नई दिल्ली: सेवानिवृत्त न्यायाधीशों, नौकरशाहों के एक समूह ने मंगलवार को भारत के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) एनवी रमना को एक खुला पत्र भेजा, जिसमें सुनवाई के दौरान ‘लक्ष्मण रेखा को पार करने’ के लिए सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की पीठ द्वारा की गई टिप्पणी की निंदा की गई. भाजपा की पूर्व प्रवक्ता नूपुर शर्मा के मामले में सुप्रीम कोर्ट में इस टिप्पणी को ‘दुर्भाग्यपूर्ण और अभूतपूर्व’ करार दिया है.
सीजेआई रमना को भेजे गए पत्र पर नूपुर शर्मा के मामले की सुनवाई करने वाले जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जेबी पारदीवाला के खिलाफ 15 सेवानिवृत्त न्यायाधीशों, 77 सेवानिवृत्त नौकरशाहों और 25 सेवानिवृत्त सशस्त्र बलों के अधिकारियों द्वारा हस्ताक्षर किए गए थे.
सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को भाजपा की निलंबित प्रवक्ता नूपुर शर्मा को फटकार लगाई थी. सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि ‘उनका (शर्मा का) अपनी जुबान पर काबू नहीं है. उन्होंने टेलीविजन चैनल पर गैर-जिम्मेदाराना बयान दिए और पूरे देश को आग में झोंक दिया. वह 10 साल से वकील होने का दावा करती हैं. उन्हें अपनी टिप्पणियों के लिए तुरंत पूरे देश से माफी मांगनी चाहिए थी.’
शीर्ष अदालत ने आगे निलंबित भाजपा नेता को दोषी ठहराया और कहा कि देश में जो हो रहा है उसके लिए वह अकेले जिम्मेदार हैं और कहा कि उन्हें ‘पूरे देश से माफी मांगनी चाहिए.’
An open letter has been sent to CJI NV Ramana, signed by 15 retired judges, 77 retd bureaucrats & 25 retd armed forces officers, against the observation made by Justices Surya Kant & JB Pardiwala while hearing Nupur Sharma's case in the Supreme Court. pic.twitter.com/ul5c5PedWU
— ANI (@ANI) July 5, 2022
समूह द्वारा लिखे गए लेटर में कहा गया है, ‘न्यायपालिका के इतिहास में, ये दुर्भाग्यपूर्ण टिप्पणी है और सबसे बड़े लोकतंत्र की न्याय प्रणाली पर ऐसा दाग हैं, जिसे मिटाया नहीं जा सकता. इसके लोकतांत्रिक मूल्यों और देश की सुरक्षा पर संभावित गंभीर परिणाम हो सकते हैं.’
लेटर में निंदा करते हुए समूह ने कहा है कि ‘हम जिम्मेदार नागरिक के तौर पर यह मानते हैं कि किसी भी देश का लोकतंत्र तब तक ही बरकरार रहेगा, जब तक कि सभी संस्थाएं संविधान के अनुसार अपने कर्तव्यों का पालन करती रहेंगी. सुप्रीम कोर्ट के दो जजों की हालिया टिप्पणियों ने लक्ष्मण रेखा पार कर दी है और हमें एक खुला बयान जारी करने के लिए मजबूर किया है. बयान में कहा गया कि इन ‘दुर्भाग्यपूर्ण और अप्रत्याशित’ टिप्पणियों के कारण देश और विदेश में लोग हतप्रभ हैं.’
समूह ने कहा कि याचिकाकर्ता ने एक टीवी बहस के दौरान उनके द्वारा की गई कथित टिप्पणी के संबंध में विभिन्न राज्यों में उनके खिलाफ दर्ज विभिन्न प्राथमिकी को स्थानांतरित करने के लिए उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था.
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