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Sunday, 22 December, 2024
होमदेशलुटियंस दिल्ली के बंगले में कड़ी सुरक्षा में रह रही हैं शेख हसीना, दो महीने पहले छोड़ा हिंडन बेस

लुटियंस दिल्ली के बंगले में कड़ी सुरक्षा में रह रही हैं शेख हसीना, दो महीने पहले छोड़ा हिंडन बेस

भारत सरकार ने सेफ हाउस की व्यवस्था की है. हाई सिक्योरिटी प्रोटोकॉल के साथ, बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री लोधी गार्डन में कभी-कभार सैर पर निकलती हैं. दिप्रिंट को विशेष रूप से जानकारी मिली है.

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नई दिल्ली: बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना, जो इस साल पांच अगस्त को लाखों सरकार विरोधी प्रदर्शनकारियों द्वारा उनके ढाका स्थित आवास पर हमला किए जाने के बाद भारत भाग गई थीं, पिछले दो महीने से नई दिल्ली के लुटियंस बंगला जोन में एक सेफ हाउस में रह रही हैं, जिसकी व्यवस्था भारत सरकार ने उनके लिए की है.

यह बंगला उनके दर्जे के अनुसार है, यह मंत्रियों, वरिष्ठ सांसदों और शीर्ष अधिकारियों को आवंटित किए जाने वाले लुटियंस बंगले जैसा ही है. उनकी गोपनीयता और सुरक्षा की रक्षा के लिए, दिप्रिंट ने उनके सटीक पते या सड़क की डिटेल्स का खुलासा नहीं करने का फैसला किया है.

सूत्रों ने दिप्रिंट को पुष्टि की कि हाई सिक्योरिटी प्रोटोकॉल के साथ, हसीना कभी-कभार लोधी गार्डन में टहलती हैं.

एक सूत्र ने पुष्टि की, “उनके पास एक मजबूत सुरक्षा घेरा है, जिसमें चौबीसों घंटे सादे कपड़ों में सुरक्षाकर्मी उनकी सुरक्षा करते हैं. एक गणमान्य व्यक्ति के रूप में, उन्हें इस स्तर की सुरक्षा मिल रही है. वे दो महीने से अधिक समय से इस क्षेत्र में रह रही हैं. उनके ठहरने की सभी व्यवस्थाएं यहीं की गई थीं.”

सूत्रों के अनुसार, हसीना और उनके कुछ करीबी लोग 5 अगस्त की देर रात बांग्लादेश वायुसेना के विमान में सवार होकर हिंडन एयरबेस पहुंचे. हफ्ता भर चले सरकार विरोधी प्रदर्शनों के बाद उन्होंने इस्तीफा दे दिया था, जिसमें 400 से अधिक लोगों की जान चली गई थी. हालांकि, उन्होंने दो दिन के भीतर ही एयरबेस छोड़ दिया. उनके आगमन के दिन राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल और वरिष्ठ सैन्य अधिकारियों ने एयरबेस पर उनसे मुलाकात की थी.

दूसरे सूत्र ने कहा, “वे एयरबेस पर ज्यादा समय तक नहीं रह सकती थीं. वहां व्यवस्थाएं पर्याप्त नहीं थीं. इसलिए कुछ ही दिनों में उन्हें सुरक्षित स्थान पर ले जाया गया और फिर लुटियंस दिल्ली के सुरक्षित और संरक्षित क्षेत्र में एक घर की व्यवस्था की गई.”

यह एक हाई सिक्योरिटी ज़ोन है, जिसमें कई पूर्व और वर्तमान सांसदों के घर हैं.

जब उनसे पूछा गया कि क्या वे अक्सर घर से बाहर जाती हैं, तो सूत्र ने कहा, “जब ज़रूरत होती है तो मुख्य सुरक्षा समूह को सूचित किया जाता है और उसके अनुसार व्यवस्था की जाती है.”

हालांकि, भारत सरकार ने औपचारिक रूप से बांग्लादेश सरकार को शेख हसीना के स्थान का खुलासा नहीं किया है, लेकिन विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने अगस्त में संसद को बताया था कि हसीना ने “फिलहाल” भारत आने की अनुमति मांगी है.

दिप्रिंट ने कॉल और मैसेज के ज़रिए विदेश मंत्रालय से संपर्क किया. जवाब मिलने पर इस रिपोर्ट को अपडेट कर दिया जाएगा.

