प्रयागराज (उप्र), 14 मई (भाषा) इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने एक महत्वपूर्ण निर्णय में कहा है कि उप जिलाधिकारी (एसडीएम) को एक व्यक्ति को किसी भूखंड का भूमिधर (भू-स्वामी) घोषित करने का कोई अधिकार नहीं है।
अदालत ने कहा कि इस तरह के पहलू पर एसडीएम द्वारा न्यायिक निर्णय 2006 की संहिता की धारा 144 के तहत किए जाने की जरूरत है, जहां राज्य और ग्राम पंचायत आवश्यक पक्षकार होंगे।
उक्त टिप्पणी न्यायमूर्ति क्षितिज शैलेंद्र ने जयराज सिंह नामक व्यक्ति द्वारा दायर रिट याचिका पर सुनवाई करते हुए की। जयराज सिंह ने एसडीएम को उसके पक्ष में भूमिधरी अधिकार (हस्तांतरण अधिकारों के साथ भूमि का स्वामित्व) देने का निर्देश देने की अदालत से गुहार लगाई थी क्योंकि याचिकाकर्ता लंबे समय से उक्त जमीन पर काबिज था।
उत्तर प्रदेश जमींदारी उन्मूलन एवं भूमि सुधार अधिनियम और उत्तर प्रदेश राजस्व संहिता के प्रावधानों पर गौर करने के बाद अदालत ने कहा कि एसडीएम या किसी अन्य अधिकारी को प्रशासनिक स्तर पर यह अधिकार नहीं दिया गया है कि वह संबंधित भूमिधारक को भू-स्वामी घोषित कर दे।
भाषा राजेंद्र सुरभि
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