रांची, 25 जनवरी (भाषा) झारखंड लोक सेवा आयोग (जेपीएससी) ने 28 जनवरी से होने वाली सातवीं राज्य प्राशासनिक सेवा की मुख्य परीक्षा तत्काल प्रभाव से स्थगित कर दी है। आयोग ने मंगलवार को उच्च न्यायालय को यह जानकारी दी और कहा कि वह विभिन्न वर्गों को आरक्षण दिये जाने के मामले में प्रारंभिक परीक्षा के परिणामों की समीक्षा करेगा।
हालांकि, इससे पूर्व आज ही उच्च न्यायालय की एकल पीठ ने इसी मामले से जुड़ी एक अन्य रिट याचिका खारिज करते हुए मुख्य परीक्षा को स्थगित करने से इनकार कर दिया था।
सातवीं जेपीएससी मुख्य परीक्षा पर रोक लगाने की मांग को लेकर दायर रिट याचिका पर मंगलवार को सुनवाई के दौरान मुख्य न्यायाधीश डॉ रवि रंजन और न्यायाधीश सुजीत नारायण प्रसाद की खंड पीठ के समक्ष आयोग ने यह बयान दिया।
आयोग के अनुरोध पर अदालत ने उसे इस मामले में दो सप्ताह के भीतर जवाब दाखिल करने की अनुमति देने के साथ ही इसे 15 फरवरी के लिए सूचीबद्ध कर दिया।
इससे पूर्व, उच्च न्यायालय में सातवीं जेपीएससी में प्रारंभिक परीक्षा में आरक्षण के बिंदु पर सुनवाई हुई।
याचिका पर सुनवाई के दौरान न्यायालय ने जब प्रारंभिक परीक्षा में भी आरक्षण दे दिये जाने के आरोपों पर जवाब मांगा तो जेपीएससी ने मुख्य परीक्षा दो सप्ताह के लिए स्थगित करते हुए जवाब पेश करने के लिए समय मांगा।
जेपीएससी की मुख्य परीक्षा 28 जनवरी से प्रारंभ होने वाली थी जो अब तत्काल प्रभाव से स्थगित हो गयी है।
इससे पूर्व, सोमवार को इस खंडपीठ में सातवीं जेपीएससी की प्रारंभिक परीक्षा में आरक्षण दिए जाने के खिलाफ दाखिल अपील पर सुनवाई हुई थी।
सुनवाई के दौरान अदालत ने जेपीएससी से जवाब मांगा था। अदालत ने जानना चाहा कि सातवीं जेपीएससी में वर्ग वार कितनी सीटें थीं? प्रारंभिक परीक्षा में आरक्षण दिया गया है या नहीं? कितने आरक्षित श्रेणी के अभ्यर्थी सामान्य कैटेगरी में चयनित हुए हैं? इस सभी बिंदुओं पर जेपीएससी को जवाब देना था।
इसी दौरान मुख्य परीक्षा पर रोक लगाने की मांग की गई थी।
खंडपीठ में इस संबंध में कुमार संयम की ओर से एकलपीठ के आदेश के खिलाफ अपील दाखिल की गई है। एकलपीठ ने हाल ही में मुख्य परीक्षा पर रोक लगाने से इन्कार करते हुए प्रार्थी की याचिका खारिज कर दी थी।
इस अपील पर सुनवाई के दौरान प्रार्थी के अधिवक्ता अमृतांश वत्स ने अदालत को बताया कि सातवीं जेपीएससी की प्रारंभिक परीक्षा में भी आरक्षण दे दिया गया है। इसका न तो विज्ञापन में जिक्र किया गया था और न ही ऐसी नीति राज्य सरकार ने बनाई है, जिसके अनुसार प्रारंभिक परीक्षा में आरक्षण का लाभ दिया जा सके।
गुलाम सादिक के मामले में 16 जून 2021 को उच्च न्यायालय की खंडपीठ ने अपने आदेश में कहा था कि झारखंड सरकार के अनुसार जेपीएससी की प्रारंभिक परीक्षा में आरक्षण देने की कोई नीति नहीं है। वहीं वर्ष 2015 में लक्ष्मण टोप्पो के मामले में भी उच्च न्यायालय की खंडपीठ ने कहा था कि प्रारंभिक परीक्षा में झारखंड सरकार की नीति आरक्षण देने की नहीं है।
