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Saturday, 21 December, 2024
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महाराष्ट्र के CM के रूप में शिंदे की पहली परीक्षा- विधानसभा अध्यक्ष के चुनाव के लिए MVA के साथ आमने-सामने की भिड़ंत

शनिवार को, महा विकास अघाड़ी (एमवीए) के नेताओं ने इस महत्वपूर्ण चुनाव के लिए शिवसेना के एक उम्मीदवार को एकजुट रूप से समर्थन देने का फैसला किया. विधानसभा अध्यक्ष के चुनाव के बाद सोमवार को नई सरकार का विश्वास मत परीक्षण होगा.

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मुंबई: भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में शिवसेना के एक बागी धड़े के साथ मिलकर बनी महाराष्ट्र सरकार की शपथ लेने के बाद उसकी पहली बड़ी परीक्षा तब होगी, जब राज्य विधानसभा अपने नए अध्यक्ष का चुनाव करेगी.

विधानसभा अध्यक्ष पद के लिए होने वाला यह चुनाव एक तरफ भाजपा और बागी शिवसेना गुट और दूसरी तरफ संयुक्त महा विकास अघाड़ी, जिसमें उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) और कांग्रेस शामिल है, के बीच की आमने-सामने की भिड़ंत होगी.

विधानसभा अध्यक्ष के चुनाव के बाद सोमवार को नई सरकार का विश्वास मत परीक्षण होगा.

शनिवार को, एमवीए नेताओं के बीच कई बैठकों का एक सिलसिला चला जिसके दौरान उन्होंने विधानसभा अध्यक्ष चुनाव में शिवसेना का समर्थन करने का फैसला किया और एकजुट होकर एक उम्मीदवार के पीछे अपनी सारी ताकत लगा दी.

फरवरी 2021 में महाराष्ट्र कांग्रेस अध्यक्ष का पद संभालने के बाद कांग्रेस के नाना पटोले के द्वारा इस्तीफा दिए जाने के बाद से महाराष्ट्र विधानसभा का अध्यक्ष पद खाली है.

इस बारे में बोलते हुए कांग्रेस नेता बालासाहेब थोराट ने शनिवार को संवाददाताओं से कहा: ‘अध्यक्ष पद पर पहला दावा कांग्रेस का बनता था, लेकिन हमने शिवसेना और राकांपा के साथ मिल बैठकर यह फैसला लिया. हमने शिवसेना को यह मौका देने का फैसला किया है और अन्य दोनों दलों ने शिवसेना के उम्मीदवार को एमवीए के उम्मीदवार के रूप में एकजुट हो समर्थन देने का फैसला किया है.’

288 सदस्यीय विधानसभा में शिंदे खेमे और भाजपा के 144 विधायकों के साथ बहुमत के आधे रास्ते को आसानी से पार कर लिए जाने की उम्मीद है. इन दोनों दलों के पास अपने आप से 145 विधायक हैं. साथ ही, उन्हें कुछ निर्दलीय और छोटे दल का समर्थन भी हैं. दूसरी ओर, एमवीए के अपने 112 विधायक हैं – इनमें कांग्रेस के 44, राकांपा के 52 और शिवसेना के 16 वे विधायक हैं जो शिंदे के बागी खेमे में शामिल नहीं हुए हैं.
इस महीने की शुरुआत में, शिंदे के नेतृत्व में विधायकों के एक समूह ने शिवसेना के खिलाफ विद्रोह कर दिया थे और वे एमवीए से अलग हो गए. इसी की वजह से शिवसेना अध्यक्ष उद्धव ठाकरे ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया और एमवीए सरकार गिर गई.

इसके बाद शिंदे खेमे ने भाजपा के साथ मिलकर सरकार बनाई, जिसमें शिंदे मुख्यमंत्री के रूप में शीर्ष पद पर हैं और भाजपा नेता और पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस उनके उप-मुख्यमंत्री हैं. इन दोनों ने पिछले गुरुवार को शपथ ली थी.


