नयी दिल्ली, 28 मई (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने बुधवार को कहा कि वरिष्ठ वकीलों को गर्मी की छुट्टियों के दौरान मामलों पर बहस नहीं करनी चाहिए।
न्यायमूर्ति बी. वी. नागरत्ना और न्यायमूर्ति सतीश चंद्र शर्मा की पीठ ने कहा कि कनिष्ठ वकीलों को छुट्टियों के दौरान अवसर मिलने चाहिए।
पीठ ने वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी, अभिषेक मनु सिंघवी और नीरज किशन कौल से कहा, ‘‘वरिष्ठ वकीलों को इन आंशिक कार्य दिवसों के दौरान मामलों पर बहस नहीं करनी चाहिए।’’
ये वकील राष्ट्रीय कंपनी विधि अधिकरण (एनसीएलटी) के एक आदेश के खिलाफ दायर याचिका पर पेश हुए थे।
इस संबंध में एक वकील ने मामले का उल्लेख करते हुए स्थगन का अनुरोध किया क्योंकि वरिष्ठ अधिवक्ता श्याम दीवान उपलब्ध नहीं थे।
शीर्ष अदालत ने अपनी पारंपरिक गर्मी की छुट्टियों के दौरान अवकाशकालीन पीठ को ‘‘आंशिक अदालती कार्य दिवस’’ के रूप में नया नाम दिया है।
यह घटनाक्रम उच्चतम न्यायालय नियम, 2013 में संशोधन का हिस्सा था, जो अब उच्चतम न्यायालय (द्वितीय संशोधन) नियम, 2024 बन गया है।
अधिसूचना में कहा गया है, ‘‘अदालत के आंशिक कार्य दिवसों की अवधि और न्यायालय तथा न्यायालय के कार्यालयों के लिए अवकाश की संख्या इस तरह से होगी कि यह रविवार को छोड़कर छुट्टियों की संख्या 95 दिनों से अधिक नहीं हो। इसे प्रधान न्यायाधीश द्वारा निर्धारित किया जाएगा और आधिकारिक राजपत्र में अधिसूचित किया जाएगा।’’
मौजूदा व्यवस्था के अनुसार उच्चतम न्यायालय हर साल गर्मी और सर्दी की छुट्टियां लेता है। हालांकि, इन अवधि के दौरान शीर्ष अदालत पूरी तरह से बंद नहीं रहती है। गर्मियों के दौरान, प्रधान न्यायाधीश द्वारा महत्वपूर्ण और जरूरी मामलों की सुनवाई के लिए ‘‘अवकाश पीठ’’ स्थापित की जाती थी।
विशेष रूप से नए संशोधित नियमों में ‘‘अवकाशकालीन न्यायाधीश’’ शब्द की जगह अब ‘‘न्यायाधीश’’ का प्रयोग किया गया है।
हाल में प्रकाशित ‘2025 उच्चतम न्यायालय कैलेंडर’ के अनुसार, आंशिक न्यायालय कार्य दिवस 26 मई, 2025 से शुरू होंगे और 14 जुलाई, 2025 को समाप्त होंगे।
भाषा
सुरभि नरेश
नरेश
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