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Tuesday, 22 July, 2025
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पहलगाम हमले को अंजाम देने वाले आतंकियों के फरार रहने से सुरक्षा चिंताएं बढ़ीं; जवाबदेही तय करने की मांग

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(सुमीर कौल)

पहलगाम (जम्मू कश्मीर), 22 जुलाई (भाषा) पहलगाम आतंकी हमले के तीन महीने बाद भी, इसे अंजाम देने वाले आतंकवादियों के फरार रहने के कारण क्षेत्र में सुरक्षा चूक को लेकर चिंता जताई जा रही है और जवाबदेही तय करने की मांग बढ़ रही है।

राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) ने 22 अप्रैल को हुई इस घटना के सिलसिले में अब तक दो गिरफ्तारियां की हैं।

माना जा रहा है कि गिरफ्तार किये गए लोगों ने ही हमलावरों को साजोसामान उपलब्ध कराए थे, जबकि इस हमले के लिए जिम्मेदार आतंकवादी अब भी सुरक्षा एजेंसियों की जद में नहीं आए हैं।

अगले महीने अपना पांच साल का कार्यकाल पूरा करने जा रहे उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने इस घटना को ‘‘सुरक्षा विफलता’’ माना है। उनकी इस स्वीकारोक्ति की मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने सराहना की, लेकिन जवाबदेही की भी मांग की है।

अब्दुल्ला ने हाल में ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘मैं उपराज्यपाल के बयान की सराहना करता हूं, लेकिन विफलता स्वीकार करने के बाद कार्रवाई भी होनी चाहिए।’’

मुख्यमंत्री ने कहा था, ‘‘जब इतनी गंभीर चूक के कारण कीमती जानें चली जाएं , तो इसके लिये जिम्मेदार लोगों पर कार्रवाई होनी चाहिए। कश्मीर के लोगों को यह जानने का हक है कि क्या गलत हुआ और इसके लिए किसे जिम्मेदार ठहराया जाएगा।’’

पहलगाम में 22 अप्रैल को हुए आतंकी हमले में 26 लोग मारे गए थे, जिनमें से ज्यादातर पर्यटक थे।

अधिकारियों का कहना है कि खुफिया एजेंसियों को आतंकी हमले होने की संभावना के बारे में सतर्क किया गया था, लेकिन इन सूचनाओं का उपयोग हमले वाले स्थान से लगभग 90 किलोमीटर दूर किसी अन्य स्थान पर किया गया, जिसके परिणामस्वरूप सुरक्षा में बड़ी चूक हुई।

एनआईए को इस मामले की जांच का जिम्मा सौंपा गया है और अब तक उसने दो संदिग्धों को गिरफ्तार किया है, जिन पर हमलावरों को पनाह देने और भोजन की व्यवस्था करने का संदेह है।

एजेंसी ने 22 जून को दो लोगों — पहलगाम के बटकोट निवासी परवेज अहमद जोथर और पहलगाम के हिल पार्क निवासी बशीर अहमद जोथर को गिरफ्तार किया था।

एनआईए ने कहा था कि गिरफ्तार आरोपी वर्तमान में हिरासत में हैं। उन्होंने हमले में शामिल तीन हथियारबंद आतंकवादियों की पहचान का खुलासा किया है और यह भी पुष्टि की है कि वे पाकिस्तानी नागरिक थे, जो प्रतिबंधित ‘द रेजिस्टेंस फ्रंट’ (टीआरएफ) से जुड़े हुए हैं। यह संगठन पाकिस्तान से संचालित आतंकवादी संगठन लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी) से संबद्ध है।

एनआईए की जांच के अनुसार, परवेज और बशीर ने हमले से पहले जानबूझकर तीन हथियारबंद आतंकवादियों को हिल पार्क स्थित एक ढोक (झोपड़ी) में पनाह दी थी।

एजेंसी ने कहा कि दोनों लोगों ने आतंकवादियों को भोजन, आश्रय और साजो-सामान उपलब्ध कराया था, जिन्होंने घटना वाले दिन धार्मिक पहचान के आधार पर पर्यटकों की जान ली थी।

मुख्यमंत्री अब्दुल्ला द्वारा शीर्ष अधिकारियों को जवाबदेह ठहराने की मांग, सुरक्षा विफलता की जिम्मेदारी तय करने के लिए लोगों के बढ़ते दबाव को दर्शाता है।

सुरक्षा अधिकारियों ने बताया कि आतंकवादी, जो ‘‘फाल्कन स्क्वाड’’ के नाम से जानी जाने वाली टीआरएफ इकाई के सदस्य हैं, सैन्य वर्दी में पहलगाम क्षेत्र में घुसे थे तथा उनके पास सेना जैसे हथियार और कैमरा-युक्त हेलमेट सहित अन्य संचार उपकरण थे।

उन्होंने बताया कि हमले की साजिश कथित तौर पर सैफुल्लाह कसूरी उर्फ खालिद ने बनाई थी, जो लश्कर का शीर्ष कमांडर और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर घोषित आतंकवादी हाफिज सईद का निजी सहायक है।

सुरक्षा अधिकारियों ने संकेत दिया कि हमलावरों का ऑनलाइन पता कराची और मुजफ्फराबाद में सीमा के पास स्थित सुरक्षित ठिकानों से लगाया गया था, जिससे पता चलता है कि हमलावर पाकिस्तान में लश्कर-ए-तैयबा नेटवर्क से जुड़े हुए थे।

उन्होंने कहा कि ‘‘फाल्कन स्क्वाड’’ के तहत प्रशिक्षित आतंकवादियों का इस्तेमाल करना विकेन्द्रीकृत और आसानी से पता न चल सकने वाले गुर्गों पर बढ़ती निर्भरता को दर्शाता है, जिससे भविष्य में जम्मू कश्मीर में क्षेत्रीय सुरक्षा और लोगों की जान को खतरा पैदा हो सकता है।

भाषा सुभाष दिलीप

दिलीप

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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