चेन्नई, 30 अगस्त (भाषा) तमिलनाडु के परिवहन मंत्री रहने के दौरान वी सेंथिल बालाजी ने विभाग में पूरी भर्ती प्रक्रिया को ‘‘भ्रष्टाचार के केंद्र’’ में तब्दील कर दिया था और उनकी सरपरस्ती में ‘‘पैसों के बदले नौकरी घोटाले’’ को अंजाम दिया गया। यह दावा प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने हाल में मामले में दाखिल आरोपपत्र में किया है।
अभियोजन शिकायत धनशोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) की विभिन्न धाराओं के तहत चेन्नई की विशेष अदालत में 12 अगस्त को दायर की गई जिस पर अदालत ने 16 अगस्त को संज्ञान लिया।
द्रविड़ मुनेत्र कषगम (द्रमुक) के नेता बालाजी (47) को ईडी ने 14 जून को ‘‘धन के बदले नौकरी घोटाले’’ के सिलसिले में गिरफ्तार किया था। एजेंसी के मुताबिक, उक्त घोटाला कथित तौर पर तब हुआ था जब वह 2011 से 2016 के बीच राज्य की पूर्ववर्ती ऑल इंडिया अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कषगम (अन्नद्रमुक) सरकार में परिवहन मंत्री थे।
यहां पुझल जेल में बंद बालाजी मुख्यमंत्री एमके स्टालिन के नेतृत्व वाली कैबिनेट में बिना विभाग के मंत्री बने हुए हैं। अदालत ने उनकी न्यायिक हिरासत 15 सितंबर तक बढ़ा दी है।
ईडी ने आरोपपत्र में आरोप लगाया, ‘‘तत्कालीन मंत्री वी सेंथिल बालाजी के कार्यकाल में परिवहन विभाग में पूरी भर्ती एक भ्रष्ट तंत्र में तब्दील हो गई, जिसमें मुखिया (वी सेंथिल बालाजी) के अवैध निर्देशों के अनुसार भर्ती प्रक्रिया को तैयार एवं क्रियान्वित किया गया।’’
इसमें कहा गया है कि बालाजी ने भ्रष्ट और अवैध तरीकों से व्यक्तिगत लाभ के लिए परिवहन मंत्री के रूप में अपने अधिकारों का ‘‘दुरुपयोग’’ किया और ‘‘महत्वपूर्ण एवं केंद्रीय’’ भूमिका निभाई।
ईडी ने आरोप लगाया, ‘‘उन्होंने आपराधिक गतिविधियों के जरिये अवैध तरीके से आय अर्जित की और इससे संबंधित रणनीति तैयार करने के लिए अपने भाई, निजी सहायकों और परिवहन विभाग के अधिकारियों सहित सह-साजिशकर्ताओं के साथ सहयोग किया।’’
एजेंसी ने कहा कि बालाजी और उनके दो निजी सहायकों – बी षनमुगन और एम कार्तिकेयन – ने अपने बयानों के दौरान एक-दूसरे के साथ अपने संबंधों से इनकार किया, लेकिन जांच और फॉरेंसिक विश्लेषण ने उनके संबंधों और उनकी (बालाजी की) भागीदारी और भूमिका की पुष्टि की।
इसमें कहा गया है कि जांच के दौरान जब्त कागजात से पता चला कि जिन अभ्यर्थियों ने आवेदन किया था और भर्ती के लिए बालाजी तथा उनके निजी सहायक से संपर्क किया था, उन्हें मंत्री द्वारा प्राप्त ‘‘अवैध परितोषण’’ की वजह से गैर कानूनी तरीके से नौकरियां मिलीं।
ईडी ने आरोप लगाया, ‘‘इसलिए, यह बिलकुल स्पष्ट है कि वी सेंथिल बालाजी ने अपने निजी सहायकों – बी षनमुगम और एम कार्तिकेयन के साथ ‘जॉब रैकेट घोटाले’ की लगातार और सावधानीपूर्वक निगरानी की और इसे अंजाम दिया।’’
इसमें कहा गया है कि कथित घोटाले की योजना में मंत्री के भाई (अशोक बालाजी) और सहयोगियों के माध्यम से नकदी का आदान-प्रदान शामिल था और जांच के दौरान पाए गए डिजिटल सबूतों से इसकी पुष्टि हुई।
एजेंसी ने कहा, ‘‘जब्त दस्तावेजों में नकदी जमा करने और नौकरी देने की रूपरेखा की जानकारी है। इसके अलावा, जांच में उम्मीदवारों के अंकों में छेड़छाड़ का खुलासा हुआ, जिससे आरोपियों को रिश्वत देने वालों का पक्ष लिया गया।’’
इसमें कहा गया है कि ईडी ने एक पेन ड्राइव जब्त किया है जिसमें एक एक्सेल शीट थी, जिसके मुताबिक परिवहन विभाग में चालक का पद 1.75 लाख रुपये में, परिचालक का पद 2.25 लाख रुपये में, जूनियर ट्रेड्समैन का पद पांच लाख रुपये में बेचा गया था जबकि कनिष्ठ सहायक का पद सात लाख रुपये में और सहायक अभियंता का पद 12 लाख रुपये में बेचा गया।
ईडी ने बालाजी और उनकी पत्नी एस मेघला के बैंक खाते में हुए लेनदेन का विश्लेषण किया और पाया कि ‘‘विशेष रूप से एमटीसी (महानगर परिवहन निगम) में नौकरी घोटाले की अवधि के दौरान/बाद में भारी नकदी जमा हुई थी।’’
एजेंसी ने इन आरोपों की जांच के लिए जुलाई 2021 में धनशोधन का मामला दर्ज किया था। यह मामला 2018 में तमिलनाडु पुलिस द्वारा दर्ज तीन प्राथमिकियों पर आधारित है जो उन लोगों की शिकायतों पर दर्ज किया गया था जो वादे के मुताबिक नौकरी पाने में विफल रहे।
भाषा धीरज नेत्रपाल
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