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Thursday, 25 April, 2024
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वैराग्य या विकास- केदारनाथ की दीवारों पर सोने की परत चढ़ाने को लेकर पुजारी और धामी सरकार आमने-सामने

स्थानीय पुजारियों का आरोप है कि केदारनाथ के गर्भगृह की दीवारों पर सोना चढ़ाना परंपरा के खिलाफ है. लेकिन मंदिर प्रबंधन 'विकास योजना' के नाम पर सरकार के इस कदम का बचाव कर रहा है.

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देहरादून: यह कहते हुए कि ‘मंदिर वैराग्य (सांसारिक सुख से अलगाव) का स्थान है’, स्थानीय पुजारी उत्तराखंड सरकार के केदारनाथ के गर्भगृह की दीवार पर 200 किलोग्राम की सोने की परत चढ़ाने के प्रस्ताव के विरोध में आवाज उठा रहे हैं.

सरकार के इस कदम से नाराज स्थानीय पुजारियों ने आरोप लगाया कि यह मंदिर की परंपराओं के खिलाफ है क्योंकि ‘सोना धन और सांसारिक सुख का प्रतीक है’ और इसे मंदिर से नहीं जोड़ा जा सकता है. मंदिर का स्थान ‘सांसारिक दुनिया से अलगाव’ का प्रतीक है.

हालांकि मंदिर का प्रबंधन करने वाली संस्था ‘बद्री केदार मंदिर समिति (बीकेटीसी)’ के अधिकारियों ने तर्क दिया कि यह कदम ‘मंदिर क्षेत्र विकास योजना’ का हिस्सा है. बीकेटीसी के सदस्यों ने कहा कि इसका विरोध करने वाले अपने दावों के समर्थन में कोई तार्किक तर्क नहीं दे रहे हैं.

स्थानीय पुजारियों की ओर से आ रही विरोध की आवाजों के बारे में पूछे जाने पर उत्तराखंड के पर्यटन और धार्मिक मामलों के मंत्री सतपाल महाराज ने बताया कि योजना को ‘सरकार ने मंजूरी दे दी है और इस पर काम चल रहा है.’

उन्होंने दिप्रिंट को बताया, ‘अगर किसी को कोई समस्या है, तो उनकी बात सुनी जाएगी और उनकी चिंताओं को दूर किया जाएगा. डोनर की इच्छा महत्वपूर्ण नहीं है. मुझे अभी भी केदारनाथ की सही स्थिति की जानकारी नहीं है लेकिन मैं इसके बारे में जानकारी लूंगा.’

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मुंबई के एक व्यवसायी की सोना दान देने की इच्छा के बाद मंदिर के गर्भगृह की दीवारों पर सोने की परत चढ़ाने के फैसले को राज्य सरकार ने मंजूरी दी थी. पुजारियों के विरोध के चलते, सरकार ने पिछले साल दिसंबर में राज्य में 53 मंदिरों का प्रबंधन करने वाले चार धाम देवस्थानम बोर्ड को भंग कर दिया था.


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‘पुजारियों को भी नहीं बताया गया’

स्थानीय पुजारियों के संघ केदार सभा के अध्यक्ष विनोद शुक्ला ने दिप्रिंट को बताया, ‘हम गुरुवार सुबह मजदूरों को गर्भगृह की दीवारों में छेद करते हुए देखकर हैरान थे. स्थानीय पुजारियों को इस बारे में सूचना नहीं दी गई थी.’

शुक्ला ने आरोप लगाया कि राज्य सरकार और जिला प्रशासन ‘केदारनाथ की परंपराओं और मान्यताओं में दखलअंदाजी करने की कोशिश कर रहे हैं.’ उन्होंने कहा कि मोक्ष धाम या वैराग्य धाम के रूप में जाना जाने वाला यह मंदिर सांसारिक जीवन से अलगाव को दर्शाता है.

शुक्ला ने कहा, ‘सरकार मंदिर को और अधिक सजावटी रूप देकर उसकी पवित्रता को छीनना चाहती है. इसे उसके मूल रूप में ही छोड़ देना चाहिए. हम ऐसा नहीं होने देंगे. हम मंदिर की देखरेख करते हैं और इस तरह के फैसलों पर हमसे सलाह लेनी चाहिए थी.’

चार धाम तीर्थ पुरोहितों की संस्था ‘चार धाम तीर्थ पुरोहित समाज’ के उपाध्यक्ष आशुतोष चतुर्वेदी ने शुक्ला के विचारों से सहमति जताई. चतुर्वेदी केदार सभा के सदस्य भी हैं, उन्होंने कहा, ‘अतीत में इस विचार के विरोध के बावजूद प्रशासन ने अचानक सोना चढ़ाने का काम शुरू करने को लेकर हमें अंधेरे में रखा है.’

चतुर्वेदी ने आगे कहा कि गर्भगृह की दीवारों पर सोने की परत चढ़ाने के प्रस्ताव पर पिछले सप्ताह स्थानीय पुजारियों के संगठनों के साथ जिला मजिस्ट्रेट (रुद्रप्रयाग) और उप-मंडल मजिस्ट्रेट (केदारनाथ) की बैठक में चर्चा की गई थी.

उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा, ‘हमारे विरोध के बावजूद डीएम ने कहा कि पहले गर्भगृह की दीवारों से चांदी की परत हटाने दें और फिर सोना चढ़ाने की योजना के बारे में फैसला लेंगे. लेकिन उन्होंने हमें जानकारी दिए बिना सोना चढ़ाने के लिए दीवारों को खोदना शुरू कर दिया.’

