नई दिल्ली: एससीओ के विदेश मंत्रियों की बैठक से कुछ घंटे पहले पाकिस्तान के विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो-जरदारी ने अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल पर एक वीडियो शेयर करते हुए कहा कि इस बैठक में भाग लेने का उनका निर्णय एससीओ के चार्टर के प्रति पाकिस्तान की मजबूत प्रतिबद्धता को दर्शाता है.
उन्होंने अपना वीडियो सांझा करते हुए कहा कि एससीओ बैठक के लिए उनका भारत आना इस बात की ओर इशारा करता हैं कि ये मीटिंग पाकिस्तान के लिए भी महत्वपूर्ण हैं और पाकिस्तान इस मीटिंग को अहमियत देता है.
भुट्टो ने मुस्कुराते हुए भारत आने की बात कहते हुए कहा कि “मैं मित्र देशों के अपने समकक्षों के साथ रचनात्मक चर्चा के लिए तत्पर हूं.”
एससीओ मीटिंग के शुरुआती दिन पर विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा, ‘एससीओ शिखर सम्मेलन का प्रमुख फोकस क्षेत्र स्टार्टअप्स, पारंपरिक चिकित्सा, युवा सशक्तिकरण, बौद्ध विरासत और विज्ञान और प्रौद्योगिकी पर हैं.
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने गुरुवार को गोवा में शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के महासचिव झांग मिंग के साथ द्विपक्षीय बैठक की और ‘भारत की एससीओ अध्यक्षता के लिए समर्थन’ की सराहना की.
एससीओ सदस्य देशों के विदेश मंत्रियों की दो दिवसीय बैठक गुरुवार को गोवा में शुरू हुई. यह बैठक चार और पांच मई को होंगी.
भारत इस मीटिंग के जरिये बहुपक्षीय, राजनीतिक, सुरक्षा, आर्थिक और लोगों से लोगों के बीच संपर्क को बढ़ावा देने में एससीओ को विशेष महत्व देता है.
इस बीच, जयशंकर आज बाद में रूस, चीन और उज्बेकिस्तान के अपने समकक्षों के साथ तीन और द्विपक्षीय बैठकें करने वाले हैं.
रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव विदेश मंत्रियों की दो दिवसीय बैठक में शामिल होने के लिए आज सुबह गोवा पहुंच चुके हैं. लावरोव के भारत आगमन पर एक प्रतिनिधिमंडल भी उनके साथ था.
शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) 2001 में स्थापित एक अंतर सरकारी संगठन है. शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के सदस्यों में रूस, भारत, चीन, पाकिस्तान और चार मध्य एशियाई देश – कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, ताजिकिस्तान और उज्बेकिस्तान शामिल हैं.
एससीओ के साथ चल रहे जुड़ाव ने भारत को उस क्षेत्र के देशों के साथ अपने संबंधों को बढ़ावा देने में मदद की है जिसके साथ भारत ने सभ्यतागत संबंध साझा किए हैं.
भारत ने 2022 में एससीओ शिखर सम्मेलन में एससीओ की अध्यक्षता संभाली हैं.
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