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सोमवार, 16 जून, 2025
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यौन उत्पीड़न: अदालत ने अधिकारियों से बाल पीड़ितों के मामलों में एसओपी के लिए सुझाव मांगे

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(फाइल तस्वीर के साथ)

नयी दिल्ली, 14 सितंबर (भाषा) दिल्ली उच्च न्यायालय ने बच्चों से जुड़े अपराधों के मामले में अमल करने के लिए एक मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) तैयार करने के वास्ते बृहस्पतिवार को दिल्ली सरकार, बाल अधिकार निकायों समेत विभिन्न प्राधिकारियों से सुझाव मांगे।

मुख्य न्यायाधीश सतीश चंद्र शर्मा और न्यायमूर्ति संजीव नरूला की पीठ ने बाल कल्याण समिति (सीडब्ल्यूसी), राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर), दिल्ली बाल अधिकार संरक्षण आयोग (डीसीपीसीआर), दिल्ली महिला आयोग (डीसीडब्ल्यू), दिल्ली सरकार के महिला एवं बाल विकास विभाग, दिल्ली पुलिस और दिल्ली राज्य कानूनी सेवा प्राधिकरण (डीएसएलएसए) से कहा कि उनके अधिकारी एसओपी का मसौदा तैयार करने के लिए बैठक में हिस्सा लें।

उच्च न्यायालय उस जनहित याचिका पर सुनवाई कर रहा था जो उसने दिल्ली सरकार के निलंबित अधिकारी प्रेमोदय खाखा द्वारा एक नाबालिग लड़की का कथित तौर पर यौन उत्पीड़न किए जाने की घटना का संज्ञान लेने के बाद स्वयं शुरू की थी।

सुनवाई के दौरान, दिल्ली पुलिस का प्रतिनिधित्व कर रही अतिरिक्त स्थायी अधिवक्ता रूपाली बंधोपाध्याय ने पीठ को सूचित किया कि उन्होंने मामले में एक स्थिति रिपोर्ट दायर की है।

हालांकि, अदालत ने कहा कि रिपोर्ट रिकॉर्ड पर नहीं है और वकील से सुनवाई की अगली तारीख छह अक्टूबर से पहले इसे रिकॉर्ड पर लाने को कहा।

उच्च न्यायालय ने डीसीपीसीआर को भी याचिका में एक पक्ष बनाया और मामले में उसके द्वारा उठाए गए कदमों को रिकॉर्ड पर रखने को कहा।

पीठ ने 28 अगस्त को अधिकारियों को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया था कि पीड़िता की पहचान किसी भी तरह से उजागर न हो और उसे उचित सुरक्षा तथा मुआवजा मिले।

इसने दिल्ली सरकार के महिला एवं बाल विकास विभाग, पुलिस और केंद्र से मामले में रिपोर्ट दाखिल करने को कहा था।

निलंबित अधिकारी ने लड़की के साथ कथित तौर पर कई बार बलात्कार किया था जिससे वह गर्भवती हो गई। उसे पुलिस ने 21 अगस्त को गिरफ्तार किया था और वह अब न्यायिक हिरासत में है।

उसकी पत्नी सीमा रानी पर लड़की को गर्भपात के लिए दवा देने का आरोप है। वह भी न्यायिक हिरासत में है।

भाषा नोमान नेत्रपाल

नेत्रपाल

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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