नयी दिल्ली, 12 अक्टूबर (भाषा) केंद्रीय मंत्री एवं बिहार के लिए भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के चुनाव प्रभारी धर्मेंद्र प्रधान ने रविवार को घोषणा की कि राज्य विधानसभा चुनाव में भाजपा और जनता दल (यूनाइटेड) 101-101 सीट पर चुनाव लड़ेंगे, जबकि केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान के नेतृत्व वाली लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) 29 सीट पर अपने उम्मीदवार उतारेगी।
भाजपा की केंद्रीय चुनाव समिति की बैठक शुरू होने के बाद प्रधान ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा कि केंद्रीय मंत्री जीतन राम मांझी की पार्टी हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा (सेक्युलर) और उपेंद्र कुशवाहा के नेतृत्व वाली पार्टी राष्ट्रीय लोक मोर्चा (आरएलएम) छह-छह सीट पर अपने उम्मीदवार उतारेगी। भाजपा की केंद्रीय चुनाव समिति में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और अन्य वरिष्ठ नेता शामिल हैं।
वर्ष 2005 में राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के नेतृत्व वाली सरकार के 15 साल के शासन को समाप्त करने के बाद यह पहला विधानसभा चुनाव है, जिसमें नीतीश कुमार-नीत जनता दल (यूनाइटेड) चुनावी गठबंधन के तहत भाजपा से अधिक सीट पर चुनाव नहीं लड़ेगी। यह जद (यू) द्वारा सत्तारूढ़ गठबंधन के भीतर भाजपा के बढ़ते प्रभाव को स्वीकार करने का स्पष्ट संकेत है।
भाजपा ने 2024 के लोकसभा चुनाव में राज्य में जद(यू) से एक सीट अधिक पर चुनाव लड़ा था, यह भी पहली बार हुआ था।
प्रधान ने दावा किया कि राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) के सभी सहयोगियों ने सौहार्दपूर्ण ढंग से सीट बंटवारा पूरा कर लिया है। उन्होंने कहा, ‘‘राजग के सभी दलों के नेता और कार्यकर्ता इसका प्रसन्नता से स्वागत करते हैं। बिहार एक और राजग सरकार के लिए तैयार है।’’
पासवान और कुशवाहा ने भी प्रधान के संदेश को दोहराया।
मांझी की पार्टी को मिली सीट उनके सार्वजनिक रुख से काफी कम है। उन्होंने प्रधान की घोषणा से कुछ घंटे पहले एक पोस्ट में कहा था कि वह ‘अपनी अंतिम सांस तक’ प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के प्रति निष्ठावान रहेंगे।?
मांझी ने कहा कि बिहार में फिर से मोदी-नीतीश सरकार बनेगी।
बाद में मांझी ने पत्रकारों से कहा कि वह भाजपा नेतृत्व के फैसले को स्वीकार करेंगे। उन्होंने हालांकि साथ ही यह भी कहा कि उनकी पार्टी को कमतर आंका गया है, जिसका राजग पर असर पड़ सकता है।
यह घोषणा भाजपा के वरिष्ठ नेतृत्व एवं जद(यू) को छोड़कर अन्य सहयोगियों के बीच कई दिनों की बातचीत के बाद की गई। जद(यू) की राजग के प्रमुख दल भाजपा के साथ पहले ही सहमति बन चुकी थी।
पासवान, मांझी और कुशवाहा जैसे सहयोगियों ने सीट बंटवारे के लिए बातचीत के दौरान कभी नरम तो कभी गरम रुख अपनाया। ऐसा प्रतीत होता है कि पासवान ने अपनी पार्टी के वास्ते अधिक सीट देने के लिए भाजपा को राजी किया।
बिहार की 243-सदस्यीय विधानसभा के लिए छह और 11 नवंबर को दो चरणों में मतदान होगा। मतगणना 14 नवंबर को होगी।
वर्ष 2020 में, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली पार्टी जद(यू) ने 115 सीट पर और भाजपा ने 110 सीट पर चुनाव लड़ा था, जबकि पासवान की पार्टी ने अकेले चुनाव लड़ा था।
राजग ने कड़े मुकाबले वाले चुनाव में 125 सीट जीती थीं जबकि महागठबंधन ने 110 सीट हासिल की थीं।
इस बीच, बिहार में विपक्षी ‘महागठबंधन’ अगले कुछ दिनों में अपनी सीट बंटवारे को अंतिम रूप दे सकता है और एक संयुक्त घोषणापत्र के साथ अपने उम्मीदवारों की घोषणा कर सकता है।
शीर्ष सूत्रों ने कहा कि राजद और कांग्रेस के बीच बातचीत जारी है और उनका नेतृत्व सोमवार को मुलाकात कर सकता है, क्योंकि राजद प्रमुख लालू प्रसाद और तेजस्वी यादव राष्ट्रीय राजधानी में हैं।
सीट बंटवारे की घोषणा में देरी पर कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने कहा, ‘‘हमें ‘महागठबंधन’ में कुछ नये सहयोगियों को शामिल करना होगा और सीट बंटवारे में भी उन्हें समायोजित करना होगा।’’
उन्होंने कहा, ‘‘हमें उम्मीद है कि अगले दो-तीन दिन में सभी सीट पर अंतिम फैसला हो जायेगा और इसकी घोषणा कर दी जाएगी।’’
इस बार कांग्रेस कितनी सीट पर चुनाव लड़ेगी, इस बारे में पूछे जाने पर रमेश ने कहा, ‘‘50 से 100 के बीच में।’’
पिछले बिहार विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने 70 सीट पर चुनाव लड़ा था और 19 पर जीत हासिल की थी, जबकि राजद ने 144 सीट पर चुनाव लड़ा था और 243-सदस्यीय विधानसभा में 75 सीट हासिल की थी।
भाषा अमित सुरेश
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