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Sunday, 5 May, 2024
होमदेशनामीबिया के बाद दूसरे जत्थे में दक्षिण अफ्रीका से आए 12 चीतों को MP के कूनो पार्क में छोड़ा गया

नामीबिया के बाद दूसरे जत्थे में दक्षिण अफ्रीका से आए 12 चीतों को MP के कूनो पार्क में छोड़ा गया

दक्षिण अफ्रीका से 12 चीतों को लेकर भारतीय वायुसेना का एम-17 विमान सुबह करीब 10 बजे मध्य प्रदेश के ग्वालियर पहुंचा था. इनमें 7 नर और 5 मादाएं हैं जो हेलिकॉप्टर से दोपहर को कूनो पहुंचे. 

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नई दिल्ली: भारत में पिछले सात दशक से विलुप्त चीतों को पुन: बसाने की योजना ‘‘चीता प्रोजेक्ट’’ के तहत भारतीय वायुसेना के विमान से दक्षिण अफ्रीका से 12 चीतों को शनिवार को कुनो नेशनल पार्क (केएनपी) लाया गया, जिन्हें राज्य के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव ने उनके नए घर में छोड़ा.

दक्षिण अफ्रीका से 12 चीतों को लेकर भारतीय वायुसेना का एम-17 विमान शनिवार सुबह करीब 10 बजे मध्य प्रदेश के ग्वालियर पहुंचा था. इनमें 7 नर और 5 मादाएं हैं जो हेलिकॉप्टर से दोपहर को कूनो पहुंचे.

बता दें कि इससे पहले पिछले साल सितंबर महीने में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने केएनपी में एक समारोह में नामीबिया से लाए गए आठ चीतों के पहले जत्थे को बाड़ों में छोड़ा था. शनिवार को लाए गए 12 चीतों को मिलाकर केएनपी में अब कुल 20 चीते हो गए हैं.

उन्होंने कहा कि इन चीतों को ग्वालियर से दोपहर करीब 12 बजे वायुसेना के हेलीकॉप्टर से 165 किलोमीटर दूर केएनपी भेजा गया.

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चीतों को उनके बेड़े में छोड़ने के बाद, सीएम शिवराज ने कहा पीएम की सोच भारत को एक नई दिशा दे रही है.

उन्होंने कहा, ‘‘पीएम की सोच पर्यावरण को बचाना है जिसमें यह भारत को एक नई दिशा दे रहा है. पर्यावरण बचाने की दृष्टि से यह महत्वपूर्ण है,चीते विलुप्त हो गए थे वे फिर से पुनर्स्थापित हो रहे हैं जोकि इस चीता प्रोजेक्ट से किया जा रहा है.’’

उन्होंने आगे कहा, ‘‘मध्य प्रदेश को महाशिवरात्रि पर तोहफा मिला है. मैं पीएम मोदी को तहे दिल से धन्यवाद देता हूं, यह उनका विजन है. कुनो में 12 चीतों का पुनर्वास किया जाएगा और कुल संख्या 20 हो जाएगी. जो चीते पहले आए थे, वे अब स्थिति के अनुकूल हो गए हैं.’’

वहीं, केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव ने कहा, ‘‘पीएम मोदी ने दिसंबर ने चीता प्रोजेक्ट को शुरू किया था. आज इस प्रोजेक्ट का दूसरा भाग शुरू हुआ है. इस बीच नामीबिया से आए चीतों का क्वारंटाइन पूरा हो गया है. बड़ी बात है कि एमपी सरकार के वन विभाग अधिकारियों ने 6 महीने में 6,000 चीता मित्र तैयार किए हैं.’’

परियोजना से जुड़े एक विशेषज्ञ ने बताया कि इन चीतों ने परिवहन विमान से दक्षिण अफ्रीका के गौतेंग स्थित ओआर टांबो अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डे से हज़ारों मील दूर भारत में अपने नए घर के लिए यात्रा शुक्रवार शाम को शुरू की थी.

केएनपी के निदेशक उत्तम शर्मा ने कहा कि उन्होंने दक्षिण अफ्रीकी चीतों के लिए 10 बाड़े स्थापित किए हैं. इनमें से दो बाड़ों में दो जोड़ी चीता भाइयों को रखा जाएगा.

उन्होंने कहा, ‘‘हमने चीतों को यहां रखने के लिए अपनी तैयारी पूरी कर ली है.’’

विशेषज्ञों ने कहा कि दक्षिण अफ्रीका के एक प्रतिनिधिमंडल ने पिछले साल सितंबर की शुरुआत में केएनपी का दौरा किया था ताकि जमीन पर दुनिया के सबसे तेज़ दौड़ने वाले जानवरों के आवास के लिए वन्यजीव अभयारण्य में व्यवस्था का जायज़ा लिया जा सके.

इन चीतों के स्थानांतरण के लिए पिछले महीने भारत और दक्षिण अफ्रीका के बीच एक करार हुआ था. दक्षिण अफ्रीका ने भारत को ये चीते दान किए हैं.

भारत को प्रत्येक चीता को स्थानांतरित करने से पहले वहां पकड़ने के लिए 3000 अमेरीकी डॉलर का भुगतान करना पड़ता है. भारत ने पिछले साल अगस्त में इन दक्षिण अफ्रीकी चीतों को विमान से देश लाने की योजना बनाई थी, लेकिन दोनों देशों के बीच औपचारिक समझौते पर हस्ताक्षर करने में देरी के कारण ऐसा नहीं हो सका.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 17 सितंबर को अपने 72वें जन्मदिन पर नामीबिया से आए आठ चीतों को केएनपी में छोड़ा था, लेकिन उस समय दक्षिण अफ्रीकी सरकार से अनुमोदन के अभाव में इन 12 चीतों केएनपी नहीं लाया जा सका था.


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