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Wednesday, 26 June, 2024
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शिवसेना का भाजपा पर वार, ‘सामना में पूछा क्या राष्ट्रपति आपकी जेब में हैं क्या

शिवसेना ने व्यंग्यपूर्ण तरीके से गठबंधन सहयोगी भाजपा से पूछा कि क्या राष्ट्रपति की मुहर राज्य में उसके कार्यालय में पड़ी है?

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नई दिल्ली: महाराष्ट्र में सीएम पद को लेकर चल रही खींचतान के बीच शिवसेना ने शनिवार को फिर भाजपा पर निशाना साधा है. शिवसेना ने अपने मुखपत्र सामना के जरिए भाजपा नेता सुधीर मुंगंतीवार के राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाने वाले बयान पर हमला बोला है. शिवसेना ने अपने मुखपत्र सामना में लिखा,’राष्ट्रपति तुम्हारी जेब में हैं क्या?

शिवसेना ने भाजपा नेता सुधीर मुंगंतीवार के उस बयान की आलोचना की, जिसमें उन्होंने कहा था कि महाराष्ट्र में अगर सात नवंबर तक सरकार नहीं बनी तो प्रदेश राष्ट्रपति शासन की तरफ बढ़ सकता है.

पार्टी ने व्यंग्यपूर्ण तरीके से गठबंधन सहयोगी से पूछा कि क्या राष्ट्रपति की मुहर राज्य में उसके कार्यालय में पड़ी है?

प्रदेश में 24 अक्टूबर को आए विधानसभा चुनावों के नतीजों के बाद से ही सत्ता में साझेदारी को लेकर शिवसेना और भाजपा में उठापटक चल रही है. शिवसेना ने भाजपा को चुनौती दी कि वह प्रदेश में अगली सरकार बनाने का दावा पेश करे. प्रदेश में मौजूदा विधानसभा का कार्यकाल आठ नवंबर को पूरा हो रहा है.

शिवसेना की मुख्यमंत्री पद पर भाजपा के साथ साझेदारी की मांग को सरकार गठन में ‘मुख्य बाधा’ बताते हुए मुंगंतीवार ने कहा था, ‘तय समय में एक नई सरकार बनाना होगा या फिर राष्ट्रपति को हस्तक्षेप करना होगा. अगर तय समय में सरकार गठित नहीं होती है तो राष्ट्रपति शासन लगेगा.’

निवर्तमान महाराष्ट्र सरकार में वित्त मंत्री मुंगंतीवार पर हमला बोलते हुए शिवसेना ने कहा कि उन्होंने राष्ट्रपति शासन लगाने की ‘धमकी’ दी है क्योंकि राजनीतिक समीकरण साधने के लिए जांच एजेंसियों के इस्तेमाल जैसे ‘धमकाने वाले हथकंडे’ महाराष्ट्र में कारगर नहीं है.

शिवसेना ने पार्टी मुखपत्र सामना में सवाल उठाया, ‘मुंगंतीवार द्वारा दी गई इस धमकी से आम लोग क्या समझेंगे? इसका मतलब क्या यह है कि भारत के राष्ट्रपति आपकी (भाजपा की) जेब में हैं या राष्ट्रपति की मुहर महाराष्ट्र में भाजपा के दफ्तर में रखी है?’

सामना के संपादकीय में शिवसेना ने पूछा,’क्या ये लोग यह बताने की कोशिश कर रहे हैं कि महाराष्ट्र में सरकार बनाने में विफल रहने पर भाजपा राष्ट्रपति शासन थोप सकती है.’

‘महाराष्ट्र का अपमान …, क्या राष्ट्रपति आपकी जेब में हैं?’ शीर्षक वाले मराठी संपादकीय में मुंगंतीवार के बयान को ‘अलोकतांत्रिक तथा असंवैधानिक’ बताया गया है.

पार्टी ने कहा, ‘यह बयान संविधान और कानून के शासन के बारे में अल्पज्ञान को दर्शाता है. यह धमकी तय व्यवस्थाओं को दर किनार कर चीजों को अपने मुताबिक करने की दिशा में एक कदम हो सकती है. यह बयान लोगों के जनादेश का अपमान है.’

संपादकीय में आगे लिखा गया है कि जो लोग राष्ट्रपति शासन की बात कर रहे हैं उन्हें पहले प्रदेश में सरकार बनाने का दावा पेश करना चाहिए.

इसमें कहा गया है, ‘राष्ट्रपति संविधान में सर्वोच्च प्राधिकार हैं। यह किसी व्यक्ति के बारे में नहीं, देश के बारे में है। देश किसी की जेब में नहीं है.’

