रायपुर: छत्तीसगढ़ सरकार ने गुरुवार को एक असामान्य निर्णय लेते हुए बलरामपुर जिले के एक 12 साल की लड़की से गैंगरेप के मामले में पुलिस अधीक्षक सहित सात पुलिस वालों को निलंबित कर उनके खिलाफ बर्खास्तगी की कार्यवाही करने का आदेश जारी कर दिया.
इस कार्यवाही का एलान मुख्यमंत्री भूपेश बघेल द्वारा किया गया जिसे सत्तापक्ष के स्थानीय विधायक बृहस्पति सिंह द्वारा विधानसभा की कार्यवाही के दौरान सदन के अंदर उठाया गया.
बलरामपुर जिला अस्पताल में भर्ती 12 साल की गैंगरेप नाबालिग पीड़िता की पुलिस द्वारा रिपोर्ट ना लिखना और उसे किसी प्रकार चिकित्सा सेवा दिलाने की बजाए थाने में परिवार के साथ बैठाने का मुद्दा सिंह द्वारा सदन के अंदर विशेष ध्यानाकर्षण प्रस्ताव के दौरान उठाया गया जिसके समर्थन में सत्तारूढ़ और विपक्ष दोनों तरफ के विधायकों द्वारा एक स्वर में दोषी पुलिसवालों के खिलाफ कारवाही की मांग की गई.
विधायकों ने गैंगरेप के दोषियों के खिलाफ फांसी की मांग तक कर डाली. सदन के अंदर माहौल को गर्माते देख मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने स्वयं उठाकर जवाब देते हुए एलान किया कि ‘इन सातों पुलिसवालों को निलंबित समझा जाए और एक सप्ताह के भीतर उनके बर्खास्तगी की कार्यवाही सुनिश्चित की जाए.’
निलंबित किये गए पुलिस वालों में डीएसपी डी.के. सिंह, बलरामपुर थानेदार उमेश बघेल, एसआई अखिलेश सिंह, एसआई के.पी. सिंह, तीन पुरुष आरक्षक जोहन टोप्पो, सुधीर सिंह, अजय प्रजापत और महिला आरक्षक शशि तिर्की हैं.
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ध्यानाकर्षण प्रस्ताव के दौरान कांग्रेस विधायक बृहस्पति सिंह ने नाबालिग बालिका के साथ गैंग रेप के मुद्दे को उठाते हुए कहा कि इस पूरे प्रकरण में स्थानीय पुलिस का बहुत ही गैर जिम्मेदाराना और असहयोगात्मक रवैया रहा. पूरी घटना के विषय में सदन को जानकारी देते हुए वो बीच में भावुक हो उठे जिसके बाद पक्ष व विपक्ष दोनों तरफ के विधायक सिंह के साथ खड़े नजर आए.
ध्यानाकर्षण प्रस्ताव के दौरान बोलते हुए कांग्रेस विधायक ने कहा कि 19 फरवरी को ग्राम टांगरमहरी की आठवीं कक्षा में पढ़नेवाली 12 वर्षीय पीड़ित छात्र अपनी एक सहेली के साथ शिवगढ़ी मंदिर से प्रवचन सुनकर लौट रही थी. रास्ते में दो युवकों ने उन्हें मोटरसाइकल पर जबरन बैठाने का प्रयास किया लेकिन समय रहते पीड़ित की सहेली अपने आपको बचाकर भागने में कामयाब हो गयी लेकिन बालिका उन दरिंदों की पकड़ से निकल नही पायी. दोनों युवक बालिका को ग्राम दहेजवार के टोगरी स्थित एक मकान में लेकर गए जहां पहले से ही एक अन्य युवक मौजूद था.
बृहस्पति सिंह के अनुसार तीनों ने बालिका के साथ सुबह तक दुष्कर्म किया और फिर उसे मरणासन्न अवस्था में छोड़कर वहां से भाग निकले. पीड़िता जैसे तैसे वहां से अपने सहेली के घर पहुंच पायी जिसने उसे घर तक पहुंचाया.
सिंह ने बताया की पीड़िता की मां एवं उसके पड़ोसी जब उसे बलरामपुर थाने लेकर गए तो वहां थाना प्रभारी द्वारा उनकी मदद करने की बजाए यह पूछा गया कि क्या उन्होंने पीड़िता का रेप होते देखा है. इसके अलावा पुलिस ने पीड़िता को चिकित्सा सुविधा मुहैया कराने की बजाए उसे लगातार थाने में बिठाकर रखा गया और एफआईआर भी नहीं लिखी गई. पुलिस के रवैये को देख जब ग्रामीणों ने थाने का घेराव करना शुरू किया उसके बाद थानेदार और अन्य पुलिस कर्मियों द्वारा उसे एमआईसी के लिए जिला अस्पताल ले जाया गया.
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सिंह ने कहा कि पीड़िता की मां, सरपंच और अन्य परिजन द्वारा बार-बार इलाज के लिए निवेदन करने के बाद थाना प्रभारी बलरामपुर एवं उनके साथी पुलिसकर्मियों उसे रात को घर ले जाकर छोड़ आए. सिंह ने सदन को अवगत कराया कि इलाज के अभाव में पीड़िता रात भर तड़पती रही और उन्हें पता चला तो विधायक बृहस्पति सिंह ने स्वयं गांव की महिला सरपंच और परिवार के अन्य सदस्यों ने उसे जिला अस्पताल में भर्ती कराया. विधायक के अनुसार उसकी हालत अभी भी गंभीर है. उन्होंने आरोप लगाए कि पुलिस आरोपियों को बचाने का काम कर रही है और पीड़िता के परिजनों पर दबाव डाला जा रहा हैं कि वे अपना बयान बदलें.
हालांकि इस मामले में की गई कार्यवाही से सदन को अवगत कराते हुए गृह मंत्री ताम्रध्वज साहू ने कहा कि 20 फरवरी को पीड़िता की रिपोर्ट के आधार पर मामला दर्ज किया गया है और तीनों आरोपी जिसका नाम पिंटू उर्फ रवि ठाकुर, कुलदीप राम है के साथ एक अन्य नाबालिग आरोपी को भी गिरफ्तार किया गया है.