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Monday, 24 June, 2024
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वरिष्ठ कवि और लेखक मंगलेश डबराल का निधन, पिछले कुछ दिनों से कोविड से थे संक्रमित

वरिष्ठ कवि और लेखक मंगलेश डबराल का बुधवार शाम को निधन हो गया. वे 72 वर्ष के थे. कोविड से संक्रमित होने के बाद उनका इलाज गाजियाबाद के ही एक अस्पताल में चल रहा था.

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नई दिल्ली: वरिष्ठ कवि और लेखक मंगलेश डबराल का बुधवार शाम को निधन हो गया. वे 72 वर्ष के थे. कोविड से संक्रमित होने के बाद उनका इलाज गाजियाबाद के ही एक अस्पताल में चल रहा था. उनकी देखरेख उनकी बेटी अलमा डबराल कर रही थीं. 14 मई 1948 को टिहरी गढ़वाल, उत्तराखंड के काफलपानी गांव में जन्में डबराल की शुरुआती शिक्षा दीक्षा देहरादून में हुई थी.

मंगलेश डबराल समकालीन हिंदी कवियों में सबसे चर्चित नाम थे.उनके निधन के बाद साहित्य जगत में शोक की लहर दौड़ गई है. उनकी कई किताबें और संग्रह छाप चुके राजकमल प्रकाशन ने ट्वीट कर श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए लिखा है कि हमारी स्मृतियों में वे हमेशा रहेंगे.

वहीं उनकी मौत पर दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने भी श्रद्धाजंलि अर्पित की है. सिसोदिया ने ट्वीट किया, ‘कवि लेखक चिंतक पत्रकार मंगलेश डबराल जी के असमय निधन की सूचना से स्तब्ध हूं, जनपक्षधरता के साथ ही सरलता और मृदुभाषी छवि के लिए उन्हें सदा याद किया जाएगा.’

मंगलेश डबराल जनसत्ता के साहित्य संपादक भी रह चुके हैं. इसके अलावा, उन्होंने कुछ समय तक लखनऊ से प्रकाशित होने वाले अमृत प्रभात में भी नौकरी की. इस समय वे नेशनल बुक ट्रस्ट से जुड़े हुए थे. मंगलेश डबराल को साहित्य अकादमी पुरस्कार भी मिल चुका था.

 

मंगलेश डबराल की पांच काव्य संग्रह प्रकाशित हो चुके हैं. इनके नाम- पहाड़ पर लालटेन, घर का रास्ता, हम जो देखते हैं, आवाज भी एक जगह है और नये युग में शत्रु है. इसके अलावा, इनके दो गद्य संग्रह- लेखक की रोटी और कवि का अकेलापन भी प्रकाशित हो चुका है.

दिल्ली हिन्दी अकादमी के साहित्यकार सम्मान, कुमार विकल स्मृति पुरस्कार और अपनी सर्वश्रेष्ठ रचना हम जो देखते हैं के लिए साहित्य अकादमी द्वारा सन् 2000 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित मंगलेश डबराल एक बेहतरीन अनुवादक के रूप में भी जाने जाते हैं.

मंगलेश की कविताओं के भारतीय भाषाओं के अतिरिक्त अंग्रेज़ी, रूसी, जर्मन, डच, स्पेनिश, पुर्तगाली, इतालवी, फ़्रांसीसी, पोलिश और बुल्गारियाई भाषाओं में भी अनुवाद प्रकाशित हो चुके हैं. कविता के अतिरिक्त वे साहित्य, सिनेमा, संचार माध्यम और संस्कृति के विषयों पर नियमित लेखन भी किया करते थे.

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