पुणे, 29 अगस्त (भाषा) ओबीसी कार्यकर्ता लक्ष्मण हाके ने शुक्रवार को कहा कि मराठा आरक्षण कार्यकर्ता मनोज जरांगे महज एक “चिंगारी” थे, लेकिन शरद पवार और उद्धव ठाकरे जैसे विपक्षी नेताओं ने उन्हें “ज्वालामुखी” में तब्दील कर दिया है।
पुणे में संवाददाताओं से मुखातिब हाके ने कहा कि अगर सरकार जरांगे की मांगें स्वीकार कर लेती है, तो मराठों के लिए कोटा अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) समुदाय के आरक्षण की कीमत पर आएगा।
जरांगे ने शुक्रवार को दक्षिण मुंबई के आजाद मैदान में अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल शुरू की। उन्होंने मराठा समुदाय की मांगें पूरी होने तक अनशन स्थल से न हटने का संकल्प जताया।
जरांगे मराठों के लिए ओबीसी श्रेणी में 10 फीसदी आरक्षण की मांग कर रहे हैं। वह चाहते हैं कि मराठों को कुनबी के रूप में मान्यता दी जाए, जो ओबीसी श्रेणी में शामिल एक कृषक जाति है, ताकि वे सरकारी नौकरियों और शिक्षा में आरक्षण के पात्र बन सकें।
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने विपक्षी गठबंधन महा विकास आघाडी (एमवीए) पर सत्ता में रहने के दौरान मराठा समुदाय की मांगों को पूरा करने में विफल रहने का आरोप लगाया है।
हाके ने कहा, “अगर मैं कहीं घूमने भी जाता हूं, तो मेरे खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कर दी जाती है, लेकिन जरांगे का भव्य स्वागत किया जाता है। वह तो बस एक चिंगारी थे, लेकिन शरद पवार और उद्धव ठाकरे जैसे विपक्षी नेता तथा राज्य मंत्रिमंडल के कुछ सदस्य उन्हें ज्वालामुखी में बदलने के लिए जिम्मेदार हैं।”
इस हफ्ते की शुरुआत में पुलिस ने हाके और उनके 13 समर्थकों के खिलाफ उस समय दंगा करने और गैरकानूनी तरीके से एकत्र होने का मामला दर्ज किया था, जब बीड जिले में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के विधायक विजयसिंह पंडित के समर्थकों के साथ उनकी झड़प हुई थी।
हाके ने कहा, “कई विधायक और सांसद मराठों का समर्थन कर रहे हैं, क्योंकि उनका लक्ष्य ओबीसी आरक्षण को खत्म करना है। जहां जरांगे का भव्य स्वागत किया गया, वहीं जब मैं बीड के जियोराई तहसील गया, तो मेरे खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कर दी गई।”
उन्होंने दावा किया कि सभी दलों के विधायक जरांगे को संसाधन मुहैया करा रहे हैं।
हाके ने कहा, “केवल पांच से 10 फीसदी मराठा विरोध-प्रदर्शन में शामिल होने के लिए मुंबई गए हैं। हम (ओबीसी) आबादी का 50 प्रतिशत हैं। उपमुख्यमंत्री और राकांपा प्रमुख अजित पवार मुख्यमंत्री को मुश्किल स्थिति में डाल रहे हैं, क्योंकि उनके विधायक जरांगे का समर्थन कर रहे हैं।”
उन्होंने कहा कि ओबीसी वर्ग के लोग संवैधानिक तरीकों से लड़ रहे हैं।
हाके ने आरोप लगाया, “मैं एक ओबीसी कार्यकर्ता के तौर पर लड़ रहा हूं। राज्य सरकार हमारे साथ भेदभाव कर रही है। जब भी किसी गांव में कोई आपराधिक गतिविधि होती है, तो हमें (ओबीसी को) हिरासत में ले लिया जाता है।”
भाषा पारुल मनीषा
मनीषा
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