नागपुर, 25 मई (भाषा)महाराष्ट्र में कथित ‘शालार्थ आईडी’ घोटाले की जांच कर रहे विशेष जांच दल (एसआईटी) ने खुलासा किया है कि 500 से अधिक शिक्षकों की भर्ती निर्धारित प्रक्रियाओं का पालन किए बिना की गई थी। एक वरिष्ठ अधिकारी ने रविवार को यह जानकारी दी।
शालार्थ महाराष्ट्र सरकार का एक केंद्रीकृत पोर्टल है, जो सरकारी और सरकारी सहायता प्राप्त विद्यालयों के कर्मचारियों, जिनमें शिक्षक भी शामिल हैं, के वेतन और सेवा रिकॉर्ड का प्रबंधन करता है। ‘शालार्थ आईडी’ का मतलब ऐसे कर्मचारियों को आवंटित शिक्षक पहचान संख्या से है।
पुलिस अधिकारी ने बताया, ‘‘एसआईटी ने पाया है कि नियुक्त किए गए 622 शिक्षकों में से केवल 75 को उचित प्रक्रियाओं का पालन करते हुए नियुक्त किया गया था। शेष 547 को 20-30 लाख रुपये प्रति शिक्षक के हिसाब से भुगतान करने के बाद फर्जी पहचान पत्रों का उपयोग करके नियुक्त किया गया था। इसका मतलब है कि यह घोटाला 100 करोड़ रुपये से अधिक का हो सकता है।’’
एसआईटी प्रभारी और सहायक पुलिस आयुक्त सुनीता मेश्राम ने बताया कि जांच अब शिक्षा विभाग के उप निदेशकों के अलावा शिक्षा अधिकारियों और शिक्षकों पर केंद्रित है।
मेश्राम ने कहा कि इस मामले में और गिरफ्तारियां की जा सकती हैं।
अधिकारी ने बताया कि एक टीम शुक्रवार को भंडारा में सेवानिवृत्त उप निदेशक सतीश मेंढे को उनकी कथित संलिप्तता के लिए गिरफ्तार करने गई थी, लेकिन मेंढे अपने आवास पर नहीं मिले।
इस पूरे मामले की जांच के लिए अप्रैल में एसआईटी का गठन किया गया था ताकि यह पता लगाया जा सके कि नागपुर में शालार्थ पोर्टल के जरिए वेतन आवंटित करने लिए फर्जी पहचान का इस्तेमाल कैसे किया गया। इस मामले में अब तक कई लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है।
भाषा धीरज नरेश
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