कोलकाता: पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता के अनेक कोविड मरीजों का आरोप है कि संस्थागत देखभाल की मांग करने के बावजूद उन्हें अपने घर पर आइसोलेशन में रहने (होम आइसोलेशन) के लिए बाध्य किया जा रहा है. उनका आरोप है कि बुजुर्ग और सहरुग्णता वाले मरीजों से भी ‘आइसोलेशन बॉन्ड’ भरवाए जा रहे हैं ताकि उन पर खुद आइसोलेशन में रहने का भार डाला जा सके.
ये आरोप ऐसे समय सामने आए हैं जब कोलकाता में कोविड-19 के सक्रिय मामलों की संख्या वहां कोविड अस्पतालों में उपलब्ध बिस्तरों की संख्या से अधिक हो गई है. शुक्रवार को, कोलकाता में सरकारी कोविड अस्पतालों में उपलब्ध 2,222 बिस्तरों और निजी अस्पतालों (पास के शहर भी शामिल) के 2,539 बेड के मुकाबले कोविड के सक्रिय मामलों की संख्या 6,422 थी.
कोलकाता नगर निगम (केएमसी) ने कोविड पॉजिटिव पाए जाने वालों से आइसोलेशन बॉन्ड लिए जाने की बात मानी है, लेकिन अधिकारियों का कहना है कि रोगियों को संस्थागत आइसोलेशन सेंटर का विकल्प चुनने की छूट है. हालांकि अधिकारियों ने महानगर के अस्पतालों पर अत्यधिक दबाव होने की बात भी स्वीकार कर रहे हैं.
पिछले एक महीने के दौरान होम आइसोलेशन में रह रहे तीन से चार कोविड-19 मरीजों की मौत के मामले सामने आने के कारण सरकार की इस रणनीति पर सवाल उठाए जा रहे हैं. विशेषज्ञ इन मौतों को खतरे की घंटी के तौर पर देखते हैं. उनके अनुसार महामारी शुरू हुए पांच महीने बीतने के बाद भी संक्रमण के मामलों के अनुरूप अस्पतालों में बेड उपलब्ध नहीं होना प्रशासनिक नाकामी है.
‘आइसोलेशन बॉन्ड’
इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) के दिशानिर्देशों के अनुसार बिना लक्षण या बीमारी पूर्व के लक्षण वाले मरीजों को होम आइसोलेशन की सलाह दी जाती है. हालांकि, इसके लिए मरीज का घर कतिपय शर्तों पर खरा उतरना चाहिए, जैसे मरीज और उसके परिजनों के बीच पर्याप्त दूरी होने की सुनिश्चितता और स्थानीय अधिकारियों को उनका नियमित रूप से निरीक्षण करना होगा.
दिप्रिंट से बातचीत में कोलकाता के कई कोविड-19 मरीजों ने कहा कि जांच में पॉजिटिव पाए जाने के बाद उन्हें केएमसी से कई बार फोन आए. उनके अनुसार, हर बार केएमसी अधिकारियों ने उन पर दबाव डाला कि वे एक आइसोलेशन बॉन्ड भरकर दें कि घर पर आइसोलेशन में रहने का फैसला उनका ‘खुद का’ है और अपने स्वास्थ्य की स्थिति के लिए वे स्वयं ज़िम्मेवार होंगे.
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कोलकाता के बउबाज़ार इलाके के एक व्यक्ति ने बताया, ‘18 जुलाई को मेरा कोविड टेस्ट पॉजिटिव आया, और 22 जुलाई आते-आते मेरी पत्नी, बच्चे और माता-पिता समेत परिवार के कुल पांच व्यक्ति कोविड-19 की चपेट में आ चुके थे.’
उसने आगे कहा, ‘उसके बाद मुझे केएमसी से कम-से-कम चार बार फोन आया कि मैं स्वास्थ्य विभाग को आइसोलेशन संबंधी शपथ-पत्र जमा कराऊं. मैंने उनसे किसी भी सरकारी या प्राइवेट अस्पताल में सहरुग्णता की स्थिति वाले अपने माता-पिता के लिए दो बेड उपलब्ध कराने का आग्रह किया. लेकिन ये काम उनसे नहीं हो पाया.’
