गुवाहाटी/उत्तर लखीमपुर, 21 जनवरी (भाषा) गौहाटी उच्च न्यायालय ने एक नाबालिग लड़की के कथित यौन शोषण मामले में पद्मश्री विजेता नवोन्मेषक उद्धब कुमार भराली को मिली अंतरिम अग्रिम जमानत रद्द कर दी है। अदालत ने कहा कि भराली को हिरासत में लेकर पूछताछ करना ‘जरूरी’ है।
दूसरी ओर, भराली ने दावा किया कि वह एक साजिश का शिकार हुए हैं और इसके खिलाफ कानूनी लड़ाई लड़ेंगे। भराली ने कहा कि वह शुक्रवार को लखीमपुर जिले की एक अदालत में समर्पण करेंगे।
भराली की अग्रिम जमानत याचिका पर बृहस्पतिवार को सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति हितेश कुमार सरमा ने उन्हें बीते साल 28 दिसंबर को अवकाशकालीन पीठ द्वारा दी गई अंतरिम अग्रिम जमानत रद्द कर दी थी।
न्यायमूर्ति सरमा ने अपने फैसले में कहा , ‘याचिकाकर्ता अग्रिम जमानत का लाभ पाने का हकदार नहीं है। लिहाजा, उसकी अर्जी खारिज की जाती है। 28 दिसंबर 2021 को जारी आदेश के तहत याचिकाकर्ता को हासिल अंतरिम राहत भी खत्म होती है।’
दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद न्यायमूर्ति सरमा ने कहा कि प्राथमिकी में लगाए गए आरोपों के साथ-साथ पीड़िता और चश्मदीदों के बयान के मद्देनजर मामले की जांच के लिए भराली को हिरासत में लेकर पूछताछ करना ‘जरूरी’ है।
भराली ने उत्तर लखीमपुर थाने में अपने खिलाफ भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) और यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण कानून (पॉक्सो) की विभिन्न धाराओं के तहत प्राथमिकी दर्ज किए जाने के बाद अग्रिम जमानत के लिए 23 दिसंबर को अदालत में याचिका दायर की थी।
अंतरिम अग्रिम जमानत खारिज होने के बाद उन्होंने कहा कि वह शुक्रवार को लखीमपुर के मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट के सामने समर्पण करेंगे।
उत्तर लखीमपुर स्थित आवास पर संवाददाताओं से बातचीत में भराली ने कहा, ‘मैं एक साजिश का शिकार हुआ हूं। चूंकि, मेरी जमानत अर्जी खारिज हो चुकी है, लिहाजा मेरे पास समर्पण करने के अलावा कोई और विकल्प नहीं है। मैं शुक्रवार को मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट के सामने समर्पण करूंगा।’
भराली की अग्रिम जमानत अर्जी पर फैसला लेते समय न्यायमूर्ति सरमा ने न सिर्फ केस डायरी, बल्कि पीड़िता और दो नाबालिग चश्मदीदों के बयान को आधार बनाया, जिन्होंने आरोप लगाया था कि याचिकाकर्ता ने पीड़िता के अलावा अपनी देख-रेख में पल रहीं कई अन्य लड़कियों के साथ भी यौन संबंध बनाए थे।
भराली के वकील एएम बोरा ने आरोप लगाया कि लखीमपुर की बाल कल्याण समिति (सीडब्ल्यूसी) के अध्यक्ष की याचिकाकर्ता से खुन्नस है और उसी ने तथ्यों के साथ छेड़छाड़ की है, जिसके आधार पर प्राथमिकी दर्ज की गई।
बोरा ने यह भी कहा कि भराली की देखभाल में रह रही एक बच्ची का ऑपरेशन हुआ था। उन्होंने आरोप लगाया कि भराली सीडब्ल्यूसी अध्यक्ष की नजरों में उसी समय से चढ़ गए थे, जब उन्होंने बच्ची के इलाज पर खर्च हुई राशि का भुगतान करने की मांग की थी।
भाषा पारुल अनूप
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