चतुर्वेदी ने यहां तक कहा कि पुरोहित अब ‘मंदिर की रखवाली कर रहे हैं और किसी को भी अंदर काम करने नहीं देंगे’.

उन्होंने धमकी दी, ‘अगर सरकार ने सोना चढ़ाना बंद नहीं किया और गर्भगृह की दीवारों को उनके मूल रूप में नहीं छोड़ा, तो तीर्थ पुजारी समुदाय सड़कों पर विरोध का सहारा लेगा.’


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‘सोने की परत चढ़ाने को लेकर कुछ भी नया नहीं’

दूसरी ओर बीकेटीसी के अधिकारियों ने तर्क दिया कि मंदिरों में सोने की परत चढ़ाने को लेकर कुछ ‘नया नहीं है और कोई भी इसे रोक नहीं सकता’. उन्होंने कहा कि यह मंदिर की सदियों पुरानी परंपरा का उल्लंघन नहीं है.

बीकेटीसी के अध्यक्ष अजेंद्र अजय ने दिप्रिंट को बताया, ‘भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) सहित संबंधित विभागों के परामर्श के बाद सोने की परत चढ़ाने का काम शुरू किया गया था. इसके लिए किसी भी परंपरा का उल्लंघन नहीं किया गया है. अनुमति देने से पहले एएसआई और अन्य विशेषज्ञों से परामर्श किया गया था.’

अजय ने आरोप लगाया कि ‘मुट्ठी भर लोग काम में बाधा डालने की कोशिश कर रहे हैं’. उन्होंने कहा कि ‘मसले को शांति के साथ और कानूनी तरीके से हल किया जाएगा’.

केदारनाथ एसडीएम योगेंद्र सिंह, जो केदारनाथ विकास प्राधिकरण (केडीए) के सीईओ भी हैं, ने कहा कि यह पहली बार नहीं है जब किसी भक्त ने किसी मंदिर में सोना दान देने की पेशकश की है.

उन्होंने बताया, ‘गुजरात में सोमनाथ मंदिर, वाराणसी में काशी मंदिर और कई अन्य मंदिरों में पहले से ही कुछ रूपों में सोने का दान दिया गया है. जो लोग कहते हैं कि केदारनाथ में सोना चढ़ाना मंदिर की धार्मिक मान्यताओं और परंपराओं के खिलाफ है, वे अच्छी तरह जानते हैं कि बद्रीनाथ मंदिर को मोक्ष धाम के रूप में भी जाना जाता है और कुछ साल पहले यहां भी सोना दान किया गया था.’

सिहं ने दोहराया कि बीकेटीसी एक सरकारी निकाय है जो बद्रीनाथ और केदारनाथ मंदिरों के संरक्षण और विकास के लिए काम करता है. उन्होंने  दिप्रिंट से कहा, ‘हम धार्मिक स्थलों की छवि को खराब करने के लिए कुछ नहीं करते हैं. मंदिर के ढांचे के अंदर खुदाई का आरोप लगाने वालों को पता होना चाहिए कि ‘शिवलिंगम’ के साथ कोई छेड़छाड़ नहीं की जा रही है.

उन्होंने कहा कि सोने की परत लगाने के लिए छोटे छेद ड्रिल किए जा रहे हैं. इसी तरह का काम तब भी किया गया था जब 2016 में गर्भगृह की दीवारों पर चांदी की परत लगाई गई थी. सिंह ने कहा, ‘हम सिर्फ चांदी को सोने से बदल रहे हैं.’


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दान देने वाले को कोई नहीं जानता

नाम न बताने की शर्त पर बीकेटीसी के एक अधिकारी ने दिप्रिंट को बताया कि मंदिर को 230 किलोग्राम सोना दान करने वाले मुंबई के इस व्यवसायी ने बीकेटीसी प्रमुख से कहा था कि केदारनाथ के गर्भगृह की दीवारों को सोने से ढका हुआ देखना उनकी ‘एक पुरानी इच्छा’ है.

अधिकारी के अनुसार, तब बीकेटीसी के प्रमुख अजेंद्र अजय ने उत्तराखंड सरकार से संपर्क किया था कि दान दाता को मौजूदा चांदी की प्लेटों को सोने से बदलने की अनुमति दी जाए. अधिकारी ने कहा, ‘यह महत्वपूर्ण है कि पुष्कर सिंह धामी सरकार ने एक सप्ताह पहले प्रस्ताव को मंजूरी दी और पांच दिन पहले सोने की परत चढ़ाने का काम शुरू हो गया’.

उन्होंने कहा कि ‘डोनर की तरफ से दान में दिया गया सोना, मौजूदा चांदी की परत के बराबर है. यह लगभग 100 करोड़ रुपये की कीमत का तकरीबन 230 किलोग्राम सोना होगा. लगभग इतना ही वजन यहां लगी चांदी का है.’

डोनर कितना सोना मंदिर में चढ़ा रहा है, इसकी सही मात्रा के बारे में पूछे जाने पर बीकेटीसी के प्रमुख अजेंद्र अजय ने विवरण देने से इनकार कर दिया. उन्होंने सिर्फ इतना बताया, ‘यह गर्भगृह में मौजूदा चांदी की परत के वजन के बराबर ही है.’

(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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