नयी दिल्ली, 23 अगस्त (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को कहा कि दीवानी प्रक्रिया संहिता (सीपीसी) की धारा 151 के तहत अदालत के अंतर्निहित अधिकार तभी लागू हो सकते हैं जब कानून के अनुसार कोई वैकल्पिक उपाय उपलब्ध नहीं हो।
शीर्ष अदालत ने कहा कि अदालत के अंतर्निहित अधिकारों से संबंधित सीपीसी की धारा 151 को नये सिरे से मुकदमे दायर करने, अपीलों, पुनरीक्षा या पुनर्विचार याचिका दाखिल करने के विकल्प के रूप में लागू नहीं किया जा सकता।
प्रधान न्यायाधीश एन वी रमण की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा, ‘‘किसी पक्ष को ऐतिहासिक गलतियों का आरोप लगाने और उन्हें सुधारने तथा सीपीसी में अंतर्निहित प्रक्रियात्मक सुरक्षा उपायों को दरकिनार करने के लिए धारा 151 में सहारा नहीं मिल सकता है।’’
पीठ ने तेलंगाना उच्च न्यायालय द्वारा पारित सितंबर 2021 के एक फैसले के खिलाफ दायर एक अपील पर अपना निर्णय सुनाया। तेलंगाना उच्च न्यायालय ने 1953 में शुरू हुए एक संपत्ति के मामले में 2013 में अंतिम आदेश को वापस लेने की अनुमति दी थी।
भाषा वैभव माधव
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