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शिवसेना का व्हिप

एक तरफ जहां भाजपा और शिंदे खेमे ने मुंबई के कोलाबा निर्वाचन क्षेत्र से भाजपा के विधायक राहुल नार्वेकर को विधानसभा अध्यक्ष पद के लिए नामित किया है, वहीं एमवीए ने रत्नागिरी के राजापुर निर्वाचन क्षेत्र से शिवसेना के विधायक राजन साल्वी का नाम प्रस्तावित किया है.

शिवसेना को उम्मीद है कि 39 बागी विधायक उसके उम्मीदवार साल्वी के पक्ष में मतदान नहीं करने पर अयोग्य घोषित कर दिए जाएंगे. इसी मकसद से शिवसेना के मुख्य सचेतक (चीफ व्हिप) सुनील प्रभु ने शनिवार को एक पत्र के माध्यम से पार्टी के सभी 55 विधायकों को विधानसभा में उपस्थित होने और अपनी पार्टी के उम्मीदवार को वोट देने का निर्देश जारी किया.

हालांकि, मुख्यमंत्री शिंदे ने शनिवार को मुंबई रवाना होने से पहले गोवा एयरपोर्ट पर पत्रकारों से बात करते हुए कहा, ‘शिवसेना का व्हिप हम पर लागू नहीं होता. हमारे पास दो-तिहाई बहुमत है, और हम अपना बहुमत साबित करेंगे.’

शिवसेना के प्रभु ने मुख्यमंत्री शिंदे और 15 अन्य विधायकों को निलंबित करने की मांग करते हुए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा भी खटखटाया था, और उन सबके खिलाफ अयोग्यता की कार्यवाही फिलहाल लंबित है. अदालत ने कहा कि वह इस मुद्दे के प्रति ‘पूरी तरह से जागरूक’ है, लेकिन इस अयोग्यता नोटिस के खिलाफ 16 बागी विधायकों की मुख्य याचिका पर 11 जुलाई को सुनवाई के लिए ही सहमत हुई.

शुक्रवार को, शिवसेना अध्यक्ष उद्धव ठाकरे ने मुख्यमंत्री शिंदे को संबोधित कर लिखे गये एक पत्र मे, उन्हें पार्टी के ‘नेता’ के पद, जो इसके नेताओं के लिए प्रथम पंक्ति वाला पद हैं, से हटाते हुए कहा, ‘आप पार्टी विरोधी गतिविधियों में शामिल रहे हैं और आपने स्वेच्छा से शिवसेना की सदस्यता छोड़ दी है.’

इस बीच, शिंदे खेमे का कहना है कि हालांकि एकनाथ शिंदे उनके नेता हैं, फिर भी वे उद्धव ठाकरे को ही अपने पार्टी प्रमुख के रूप में देखते हैं.

मुंबई लौटे बागी विधायक

इधर शिवसेना के बागी विधायक शनिवार शाम गोवा से एक फ्लाइट द्वारा मुंबई लौट आए. इसके बाद उन्हें हवाई अड्डे के घरेलू टर्मिनल सांताक्रुज से कफ परेड स्थित ताज प्रेसिडेंट होटल ले जाया गया.

अपने गुट के विधायकों के साथ एकजुटता दिखाने के लिए मुख्यमंत्री शिंदे ने भी एयरपोर्ट और होटल के बीच की दूरी बस से ही तय की. पुलिस ने एक ग्रीन कॉरिडोर के तौर पर इस पूरे रास्ते को खाली करवा दिया था.

ताज प्रेसीडेंट होटेल में इन बागी विधायकों ने भाजपा विधायकों के साथ एक संयुक्त बैठक की, जो पहले से ही इसी होटल में रुके थे. मुख्यमंत्री शिंदे और उप-मुख्यमंत्री फडणवीस ने उन्हें संबोधित किया.

विधानसभा सत्र के लिए ये विधायक होटल से सीधे करीब दो किलोमीटर दूर स्थित विधान भवन जाएंगे.


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