बहस में सोमवार को प्रार्थी की ओर से कहा गया कि सामान्य वर्ग की 114 सीट थी। नियमानुसार इसके पंद्रह गुना परीक्षार्थियों को सफल घोषित किया जाना चाहिए था। इस तरह सामान्य वर्ग में 1710 अभ्यर्थियों का चयन होना चाहिए था लेकिन मात्र 768 उम्मीदवारों का ही चयन किया गया है। इससे प्रतीत होता है कि प्रारंभिक परीक्षा में आरक्षण दिया गया है।
उनकी ओर से मुख्य परीक्षा पर रोक लगाने और प्रारंभिक परीक्षा के परिणाम को रद्द करने की मांग की गई। इस पर जेपीएससी की ओर से जवाब दाखिल करने का समय मांगा गया था।
इससे पूर्व आज ही झारखंड उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति राजेश शंकर की एकल पीठ ने सातवीं जेपीएससी की मुख्य परीक्षा पर रोक लगाने से इन्कार करते हुए इस सिलसिले में दाखिल याचिका खारिज कर दी थी।
अदालत ने अपने आदेश में कहा कि परीक्षा पर रोक लगाने से यह कभी न समाप्त होने वाली प्रक्रिया बन जाएगी। ऐसे में कोई भी परीक्षा पूरी नहीं हो पाएगी। हर व्यक्ति किसी न किसी गलत उत्तर का हवाला देकर अदालत में याचिका दाखिल करता रहेगा। जबकि अदालतें इन विषयों की विशेषज्ञ नहीं हैं।
अदालत ने कहा कि प्रार्थी को इस मामले में कोई राहत नहीं दी जा सकती है। सभी पक्षों की बहस पूरी होने के बाद अदालत ने 18 जनवरी को इस मामले में अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था।
इससे पहले मुख्य परीक्षा पर रोक लगाने को लेकर खंडपीठ में भी अपील दाखिल की थी। इस मामले में 13 जनवरी को सुनवाई करते हुए खंडपीठ ने मुख्य परीक्षा की तिथि 28 जनवरी से पहले एकल पीठ को इस मामले में आदेश पारित करने का निर्देश दिया था। जिसके बाद एकलपीठ ने मामले की सुनवाई पूरी कर अपना फैसला आज के लिए सुरक्षित रख लिया था।
इस मामले में प्रार्थी शेखर सुमन ने अदालत में याचिका दाखिल की थी। उनके अधिवक्ता राजेश कुमार ने बताया कि जेपीएससी की ओर से गलत मॉडल उत्तर के आधार पर प्रारंभिक परीक्षा का परिणाम घोषित किया गया है। जेपीएससी ने इस पर आपत्ति मांगी थी। पेपर एक के छह और पेपर दो के दो मॉडल उत्तर गलत हैं इसलिए स्वतंत्र विशेषज्ञ समिति का गठन करते हुए इन मॉडल उत्तरों पर परामर्श लिया जाना चाहिए तब तक मुख्य परीक्षा पर रोक लगाई जानी चाहिए।
इसके पहले जेपीएससी का कहना था कि अभ्यर्थियों की आपत्ति विशेषज्ञ समिति के पास भेजी गयी थी। समिति की अनुमति के बाद परिमाण जारी किया गया है। इसके बाद भी अगर किसी प्रकार की गलती की कोई संभावना होती भी है तो नियमानुसार इसका लाभ परीक्षा लेने वाले (जेपीएससी) को मिलता है, न कि अभ्यर्थी को मिलेगा।
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