपराध से संबंधित मामलों को देखता हूँ। खुफिया जानकारी मुख्यमंत्री के पास है।’’
राजनीतिक नेताओं के धर्मस्थल तक मार्च पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए उन्होंने कहा, ‘‘भगवान मंजूनाथ स्वामी (धर्मस्थल के देवता) सभी के हैं। इस लिहाज़ से वहाँ जाने में कोई बुराई नहीं है-चाहे भाजपा जाए, जनता दल (एस) जाए या कांग्रेस। किसी के भी धर्मस्थल जाने में कोई बाधा नहीं है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘हम बस यही सवाल कर रहे हैं कि धर्मस्थल का मुद्दा सामने आने के बाद वे (भाजपा) वहाँ क्यों गए। सवाल यह उठता है कि वे (भाजपा) वहाँ पहले क्यों नहीं गए। ज़ाहिर है कि इसके पीछे राजनीति है।’’
परमेश्वर ने कहा कि धर्मस्थल में कांग्रेस की रैली भाजपा के जवाब में थी।
उन्होंने कहा, ‘‘चूँकि भाजपा धर्मस्थल गई थी, इसलिए कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने भी वहाँ मार्च किया। अगर वे (भाजपा) वहाँ नहीं जाते, तो कांग्रेस कार्यकर्ता भी वहाँ नहीं जाते। हमें ऐसा ही सोचना चाहिए।’’
विवाद तब शुरू हुआ जब एक शिकायतकर्ता ने दावा किया कि धर्मस्थल में कई शवों को दफनाया गया, जिनमें यौन उत्पीड़न के निशान वाली महिलाओं के शव भी शामिल थे। इस व्यक्ति की पहचान सी एन चिन्नैया के रूप में हुई जिसे बाद में झूठी गवाही देने के आरोप में गिरफ्तार कर लिया गया।
भाजपा ने इस मामले में मंदिर को निशाना बनाए जाने का विरोध किया था। मंदिर के धर्माधिकारी वीरेंद्र हेगड़े ने भी एसआईटी के गठन का स्वागत किया था।
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नेत्रपाल माधव
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