लखनऊ: शाहजहांपुर ज़िले के नए उपजिलाधिकारी (एसडीएम) रिंकू सिंह राही के लिए पहले दिन की शुरुआत कुछ खास अच्छी नहीं रही. मंगलवार को जब वे दफ्तर पहुंचे, तो विरोध कर रहे वकीलों ने उन्हें कान पकड़कर उठक-बैठक करने के लिए “मजबूर” कर दिया.
हालांकि, बुधवार को एसडीएम राही ने कहा कि उन्हें किसी ने मजबूर नहीं किया, बल्कि उन्होंने खुद मिसाल कायम करने के लिए ऐसा किया, लेकिन अब उनका यह वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया है.
राही के मुताबिक, मंगलवार को जब उन्होंने दफ्तर परिसर का निरीक्षण किया तो वहां गंदगी फैली मिली और कुछ लोग खुले में पेशाब करते दिखे. उन्होंने ऐसे लोगों को उठक-बैठक करने की सज़ा दी. इसी तरह उन्होंने स्कूल के बाहर घूम रहे बच्चों के माता-पिता को भी “सज़ा” दी.
इनमें से एक व्यक्ति, जो पेशे से वकील का क्लर्क है, उनको भी सार्वजनिक रूप से उठक-बैठक करनी पड़ी. शाहजहांपुर के वकील वीरेंद्र कुमार यादव ने दिप्रिंट को बताया कि एसडीएम साहब ने उनके क्लर्क को खुले में पेशाब करते पकड़ लिया और सज़ा के तौर पर उठक-बैठक करवाई.
इसके बाद वकीलों ने विरोध शुरू कर दिया. जब उन्होंने एसडीएम से पूछा कि अगर तहसील परिसर गंदा है, तो क्या वो खुद उठक-बैठक करेंगे? तो राही ने माना कि यह प्रशासन की गलती है और तुरंत कान पकड़कर उठक-बैठक करने लगे.
बाद में राही ने कहा, “एक कर्मचारी ने मुझे बताया था कि हाल ही में काफी सफाई हुई है, लेकिन अगर अब भी गंदगी है, तो यह हमारी ज़िम्मेदारी है.” उन्होंने कहा कि वह मिसाल पेश करना चाहते थे और वकीलों से रिश्ते बेहतर करना चाहते हैं.
दरअसल, मथुरा से शाहजहांपुर ट्रांसफर होकर आए रिंकू सिंह राही का मानना है कि अगर कोई गलती करता है तो उसे सज़ा मिलनी चाहिए ताकि वह फिर गलती न करे. एसडीएम ने कहा, “इसी बात को समझाने के लिए मैंने खुद उठक-बैठक की.”
राही के इस सार्वजनिक कदम के बाद वकीलों ने विरोध बंद कर दिया. बहुत लोगों ने इसे उनकी ईमानदारी और जवाबदेही की मिसाल माना. उन्होंने यह भी साफ किया कि सोशल मीडिया पर जो दावा किया जा रहा है कि उन्हें वकीलों ने ऐसा करने पर मजबूर किया — वह गलत है.
दिप्रिंट से बातचीत के दौरान भी राही ने यही बात दोहराई.
रिंकू सिंह राही कौन हैं?
रिंकू सिंह राही 2023 में भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) में शामिल हुए, लेकिन इससे पहले वे राज्य सरकार की सेवाओं में थे. वे वरिष्ठ अधीनस्थ सेवा परीक्षा पास कर जिला समाज कल्याण अधिकारी बने थे.
2008 में जब उनकी तैनाती मुज़फ्फरनगर में थी, तब उन्होंने छात्रवृत्ति और फीस प्रतिपूर्ति योजना में करोड़ों रुपये के घोटाले का पर्दाफाश किया था.
इसके एक साल बाद, 2009 में, जब वे बैडमिंटन खेल रहे थे, उन पर गोली चल गई. हमले में वे गंभीर रूप से घायल हो गए और उनकी एक आंख की रोशनी चली गई.
इसके बावजूद उन्होंने हार नहीं मानी. 2022 में उन्होंने दिव्यांग कोटे में UPSC परीक्षा दी और आखिरकार IAS बनने का सपना पूरा किया.
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