नयी दिल्ली, 20 फरवरी (भाषा) केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने पूर्वोत्तर के उग्रवादियों से हथियार डालकर मुख्यधारा में शामिल होने की बृहस्पतिवार को अपील की और कहा कि भारत की विकास यात्रा में उनकी भागीदारी का स्वागत है।
असम राइफल्स द्वारा यहां आयोजित ‘यूनिटी उत्सव – वन वॉयस, वन नेशन’ में भाग लेते हुए शाह ने यह भी कहा कि हर कोई जानता है कि पूर्वोत्तर शांति और विकास चाहता है और यह क्षेत्र देश के अभिन्न अंग के रूप में काम करना चाहता है।
उन्होंने कहा, ‘‘मैं उन सभी उग्रवादियों से अपील करता हूं, जिन्होंने अभी तक आत्मसमर्पण नहीं किया है, वे हथियार डाल दें और मुख्यधारा में शामिल हो जाएं। भारत की विकास यात्रा में आपकी भागीदारी का स्वागत है।’’
गृह मंत्री ने कहा कि पिछले पांच वर्षों में पूर्वोत्तर में हिंसा में 70 प्रतिशत की कमी आई है, सुरक्षा बलों के हताहत होने की संख्या में 70 प्रतिशत और नागरिकों की मृत्यु में 85 प्रतिशत की कमी आई है।
उन्होंने कहा कि पिछले पांच वर्षों में 10,000 से अधिक उग्रवादियों ने आत्मसमर्पण किया है, विभिन्न संगठनों के साथ 12 शांति समझौते किए गए हैं और राज्यों के बीच दो सीमा समझौते भी किए गए हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘पूर्वोत्तर शांति चाहता है, पूर्वोत्तर विकास चाहता है, पूर्वोत्तर भारत के अभिन्न अंग के रूप में काम करना चाहता है।’’
गृह मंत्री ने कहा कि अगर पूर्वोत्तर के युवा भारत की विकास प्रक्रिया का हिस्सा बनने के लिए दो कदम आगे बढ़ाते हैं, तो पूरा देश तहे दिल से उनका स्वागत करने के लिए चार कदम आगे बढ़ाएगा।
उन्होंने कहा, ‘‘देश के हर हिस्से के दिलों में पूर्वोत्तर के लिए एक विशेष स्थान है।’’
शाह ने कहा कि पूर्वोत्तर की समृद्ध परंपरा और समृद्ध सांस्कृतिक विरासत है, जिस पर देश को गर्व है। उन्होंने कहा कि पूर्वोत्तर की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत के बिना भारत अधूरा है।
उन्होंने कहा, ‘‘विविधता में एकता हमारी ताकत है’’ और इस बात को रेखांकित किया कि पूर्वोत्तर 220 से अधिक समुदायों, 160 से अधिक जनजातियों, 200 से अधिक भाषाओं और बोलियों, 50 से अधिक अनूठे त्योहार, 30 से अधिक पारंपरिक नृत्य शैलियों और 100 से अधिक व्यंजनों के लिए जाना जाता है।
शाह ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आठ राज्यों – असम, अरुणाचल प्रदेश, मेघालय, नगालैंड, मणिपुर, मिजोरम, त्रिपुरा और सिक्किम – को ‘अष्टलक्ष्मी’ नाम देकर पूर्वोत्तर की पहचान को एक नया आयाम दिया है।
भाषा सुभाष अविनाश
अविनाश
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