(गुंजन शर्मा)
नयी दिल्ली, 17 फरवरी (भाषा) दुनिया भर में कम से कम 79 शिक्षा प्रणालियों ने स्कूलों में स्मार्टफोन पर प्रतिबंध लगा दिया है, ऐसे में कई देशों में बच्चों की शिक्षा और निजता पर इसके प्रभाव को लेकर बहस जारी है।
‘संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक एवं सांस्कृतिक संगठन’ (यूनेस्को) की वैश्विक शिक्षा निगरानी (जीईएम) टीम के अनुसार, 60 शिक्षा प्रणालियों (या वैश्विक स्तर पर पंजीकृत कुल शिक्षा प्रणालियों का 30 प्रतिशत) ने विशेष कानूनों या नीतियों के माध्यम से 2023 के अंत तक स्कूलों में स्मार्टफोन पर प्रतिबंध लगा दिया है। 2024 के अंत तक 19 और शिक्षा प्रणालियां इस सूची में शामिल हो गईं, जिससे इसकी संख्या बढ़कर 79 (या 40 प्रतिशत) हो गई।
भारत ने अब तक शैक्षणिक संस्थानों में स्मार्टफोन के उपयोग पर कोई विशिष्ट कानून या नीति नहीं बनाई है।
पिछले साल कुछ प्रतिबंध और भी सख्त किए गए हैं। उदाहरण के लिए, चीन के झेंग्झौ शहर ने प्राथमिक और माध्यमिक विद्यालयों में फोन के इस्तेमाल संबंधी प्रतिबंध कड़े कर दिये और अभिभावकों से लिखित सहमति मांगी गई कि क्या फोन वास्तव में शैक्षणिक कारणों से जरूरी है।
फ्रांस में निम्न माध्यमिक स्तर के स्कूलों में ‘‘डिजिटल ब्रेक’’ (डिजिटल उपकरणों से दूरी) का सुझाव दिया गया है। फ्रांस में अन्य शिक्षा स्तरों पर पहले से ही फोन पर प्रतिबंध है।
इसके विपरीत, सऊदी अरब ने चिकित्सा उद्देश्यों के मद्देनजर दिव्यांग समूहों द्वारा विरोध के कारण अपने प्रतिबंध को वापस ले लिया।
‘जीईएम’ टीम के एक वरिष्ठ अधिकारी ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया, ‘‘(शैक्षणिक प्रणालियों के) इस मानचित्रण में संघीय देशों के सभी उप-राष्ट्रीय क्षेत्राधिकारों को शामिल नहीं किया गया है, हालांकि चार का विस्तार से मूल्यांकन किया गया है। उदाहरण के लिए ऑस्ट्रेलिया में नौ क्षेत्रों में से दो (न्यू साउथ वेल्स और साउथ ऑस्ट्रेलिया) ने प्रतिबंध लगाए हैं, जबकि स्पेन में 17 स्वायत्त समुदायों (बास्क कंट्री, स्पेन के पूर्वोत्तर भाग में स्थित एक स्वायत्त समुदाय), ला रियोजा, नवरे) में से तीन को छोड़कर सभी ने प्रतिबंध लगाए हैं।’’
अधिकारी ने कहा, ‘‘अमेरिका के 50 राज्यों में से 20 में अब नियम लागू हैं, जिनमें कैलिफोर्निया में फोन-मुक्त स्कूल अधिनियम से लेकर फ्लोरिडा में ‘के-12’ कक्षाओं में फोन प्रतिबंध, इंडियाना में छात्रों द्वारा पोर्टेबल वायरलेस डिवाइस के उपयोग पर प्रतिबंध तथा ओहायो में एक अन्य प्रतिबंध शामिल हैं।’’
पूर्ण प्रतिबंधों के अलावा, कुछ देशों ने निजता संबंधी चिंताओं के कारण शिक्षा ‘सेटिंग्स’ से विशिष्ट ऐप्लिकेशन के उपयोग पर भी प्रतिबंध लगा दिया है। डेनमार्क और फ्रांस दोनों ने ‘गूगल वर्कस्पेस’ पर प्रतिबंध लगा दिया है, जबकि जर्मनी के कुछ राज्यों ने माइक्रोसॉफ्ट उत्पादों पर प्रतिबंध लगा दिया है।
ये प्रतिबंध शिक्षा के स्तर के अनुसार भी अलग-अलग हैं। अधिकतर देश प्राथमिक स्कूलों पर ध्यान केंद्रित करते हैं और इजराइल जैसे कुछ देश ‘किंडरगार्टन’ स्तर पर ध्यान केंद्रित करते हैं। तुर्कमेनिस्तान जैसे अन्य देशों ने प्रतिबंध को माध्यमिक विद्यालय तक बढ़ा दिया है।
इसके अलावा, महामारी के दौरान 42 में से 39 सरकारों ने ऑनलाइन शिक्षा प्रदान करने के दौरान मोबाइल फोन के उपयोग को बढ़ावा दिया।
एक समीक्षा से पता चला है कि कुछ तकनीक कुछ संदर्भों में सीखने में सहायता कर सकती है, लेकिन जब इसका अत्यधिक उपयोग किया जाता है या अनुचित तरीके से उपयोग किया जाता है, तो ऐसा नहीं हो सकता। कक्षा में स्मार्टफोन होने से पढ़ाई बाधित हो सकती है। 14 देशों में ‘प्री-प्राइमरी’ से उच्च शिक्षा तक के एक अध्ययन में पाया गया कि इससे छात्रों का ध्यान पढ़ाई से भटक जाता है।
‘जीईएम रिपोर्ट’ 2023 के अनुसार, ‘‘सिर्फ मोबाइल फोन पास में होने और उस पर नोटिफिकेशन आने से भी छात्रों का ध्यान पढ़ाई से भटक सकता है।’’
रिपोर्ट के अनुसार, ‘‘एक अन्य अध्ययन में पाया गया कि एक बार ध्यान भटक जाने के बाद छात्रों को पढ़ाई पर फिर से ध्यान केंद्रित करने में 20 मिनट तक का समय लग सकता है। रिपोर्ट में उद्धृत एक अध्ययन के अनुसार, बेल्जियम, स्पेन और ब्रिटेन के स्कूलों से स्मार्टफोन हटाने से पढ़ाई के नतीजों में सुधार हुआ, खासकर उन छात्रों के लिए जो अपने साथियों की तरह अच्छा प्रदर्शन नहीं कर रहे थे।’’
भाषा सुरभि शफीक
शफीक
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