scorecardresearch
शनिवार, 5 जुलाई, 2025
होमदेशशाह ने मणिपुर में शांति की अपील की, सभी के लिये न्याय का आश्वासन दिया

शाह ने मणिपुर में शांति की अपील की, सभी के लिये न्याय का आश्वासन दिया

Text Size:

(तस्वीरों के साथ)

गुवाहाटी, 25 मई (भाषा) केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने बृहस्पतिवार को मणिपुर में लोगों से शांति बनाए रखने की अपील की और वादा किया कि समाज के सभी वर्गों के लिए न्याय सुनिश्चित किया जाएगा।

शाह ने असम के कामरूप जिले के चांगसारी क्षेत्र में स्थापित होने वाले राष्ट्रीय न्यायालयिक विज्ञान विश्वविद्यालय (एनएफएसयू) के दसवें राष्ट्रीय परिसर का शिलान्यास करते हुए कहा कि विवाद के समाधान में मदद के लिये वह मणिपुर का दौरा करेंगे।

उन्होंने कहा, “मैं जल्द ही मणिपुर जाऊंगा और वहां तीन दिन रहूंगा, लेकिन उससे पहले दोनों गुटों को आपस में अविश्वास और संदेह दूर करना चाहिए और सुनिश्चित करना चाहिए कि राज्य में शांति बहाल हो।”

शाह ने कहा, “केंद्र यह सुनिश्चित करेगा कि राज्य में हुई झड़पों में पीड़ित सभी लोगों को न्याय मिले, लेकिन लोगों को राज्य में शांति सुनिश्चित करने के लिए बातचीत करनी चाहिए।”

पिछले छह वर्षों के दौरान, हाल की झड़पों से पहले, मणिपुर में कोई नाकाबंदी या बंद नहीं था और “लोगों को फिर से वैसी स्थिति की वापसी सुनिश्चित करनी चाहिए”।

उन्होंने कहा, “चर्चा के साथ ही शांति हो सकती है।”

यहां एनएफएसयू परिसर की स्थापना का जिक्र करते हुए गृह मंत्री ने कहा कि इससे इन पाठ्यक्रमों में उत्तीर्ण सभी छात्रों के लिए शत प्रतिशत रोजगार के अवसर सुनिश्चित होंगे।

उन्होंने कहा, “केंद्र छह साल से अधिक कारावास की सजा वाले अपराधों के लिए फॉरेंसिक विशेषज्ञों द्वारा घटनास्थल का दौरा अनिवार्य करने के लिए कानूनी बदलाव लाने की योजना बना रहा है।”

शाह ने कहा, “प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सजा दर बढ़ाने के लिए भारतीय दंड संहिता (आईपीसी), दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) और संविधान की भावना में साक्ष्य अधिनियम में बदलाव लाने की योजना बनाई है, जो आपराधिक न्याय प्रदान करने में मदद करेगा।”

गृह मंत्री ने कहा कि पुलिसिंग को तीन भागों में विभाजित किया जा सकता है: कानून-व्यवस्था की स्थिति, अपराध की जांच और दोषियों को दंडित करके न्याय सुनिश्चित करना।

उन्होंने कहा, “यह आरोपी पर थर्ड डिग्री के उपायों या बल प्रयोग करने का वक्त नहीं है, बल्कि मनोविज्ञान, उंगलियों के निशान और डीएनए प्रोफाइलिंग के माध्यम से साक्ष्य एकत्र करने के वैज्ञानिक तरीके हैं और हमें इसके लिए विशेषज्ञों की आवश्यकता है।”

उन्होंने कहा कि देश में सजा की दर 50 प्रतिशत से कम है और यह मुख्य रूप से सबूतों की कमी या गवाहों के मुकरने के कारण है जो पुलिस को अदालत में आरोपपत्र दाखिल करने में बाधा उत्पन्न करता है।

शाह ने कहा, “हमने फॉरेंसिक बुनियादी ढांचे को मजबूत करने, प्रयोगशालाओं को उन्नत और आधुनिक बनाने, क्षेत्रीय फॉरेंसिक प्रयोगशालाएं स्थापित करने और जिला स्तर की मोबाइल फॉरेंसिक प्रयोगशालाएं स्थापित करने का फैसला किया है।”

उन्होंने कहा कि इसके लिए जनशक्ति की आवश्यकता होगी और रोजगार के अवसर पैदा होंगे, जबकि इस क्षेत्र में अनुसंधान और विकास को तेज किया जाएगा और जमीनी स्तर पर लागू किया जाएगा।

शाह ने अत्याधुनिक संस्थान की स्थापना के लिए 50 एकड़ जमीन तेजी से आवंटित करने के लिए असम के मुख्यमंत्री हिमंत विश्व शर्मा को धन्यवाद दिया।

एनएफएसयू परिसर का पहला चरण 2026 तक और दूसरा 2030 तक पूरा होने की उम्मीद है, जबकि इस साल गुवाहाटी मेडिकल कॉलेज अस्पताल (जीएमसीएच) में अस्थायी परिसर में कक्षाएं शुरू हो जाएंगी।

शाह ने सेंट्रल फॉरेंसिक साइंस लेबोरेटरी (सीएफएसएल) के साथ संयुक्त रूप से विकसित असम पुलिस के ‘सेवा सेतु’ नामक एक वेब पोर्टल की भी शुरुआत की। यह लोगों को किसी भी पुलिस थाने में जाए बिना प्राथमिकी दर्ज कराने, गुमशुदगी की शिकायत करने के साथ-साथ किरायेदार, पेइंग गेस्ट और घरेलू सहायक के सत्यापन के लिए ऑनलाइन फॉर्म भरने में सक्षम करेगा।

भाषा

प्रशांत दिलीप

दिलीप

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

share & View comments