लेक गार्डन इलाके की एक अन्य कोविड रोगी की ऐसी ही कहानी थी. उसने कहा, ‘हमारे वार्ड के चिकित्सा अधिकारी ने हमसे होम आइसोलेशन पर राज़ी होने के बारे में घोषणा पत्र देने को कहा. हमें होम आइसोलेशन की सलाह वाली डॉक्टर की पर्ची की व्यवस्था करने के लिए भी कहा गया. लेकिन मेरे पति का सहरुग्णता का मामला है और हमें अस्पताल में बेड की ज़रूरत है. मेरा आठ साल का बेटा भी कोविड पॉजिटिव पाया गया है.’
‘दबाव नहीं डाला जाना चाहिए’
होम आइसोलेशन संबंधी व्यवस्था के बारे में जानकारी देते हुए केएमसी के डिप्टी मेयर अतिन घोष ने कहा, ‘किसी व्यक्ति के पॉजिटिव पाए जाने पर तीन दस्तावेज जमा कराने होते हैं. पहला दस्तावेज प्रभावित व्यक्ति के लिए उसके किसी परिजन द्वारा दिया गया शपथ-पत्र है. इसके अलावा एक डॉक्टर की पर्ची चाहिए जिसमें उसने होम आइसोलेशन की सिफारिश की हो. प्रभावित व्यक्ति को भी स्व-उपचार के बारे में एक शपथ-पत्र देना होता है जिसमें इस बात का जिक्र हो कि उसे आइसोलेशन के लिए उपयुक्त स्थान उपलब्ध है.’
‘तीनों ही दस्तावेज हाथ से लिखे और हस्ताक्षरित हो सकते हैं, या संबंधित व्यक्ति अपने वार्ड के स्वास्थ्य चिकित्सा अधिकारी से संबंधित फॉर्म प्राप्त कर सकता है. हमने इस संबंध में फॉर्म तैयार कर रखे हैं.’
अस्पतालों के भारी दबाव में होने की बात स्वीकार करते हुए घोष ने कहा कि सामान्य लक्षणों वाले मरीज यदि घर में अलग-थलग होकर नहीं रहना चाहएं तो वे ‘सेफ़ होम’ या संस्थागत आइसोलेशन केंद्रों में भर्ती हो सकते हैं.
कोविड प्रोटोकॉल प्रबंधन संबंधी मुख्यमंत्री के टास्क फोर्स के एक सीनियर सदस्य ने उपरोक्त आरोपों की जानकारी होने से इनकार किया.
टास्क फोर्स के सदस्य ने कहा, ‘हमने स्थानीय निकायों को बिना लक्षण या बीमारी पूर्व के लक्षण वाले मरीजों की देखभाल करने वालों से शपथ-पत्र लेने को कहा है. आईसीएमआर के दिशानिर्देशों के अनुरूप सामान्य लक्षणों वाले मरीज घर पर ही रहने का विकल्प चुन सकते हैं. लेकिन इसके लिए किसी तरह का दबाव नहीं डाला जाना चाहिए.’
कोलकाता के स्कूल ऑफ ट्रॉपिकल मेडिसिन में माइक्रोबायोलॉजी के पूर्व प्रमुख और प्रसिद्ध विषाणु विज्ञानी निमाई भट्टाचार्य के अनुसार ‘ये सरकार की नाकामी है कि उसने मार्च के बाद के चार महीनों में स्वास्थ्य केंद्रों और जांच प्रयोगशालाओं में सुविधाएं बढ़ाने या उनमें सुधार करने का काम नहीं किया.’
भट्टाचार्य ने आगे कहा, ‘पिछले कुछ दिनों में होम आइसोलेशन में रहने वाले रोगियों की मौत के तीन-चार मामले सामने आए हैं. सहरुग्णता की स्थिति वाले बुजुर्ग मरीजों को अस्पताल में ही रखा जाना चाहिए क्योंकि किसी को ठीक से पता नहीं कि वायरस किस प्रकार असर करेगा.’
पिछले सप्ताह 24 से 30 जुलाई की अवधि में पश्चिम बंगाल में कोविड के मामलों में उछाल आया और संक्रमित लोगों की संख्या 53,973 से बढ़कर 67,692 हो गई.
30 जुलाई की आधिकारिक स्वास्थ्य बुलेटिन के अनुसार कोविड के सक्रिय मामलों की संख्या 19,900 थी. ठीक होने वाले रोगियों की दर पिछले दो सप्ताहों के 58 प्रतिशत के मुकाबले बेहतर होकर 68 प्रतिशत पहुंच गई है, लेकिन साथ ही संक्रमण की दर भी बढ़कर 7,74 प्रतिशत हो गई है.
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