शिवसेना ने यह भी कहा कि सरकार गठन में जारी गतिरोध के लिये उसे दोष नहीं दिया जाना चाहिए. संपादकीय में कहा गया है, ‘सार्वजनिक जीवन में कोई नैतिकता नहीं बची है.’

दिलचस्प बात यह है कि शरद पवार के नेतृत्व वाली राकांपा ने भी शुक्रवार को मुंगंतीवार के बयान को ‘एक तरह की धमकी’ बताकर उसकी आलोचना की थी.

प्रदेश में 21 अक्टूबर को हुए विधानसभा चुनावों में भाजपा को 105 सीटें मिली थीं जबकि 288 सदस्यीय सदन में शिवसेना ने 56 सीटें जीती हैं.प्रदेश में सरकार बनाने के लिये 145 विधायकों के समर्थन की आवश्यकता है.

राष्ट्रपति शासन के बयान के बाद दी सफाई

भाजपा नेता सुधीर मुंगंतीवार ने राष्ट्रपति शासन वाले बयान पर बाद में सफाई भी दी. उन्होंने कहा कि मुझसे पूछा गया था कि यदि तय समय में सरकार नहीं बनती है तो क्या होगा. इस पर मैंने संंविधान के मुताबिक सामान्य उत्तर दिया था कि राष्ट्रपति शासन लगाया जा सकता है. उन्होंने कहा कि मान ​लीजिए की यदि कोई अध्यापक छात्रों के प्रश्नों के उत्तर देता है तो क्या इसे चेतावनी के तौर पर लिया जाता है.

कांग्रेस सांसद ने शिवसेना के समर्थन के लिये सोनिया को लिखी चिट्ठी

इधर, महाराष्ट्र में सत्ता में साझेदारी को लेकर भाजपा और शिवसेना के बीच कोई सहमति नहीं बनती दिख रही और ऐसे में कांग्रेस के एक नेता ने शनिवार को पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी को चिट्ठी लिखकर उनसे अनुरोध किया है कि अगर शिवसेना अगली सरकार बनाने के लिये प्रस्ताव लेकर आती है तो उसका समर्थन किया जाए.

शिवसेना ने यह पत्र लिखने वाले महाराष्ट्र से राज्यसभा सदस्य एवं कांग्रेस नेता हुसैन दलवई के रुख का स्वागत करने में कोई वक्त नहीं लगाया.

दलवई ने याद दिलाया कि शिवसेना ने राष्ट्रपति पद के लिये कांग्रेस उम्मीदवार प्रतिभा पाटिल और बाद में प्रणब मुखर्जी का समर्थन किया था.उन्होंने कहा कि राज्य में मुस्लिम समुदाय का एक बड़ा वर्ग भाजपा के बजाय शिवसेना को तरजीह देगा.

शिवसेना को समर्थन के मुद्दे पर कांग्रेस बंटी हुई दिख रही है.अखिल भारतीय कांग्रेस समिति के महासचिव मल्लिकार्जुन खड़गे, सुशील कुमार शिंदे और संजय निरुपम जैसे नेता शिवसेना का समर्थन किये जाने के विरोध में हैं.

शिवसेना ने कभी बातचीत बंद नहीं की, गठबंधन धर्म पर कायम : राउत

महाराष्ट्र में सरकार बनाने की विभिन्न संभावनाओं को लेकर लगाए जा रहे कयास के बीच शनिवार को शिवसेना ने कहा कि गठबंधन धर्म पर कायम रहेगी. पार्टी की इस टिप्पणी को भाजपा के प्रति रुख में नरमी का संकेत माना जा रहा है.

शिवसेना नेता संजय राउत ने कहा, ‘पार्टी ने विधानसभा चुनाव गठबंधन में लड़ा था और आखिरी पल तक गठबंधन धर्म को निभाएगी.’ उन्होंने कांग्रेस नेता हुसैन दलवई की ओर से कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को लिखी चिट्ठी का स्वागत किया जिसमें उन्होंने नयी सरकार बनाने के लिए उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना को समर्थन देने की सिफारिश की थी.

राउत ने शुक्रवार को कहा था कि शिवसेना को नयी सरकार बनाने के लिए जरूरी समर्थन मिल जाएगा.

राउत ने कहा,’ राज्य के मौजूदा राजनीतिक हालात पर विचार करें तो शिवसेना और भाजपा को छोड़कर सभी दल एक दूसरे से बात कर रहे हैं. शिवसेना ने सरकार बनाने की बातचीत कभी बंद नहीं की… लेकिन बात कभी शुरू भी नहीं हुई.’

 

(समाचार एजेंसी भाषा के इनपुट के साथ में )

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