हसीना के साथ उनकी बहन शेख रेहाना भी थीं, जो ब्रिटिश नागरिक हैं और जिनकी बेटी ट्यूलिप सिद्दीक ब्रिटेन में लेबर पार्टी की नेता हैं. हालांकि, यह स्पष्ट नहीं है कि वे अपनी बहन के साथ घर पर रह रही हैं या नहीं.

हसीना की बेटी साइमा वाजेद, जो विश्व स्वास्थ्य संगठन के दिल्ली मुख्यालय में दक्षिण-पूर्व एशिया क्षेत्र की क्षेत्रीय निदेशक हैं, भी दिल्ली में रहती हैं. वे इस पद पर आसीन होने वाली पहली बांग्लादेशी महिला हैं.

पिछले सप्ताह, हसीना द्वारा 2010 में स्थापित अंतर्राष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण (ICT) ने जुलाई और अगस्त में छात्रों के विरोध प्रदर्शन के दौरान कथित तौर पर “मानवता के विरुद्ध” अपराध करने के संबंध में उनके, अवामी लीग के महासचिव ओबैदुल कादर और 44 अन्य के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी किया, जिसके कारण उन्हें पद से हटा दिया गया.

न्यायमूर्ति मोहम्मद गुलाम मुर्तुजा मजूमदार की अध्यक्षता वाले न्यायाधिकरण ने अभियोजन पक्ष द्वारा हसीना और अन्य प्रमुख राजनीतिक हस्तियों की गिरफ्तारी की मांग करने वाली दो याचिकाओं के बाद आदेश जारी किए.

मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, ICT की जांच में हसीना और अवामी लीग के अन्य वरिष्ठ नेताओं के खिलाफ मानवता के विरुद्ध अपराध और नरसंहार की 60 से अधिक शिकायतें दर्ज की गई हैं. न्यायाधिकरण ने अधिकारियों को 46 व्यक्तियों को गिरफ्तार करने और 18 नवंबर तक उन्हें अदालत के समक्ष पेश करने का भी निर्देश दिया है.


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‘एक दर्दनाक मुद्दा’

ढाका से भागने के बाद शेख हसीना का भारत में रहना बांग्लादेश में राजनीतिक उथल-पुथल के बाद एक दर्दनाक मुद्दा बनकर उभरा है.

हसीना के निष्कासन के बाद ढाका में दिप्रिंट से बात करते हुए छात्रों और शिक्षकों सहित निवासियों ने कहा कि उन्हें पता था कि वे भारत भाग जाएंगी क्योंकि यह देश “उनका एकमात्र मित्र” था.

उन्होंने कहा कि सबसे दुखद बात यह थी कि भारत ने उन्हें “यह जानते हुए भी कि उन्होंने अपने लोगों के साथ क्या किया है” शरण दी.

ढाका विश्वविद्यालय के छात्र इमाम-उल-हक ने पूछा था, “इससे हमें लगता है कि भारत इसमें शामिल है. उन्होंने छात्रों को प्रताड़ित किया, चुनावों में धांधली की, सभी विपक्षी नेताओं को गिरफ्तार करवाया और भारत ने सबसे पहले उन्हें बधाई दी. क्यों?”

उन्होंने कहा था, “भारत ने हमेशा अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर उनका समर्थन किया है. वे एक तानाशाह थीं जिन्होंने छात्रों को कुचला, लोकतंत्र का गला घोंटा लेकिन फिर भी भारत ने उनका समर्थन किया. भारत के साथ दोस्ती ने उन्हें हिम्मत दी. जब वे भागीं, तो हमें पता था कि वे अपने दोस्त के पास भागेंगी.”

हक ने यह भी शिकायत की कि अपदस्थ अवामी लीग नेता ने केवल भारत और भारतीयों के बारे में सोचा और इस प्रक्रिया में बांग्लादेशियों को नज़रअंदाज़ कर दिया.

उन्होंने कहा, “हसीना ने भारत के साथ अपनी दोस्ती बनाए रखी और हमेशा उन्हें खुश करने के लिए काम करती रहीं क्योंकि वे सत्ता में बने रहना चाहती थीं. अब उन्हें इस दोस्ती की वजह से ही शरण मिली है.”

(इस रिपोर्ट को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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