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Monday, 6 May, 2024
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स्वर्ण मंदिर गुरबाणी के सीधे प्रसारण के लिए यूट्यूब और टीवी चैनल लॉन्च करेगी एसजीपीसी

रिले अधिकार वर्तमान में निजी चैनल पीटीसी के पास है, जिसका स्वामित्व SAD अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल के पास है. पीटीसी के साथ एसजीपीसी का अनुबंध 23 जुलाई को समाप्त हो रहा है.

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चंडीगढ़: शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक समिति (एसजीपीसी) ने अमृतसर के स्वर्ण मंदिर से गुरबाणी के सीधे प्रसारण के लिए अपना खुद का यूट्यूब और टेलीविजन चैनल लॉन्च करने का फैसला किया है.

शुक्रवार को अमृतसर में एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए, एसजीपीसी अध्यक्ष हरजिंदर सिंह धामी ने कहा कि यूट्यूब चैनल 24 जुलाई से सुबह और शाम के समय गुरबाणी – गुरुद्वारों में बजाए जाने वाले भजन – को लाइव प्रसारित करना शुरू कर देगा.

धामी ने कहा कि गुरबाणी प्रसारण के लिए एसजीपीसी के यूट्यूब चैनल का नाम ‘सचखंड श्री हरमंदिर साहिब श्री अमृतसर’ होगा और इस पर ‘एसजीपीसी’ लोगो का इस्तेमाल किया जाएगा.

यह निर्णय एसजीपीसी द्वारा शिरोमणि अकाली दल (एसएडी) के अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल के स्वामित्व और संचालन वाले एक निजी चैनल, पीटीसी को विशेष गुरबाणी रिले अधिकार देने पर पिछले दो महीनों से चल रहे विवाद के बीच आया है.

पंजाब, हिमाचल प्रदेश और चंडीगढ़ में ऐतिहासिक गुरुद्वारों का नियंत्रण और प्रबंधन करने वाली संस्था एसजीपीसी का पीटीसी के साथ 11 साल का अनुबंध 23 जुलाई को समाप्त हो रहा है.

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पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान द्वारा एसएडी के निजी चैनल को गुरबाणी प्रसारण अधिकार दिए जाने पर आपत्ति जताने के बाद, एसजीपीसी ने मई में फैसला किया कि वह पारदर्शी प्रक्रिया के माध्यम से लाइव प्रसारण अधिकार देने के लिए वैश्विक निविदाएं आमंत्रित करेगी और एक उपयुक्त चैनल का चयन करेगी.

हालांकि, 20 जून को, AAP के नेतृत्व वाली पंजाब सरकार ने 1925 के सिख गुरुद्वारा अधिनियम में संशोधन करते हुए एक विधेयक पारित किया, जिससे SGPC पर किसी भी रेडियो, टीवी या सोशल मीडिया चैनल को स्वर्ण मंदिर से गुरबाणी प्रसारित करने की अनुमति देना अनिवार्य हो गया.

सरकार के इस कदम की निंदा करते हुए एसजीपीसी ने आरोप लगाया कि मान राजनीतिक उद्देश्य से सिखों के धार्मिक मुद्दों में हस्तक्षेप कर रहे हैं.

हालांकि, सीएम ने विधेयक पर चर्चा के दौरान विधानसभा में कहा था कि “गुरबाणी सभी सिखों की सामान्य आध्यात्मिक विरासत है और इसे दुनिया भर के सिखों के लिए कई चैनलों के माध्यम से मुफ्त में प्रसारित किया जाना चाहिए”.


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‘व्यवस्थित दृष्टिकोण अपनाया जाएगा’

प्रेस वार्ता में, धामी ने कहा कि गुरबाणी (विज़ुअल और ऑडियो) के रिले और डिस्ट्रीब्यूशन का एकमात्र अधिकार एसजीपीसी के पास है, और किसी भी अन्य वेब, सैटेलाइट या सोशल मीडिया इकाई द्वारा गुरबानी का कोई भी डुप्लीकेशन या अवैध प्रसारण उल्लंघन माना जाएगा.

उन्होंने कहा कि एसजीपीसी को पिछले साल अकाल तख्त साहिब (सिखों की सर्वोच्च लौकिक संस्था) से गुरबाणी प्रसारित करने के लिए अपना स्वयं का चैनल शुरू करने पर विचार करने का निर्देश मिला था, जिसके बाद इसके लिए एक उप-समिति का गठन किया गया था.

धामी के अनुसार, उप-समिति ने कई बैठकों के बाद इस सप्ताह की शुरुआत में एसजीपीसी की कार्यकारी समिति को इस मामले पर अपनी सिफारिशें दी थीं.

उन्होंने कहा कि “उप-समिति की प्रमुख सिफारिशों में से एक गुरबाणी को प्रसारित करने के लिए एसजीपीसी का अपना सैटेलाइट चैनल स्थापित करना था”.

धामी ने कहा, “चूंकि सैटेलाइट चैनल शुरू करने के काम में कुछ महीने लग सकते हैं, इसलिए उप-समिति ने सिफारिश की कि अंतरिम उपाय के रूप में, एक निजी मीडिया कंपनी की सेवाएं मासिक शुल्क पर ली जा सकती हैं.”

उन्होंने स्पष्ट किया कि कंपनी द्वारा ली जाने वाली सेवाएं प्रौद्योगिकी, उपकरण और कर्मचारियों से संबंधित थीं, जबकि प्रसारण अधिकार एसजीपीसी के पास रहेंगे.

गुरबाणी के प्रसारण के लिए टेलीविजन चैनल के संबंध में, धामी ने कहा कि इस काम को शुरू करने के लिए एसजीपीसी की कार्यकारी समिति द्वारा सैद्धांतिक मंजूरी दे दी गई थी और प्रारंभिक कार्रवाई के तहत सूचना एवं प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर को एक पत्र लिखा गया था.

धामी ने कहा कि एसजीपीसी प्रतिनिधिमंडल को नियुक्ति प्रदान करने के लिए सूचना एवं प्रसारण मंत्री से भी अनुरोध किया जाएगा, उन्होंने कहा कि “चूंकि यह काम तकनीकी है, इसलिए विशेषज्ञों की सेवाएं भी ली जाएंगी”.

एसजीपीसी अध्यक्ष ने कहा, “टेलीविजन चैनल संचालित करने के लिए लाइसेंस प्राप्त करने के लिए एक व्यवस्थित दृष्टिकोण का पालन किया जाएगा. यदि इस उद्देश्य के लिए एक अलग कंपनी स्थापित करना आवश्यक होगा, तो उसके लिए भी प्रक्रिया पूरी की जाएगी”.

(संपादनः शिव पाण्डेय)
(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.)


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