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कोलकाता, एक जून (भाषा) केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने मामलों को सुलझाने में फोरेंसिक विज्ञान की भूमिका की सराहना की और कहा कि केंद्र ने देश में फोरेंसिक बुनियादी ढांचे के आधुनिकीकरण के लिए 2,800 करोड़ रुपये खर्च करने की योजना बनाई है।
शाह ने कहा कि 1300 करोड़ रुपए की लागत से एनएफएसयू के नौ और परिसर बनेंगे और 860 करोड़ रुपये की लागत से उत्तर प्रदेश, छत्तीसगढ़, ओडिशा, राजस्थान, तमिलनाडु, केरल और बिहार में सात नई प्रयोगशालाएं बनाई जाएंगी।
केंद्रीय गृह मंत्री ने कोलकाता के निकट राजारहाट में केंद्रीय न्यायलिक विज्ञान प्रयोगशाला (सीएफएसएल) के नए भवन का रविवार को उद्घाटन करते हुए कहा कि इससे पूर्वी और पूर्वोत्तर राज्यों में जटिल मामलों की जांच के लिए समग्र दृष्टिकोण अपनाने में मदद मिलेगी।
उन्होंने कहा, “ हम 2080 करोड़ रूपए की फॉरेंसिक क्षमताओं के आधुनिकीकरण की योजना भी ला रहे हैं और 200 करोड़ रूपए की लागत से नेश्नल फॉरेंसिक डेटा सेंटर की स्थापना भी करने की योजना है, जिसके जरिये हम आंकड़ों का एक विशाल भंडार संग्रहीत कर सकेंगे और कृत्रिम मेधा (एआई) के माध्यम से उसका विश्लेषण किया जा सकेगा, जिससे विश्वसनीय, साक्ष्य-आधारित आपराधिक न्याय प्रणाली को लागू करने की प्रक्रिया बहुत आसान हो जाएगी।”
शाह ने सीएफएसएल के उद्धघाटन कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा, ‘‘यह प्रयोगशाला पश्चिम बंगाल और पूर्वोत्तर में आपराधिक न्याय प्रणाली को मजबूत करने में महत्वपूर्ण योगदान देगी।’’
शाह ने कहा कि यह प्रयोगशाला सुरक्षित, पारदर्शी और साक्ष्य-आधारित आपराधिक न्याय प्रणाली बनाने के केंद्र सरकार के दीर्घकालिक प्रयासों की दिशा में मील का पत्थर है।
गृह मंत्री ने आपराधिक कानूनों में हाल में किए गए सुधारों के प्रभाव का भी उल्लेख करते हुए कहा कि भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) लागू होने के बाद ‘‘हमने 60 प्रतिशत मामलों में 60 दिन के भीतर आरोपपत्र दायर होते हुए देखे हैं।’’
मंत्री ने कहा कि भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम, भारत के लोगों द्वारा चुनी गई संसद द्वारा भारत के लोगों के संविधान प्रदत्त अधिकारों की रक्षा के लिए बनाए गए कानून हैं।
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में भारत सरकार ने 160 साल पुराने अंग्रेजों द्वारा बनाए गए कानूनों को खत्म किया और नए भारत के नए कानून लाई है।
उन्होंने कहा कि लोगों को न्याय दिलाने की दिशा में ये एक क्रांतिकारी बदलाव है।
शाह ने कहा कि विशेष मामलों में सुनवाई 90 दिनों के भीतर शुरू हो रही है।
केंद्रीय मंत्री ने कहा, “ ट्रायल इन एब्सेंशिया’ के माध्यम से कानून की पकड़ से बाहर रहने वालों की उनकी अनुपस्थिति में हम सुनवाई करेंगे, उन्हें सजा सुनाएंगे और अंतरराष्ट्रीय समझौतों का उपयोग कर उन्हें वापिस लाएंगे।”
उन्होंने कहा कि गृह मंत्रालय प्रशिक्षण और जांच में इसके अनुप्रयोग पर काम करेगा।
केंद्रीय गृह मंत्री ने कहा, “जनवरी 2026 से हम फोरेंसिक साइंस को हर थाने, सरकारी वकील और अदालत तक ले जाना शुरू करेंगे ताकि उन्हें फोरेंसिक साइंस के महत्व के बारे में जागरूक किया जा सके।”
उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ‘क्लस्टर अप्रोच’ के जरिए देश में सीएफएसएल नेटवर्क बना रही है, ताकि जटिल मामलों का समाधान हो और पूरी आपराधिक न्याय प्रणाली में बदलाव हो।
शाह ने कहा, “पीड़ितों को फोन के जरिए हर तरह की जानकारी दी जाती है और उन्हें भरोसा दिलाया जाता है कि उन्हें थाने जाने की जरूरत नहीं है। हमने इसके लिए व्यवस्था की है।”
उन्होंने कहा, “मुझे यह कहते हुए गर्व हो रहा है कि 17,184 थाने सीसीटीएनएस से जुड़े हैं, ऑनलाइन हैं और उनका डेटा सामूहिक रूप से तैयार किया जा रहा है।”
गृह मंत्रालय उनकी ऑनलाइन निगरानी कर रहा है, जो दर्शाता है कि हमने इतने कम समय में कितना बड़ा बदलाव लाया है।
गृह मंत्री ने कहा कि हर राज्य के लिये एक फोरेंसिक मोबाइल वैन रखने की पेशकश की गई है।
उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार उत्तर प्रदेश, छत्तीसगढ़, ओडिशा, तमिलनाडु, राजस्थान, केरल और बिहार में सात और सीएफएसएल प्रयोगशालाएं स्थापित करने की योजना बना रही है।
शाह ने कहा कि पश्चिम बंगाल में सीएसएफएल से बिहार, झारखंड, ओडिशा, सिक्किम, असम और पूर्वोत्तर क्षेत्र के सभी राज्यों के मामलों को सुलझाने में मदद मिलेगी।
उन्होंने कहा, “मुझे यह देखकर बहुत खुशी हो रही है कि भारत सरकार कई वर्षों से एक दृष्टिकोण के साथ काम कर रही है। यह बेहद संतुष्टि का क्षण है क्योंकि हम आधुनिक फोरेंसिक और जांच संबंधी बुनियादी ढांचे की श्रृंखला में प्रत्येक कड़ी को मजबूत करना जारी रखे हुए हैं।”
शाह ने कहा, “यह पश्चिम बंगाल और पूर्वोत्तर में आपराधिक न्याय प्रणाली को मजबूत करने में महत्वपूर्ण योगदान देगा।”
उन्होंने कहा, “यह बेहद संतुष्टि का क्षण है क्योंकि हम आधुनिक फोरेंसिक और जांच संबंधी बुनियादी ढांचे की श्रृंखला में प्रत्येक कड़ी को मजबूत करना जारी रखे हुए हैं।”
भाषा जितेंद्र प्रशांत
प्रशांत
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