नयी दिल्ली, 23 जून (भाषा) ‘शोले’ को भारतीय सिनेमा की अब तक की सबसे ज्यादा पसंद की गई फिल्मों में गिना जाता है, जो फिर से बड़े पर्दे पर अपना जादू बिखेरने वाली है।
पुराने स्वरूप में नयी जान डालते हुए और बिना काट छांट के साथ इसे इटली के बोलोग्ना में ‘आईएल सिनेमा रिट्रोवाटो’ में प्रदर्शित किया जाएगा।
एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया है कि फिल्म के 50 साल पूरे होने के अवसर पर इसकी स्क्रीनिंग 27 जून को पियाजा मैगीओर में होगी।
अमिताभ बच्चन, धर्मेंद्र, हेमा मालिनी, संजीव कुमार, जया बच्चन और अमजद खान जैसे कलाकारों से सजी ‘शोले’ सलीम खान और जावेद अख्तर की लिखी पटकथा पर बनी थी जिसका निर्देशन रमेश सिप्पी ने किया था।
जय, वीरू और ठाकुर जैसे लोकप्रिय किरदारों के साथ-साथ हिंदी सिनेमा के मशहूर खलनायकों में से एक गब्बर सिंह और जुबां पर चढ़ने वाले ढेरों संवादों एवं एक्शन दृश्यों के कारण यह फिल्म काफी पसंद की जाती है।
फिल्म में जय की भूमिका निभाने वाले अमिताभ बच्चन ने कहा, ‘‘जीवन में कुछ चीजें हमेशा के लिए आपके दिमाग में रह जाती हैं। ‘शोले’ ऐसी ही एक फिल्म है।’’
उन्होंने फिल्म की शूटिंग के ‘‘अविस्मरणीय अनुभव’’ को भी याद किया।
बच्चन ने कहा, ‘‘उस समय मुझे नहीं पता था कि यह भारतीय सिनेमा के लिए एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित होगी। असफल घोषित होने से लेकर बॉक्स ऑफिस पर रिकॉर्ड तोड़ प्रदर्शन तक इसकी किस्मत में आए नाटकीय बदलाव ने हम सभी को भावुक कर दिया।’’
उन्होंने कहा, ‘‘यह बहुत अच्छी बात है कि ‘फिल्म हेरिटेज फाउंडेशन’ ने ‘शोले’ को रीस्टोर किया है और इस प्रक्रिया में वे फिल्म के मूल अंत को शामिल रखने के साथ ही उसके कुछ हटाए गए दृश्यों को भी जोड़ने में कामयाब रहे हैं। मुझे उम्मीद है कि 50 साल बाद भी यह फिल्म दुनिया भर में नए दर्शकों को आकर्षित करेगी।’’
वीरू की भूमिका निभाने वाले धर्मेंद्र ने ‘शोले’ को दुनिया का 8वां आश्चर्य बताया।
उन्होंने कहा, ‘‘मैं यह सुनकर रोमांचित हूं कि फिल्म को रीस्टोर किया जा रहा है और मुझे यकीन है कि इसे वैसी ही सफलता मिलेगी जैसी 50 साल पहले मिली थी। सलीम-जावेद के संवाद और रमेश सिप्पी के निर्देशन को कौन भूल सकता है? भारतीय सिनेमा के इतिहास में इसके बहुत से दृश्य मशहूर हुए हैं और हर किरदार सितारा बन गया है। लेकिन असली हीरो तो वो सिक्का था।’’
दिग्गज अभिनेता ने खुलासा किया कि उन्हें शुरू में गब्बर और ठाकुर की भूमिकाओं के बीच विकल्प चुनने को कहा गया था, लेकिन वह वीरू की भूमिका निभाना चाहते थे क्योंकि ‘‘वह (वीरू) मेरे जैसा ही है’’।
उन्होंने कहा, ‘‘मुझे शूटिंग में बहुत मजा आया। मेरे पसंदीदा दृश्यों में टंकी वाला दृश्य, मंदिर वाला दृश्य समेत कई अन्य दृश्य हैं, लेकिन मुझे लगता है कि सबसे प्रभावशाली दृश्य जय की मौत का था, जो आज भी मेरे दिमाग में बसा हुआ है।’’
‘फिल्म हेरिटेज फाउंडेशन’ के निदेशक शिवेंद्र सिंह डूंगरपुर ने कहा, ‘‘‘शोले’ की मेरी पहली याद उस समय की है जब मैं छह साल का था और मुझे याद है कि मैं बहुत दुखी था क्योंकि मेरी मां ने मुझे फिल्म देखने के लिए सिनेमा हॉल जाने की अनुमति नहीं दी थी।’’
उन्होंने कहा, ‘‘मैंने कभी नहीं सोचा था कि 50 साल बाद मुझे सिप्पी फिल्म्स के शहजाद सिप्पी के साथ इस फिल्म को रीस्टोर काम करने का अवसर मिलेगा, जिसे अक्सर अब तक की सबसे महान भारतीय फिल्म के रूप में वर्णित किया जाता है।’’
सिप्पी फिल्म्स का प्रतिनिधित्व करने वाले शहजाद ने इस परियोजना को एक अत्यंत व्यक्तिगत यात्रा बताया।
भाषा सुरभि मनीषा वैभव
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